गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

आइये जानें क्यों यूरोपीय व कुछ एशियाई देश शून्य (ज़ीरो) को 'ओ' (O) बोलतें हैं?


काफी लोगों को मालूम है कि पूरा यूरोप और एशिया के कुछ देश (जिसमें भारत यानि  कि That is India भी) ज़ीरो यानि कि शून्य को ज़ीरो यानि कि शून्य नहीं बोलतें हैं. अंग्रेज़ी का 'O' (ओ) अक्षर बोलतें हैं. अब सौ कि वर्तनी अंग्रेज़ी में बोलनी है तो वो वन ओ ओ बोला जाएगा, वन ज़ीरो(शून्य) ज़ीरो(शून्य) नहीं. यह हम में से सबने देखा भी है और सुना भी है. पर यह यूरोप और कुछ एशिया के देशों में ही प्रचलित है.   अब तो कुछ तथाकथित खुद को नस्ल से भारतीय कहने वाले भी शून्य (ज़ीरो) को 'ओ' ही बोलते हैं, और 'ओ' बोलने में फख़्र महसूस करते हैं. आखिर ऐसा क्या और क्यूँ है जो यूरोपीय और कुछ एशिया के देश ज़ीरो यानि कि शून्य को अंग्रेज़ी का 'ओ '(O) बोलते हैं? आइये यह जानने से पहले शून्य (ZERO) का इतिहास जान लें?

शून्य (ज़ीरो) का इतिहास:---

इसमें कोई शक नहीं कि शून्य (ज़ीरो) के आविष्कार का श्रेय भारत को जाता है. इसको शुरू से डॉट (.) के रूप में लिखा जाता रहा है या फिर गोलाकार रूप में लिखा जाता है. इसको डॉट (.) या गोलाकार रूप में इसलिए लिखा जाता है/था क्यूंकि गोलाकार का मतलब "घूम फिर के वही" होता है यानि कि कुछ नहीं. संस्कृत में भी शून्य का मतलब कुछ नहीं होता है. और यह गोलाकार रूप में लिखना भी संस्कृत से ही निकला है..

इतिहासकार मानते हैं कि सन 458 A.D. से शून्य (ज़ीरो) अस्तित्व में आया. परन्तु इसपर काफी मतभेद है. पुरातन काल में अंकों को प्राकृतिक चीज़ों को आधार बना कर लिखा जाता था. उदाहरण के तौर पर: अगर १ लिखना है तो चाँद या सूरज बना कर लिख दिया जाता था, २ लिखना है तो दो आँखें बना कर लिख दिया जाता था. इसी तरह दशमलव प्रणाली के तहत शून्य को डॉट (.) या फिर गोलाकार रूप में लिख दिया जाता था. यह भारतीय ही थे जिन्होंने दशमलव प्रणाली (Decimal Point Sysytem) का आविष्कार किया और इसी के साथ शून्य (ज़ीरो) का आविष्कार हुआ.

शून्य (ज़ीरो) के बारे में सबसे पहले महान गणितज्ञ 'ब्रह्मगुप्त' (598-660 A.D)  जिनका जन्म मुल्तान (अब पाकिस्तान में) हुआ,  ने अपनी पुस्तक "ब्रह्मगुप्त सिद्धांत" में दिया. जिसको बाद में भारतीय गणितज्ञ 'भास्कर' (1114-1185A.D.) ने थोडा संशोधित करते हुए, अपनी पुस्तक "लीलावती' में विस्तारपूर्वक लिखा. शून्य (ज़ीरो) के आविष्कार से ही प्रेरित होकर भारतीयों ने ऋणात्मक अंकों का आविष्कार किया और बाद में बीज गणित (algebra) को विकसित किया. 
आठवीं शताब्दी के दौरान बग़दाद के राजा "खोलोफ़-अल-मंसूर" ने अपने कुछ दरबारियों को भारत के सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान में) गणित, ख़गोल-शास्त्र, तथा चिकित्सा-शास्त्र पढने के लिए भेजा. यह दरबारी अपने साथ कुछ महत्वपूर्ण किताबें भी ले गए, जिनको इन्होने अरबी भाषा में रूपांतरित/अनुवाद किया.

अरब के प्रसिद्ध गणितज्ञ अल-ख्वारिज़मी (790 AD-850AD) सन 830 A.D. में  भारत आये और भारतीय अंक प्रणाली को पूरे विश्व में अपनी किताब 'हिसाब-अल-जब्र-व-अल-मुकाबीलाह' के द्वारा प्रसिद्ध किया. इन्होने संस्कृत शब्द 'शून्य' को अरबी में 'सिफ़्र' अनुवाद किया, जिसका मतलब कुछ नहीं होता है. यही 'सिफ़्र' लैटिन में "ज़फ्यर" (ZEPHYR) हो गया. जो आगे चल कर फ्रेंच में zero (ज़ीरो) हो गया.... और यही ज़ीरो फ्रेंच से अंग्रेज़ी में आ गया... 
आज पूरे विश्व में ज़ीरो (शून्य) के आविष्कार से भारत कि एक अलग महत्ता है. 

आइये अब जानें क्यूँ यूरोपीय व कुछ एशियाई देश शून्य (ज़ीरो) को 'ओ' (O) बोलतें हैं? 

अब जैसा कि हम सब को मालूम है कि शून्य (ज़ीरो) भारत की देन है. और शून्य (ज़ीरो) को अंग्रेज़ी के "O" आकार में लिखते हैं जिसको जब हम लिखते हैं तो जहाँ से शुरू करते हैं तो वहीँ पर ख़त्म भी करते हैं. और शून्य का मतलब "कुछ नहीं" होता है. यानी की घूम-फिर के वही. हमें यह भी मालूम है कि यूरोपियन देशों में भारत को सपेरों का देश कहा जाता है, तो इन यूरोपिअनों से कभी बर्दाश्त नहीं हुआ कि कैसे एक सपेरों के देश ने शून्य (ज़ीरो) का आविष्कार कर दिया? जबकि सारे महत्वपूर्ण आविष्कार यूरोपीय देशों में ही हुए हैं. यूरोपियन देश भारत को नीचा दिखाने के लिए शून्य या फिर ज़ीरो नहीं बोलते हैं.... ज़ीरो भी इसलिए नहीं बोलते हैं...  क्यूंकि लैटिन भाषा कि उत्पत्ति स्पेनिश और पोर्टुगुइसे(Portuguese) भाषा  से हुई है... और स्पेन,फ्रांस और पुर्तगाल ब्रिटिश और अमरीकन साम्राज्य (COLONY) रहे हैं..... जिनको अपनाना यूरोपियन देशों कि शान के खिलाफ रहा है.....
और यही रवैया यह देश भारत के साथ अपनाते हैं... यूरोपियन देशों के स्कूलों में शून्य (ज़ीरो) नहीं बताते हैं.... अगर हम इन्टरनेट पर भी शून्य से सम्बंधित लेख देखें तो उन लेखों में यूरोपियन टच मिलेगा...... न कि भारतीय....  यह देश शून्य या ज़ीरो न बोल के हम भारतीयों कि बेईज्ज़ती करते हैं, तथा हमारी उपलब्धियों को नकारते हैं... 1956 में एक अमरीकन फिल्म "ALEXANDER THE GREAT" आई थी उसमें भी यही बताया गया था कि ज़ीरो यानि कि शून्य का आविष्कार PTOLEMY ने किया था. जिस पर भारत कि ओर से कोई बहस नहीं कि गई थी. 
आज विडम्बना यह भी देखिये.... कि कई भारतीय भी अब शून्य यानी कि ज़ीरो को 'ओ' (O) ही बोलते हैं. शायद वो जानते नहीं हैं.... कि 'ओ' (O) बोल कर खुद कि ही बेईज्ज़ती कर रहें हैं. 


73 टिप्पणियाँ:

shikha varshney ने कहा…

हम्म बात तो एकदम सही कही है जनाब.....कुछ बातें तो पता थी कुछ ज्ञान वृद्धि के लिए शुक्रिया...पर हाँ हाँ zero को zero ही बोलते हैं ही ही ही

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत उत्तम जानकारी मिली, ज्ञानवर्धन के लिये आभार.

रामराम.

Arvind Mishra ने कहा…

रोचक और जानकारी पूर्ण ! मुझे तो पता था की केवल अमेरिकी ही जीरो को ओ बोलते हैं

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

जानकारी भरा आलेख है। आभार।

संगीता पुरी ने कहा…

आपने महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों और उद्धरणों के द्वारा 'जीरो' को 'ओ' बोलने के रहस्‍य का पर्दाफाश किया है .. अच्‍छी जानकारी भरा है ये आलेख !!

बेनामी ने कहा…

1 bar phir se new topic par research.....kafi gyan bhandar hai aapke pas....

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

ग़ज़ब का इतिहास ज़ीरो को हीरो बना दिया..मैने इतनी विस्तार से जानकारी कभी सुनी ही नही थी बस आधा अधूरा ज्ञान था ज़ीरो की उत्पत्ति के बारे में..आपने बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया..सुंदर और रोचक जानकारी..बहुत बहुत धन्यवाद

राजीव तनेजा ने कहा…

ज्ञानपरक लेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

शरद कोकास ने कहा…

ooooooooooooooooooo यह ओ ओ ओ है

0000000000000000000 यह शून्य शून्य है ।


जब लिखा ही अलग अलग तरीके से जाता है तो अलग अलग बोलते क्यों नहीं भाई ?

Satya Vyas ने कहा…

gyanvardhan hua .
aabhar mahfooj.

शरद कोकास ने कहा…

समझ मे नहीं आया?
अरे भाई अपने की बोर्ड पर टाइप करें "ओ" यह् दिखेगा OOOOOOOOOOOOOO
अब टाइप करे ज़ीरो या शून्य यह दिखेगा
0000000000000000000000000000000

अंतर है ना? तो वही तो मै कह रहा हूँ ।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Dr.Mhafooz,
ek aur jaankaarishuda aalekh padh kar accha laga..
Bharteeyon ki ek badi uplabdhi hai ye..
Canada mein bhi kayi baar zero ko O bolte suna hai ..kayi baar khud bhi kaha hai...
lekin ab zero ya shnya hi kaha karenge ham chahe kuch bhi ho jaaye..
Dhanyawaad..

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई हम तो रहते ही यहां है, ओर इगलेण्ड भी दुर नही इस लिये हमे पता था कि यह जीरो को ओ बोलते है, लेकिन यह ऒ सिर्फ़ इग्लेंड के लोग ही बोलते है, उन मे आज भी पुरानी अकड है, ओर हमे शर्म की बात तो तब लगे जब हम अग्रेजी भी ना बोले... लेकिन जो बात गोरे नफ़रत से करते है वो ही हम शान से करते है.....वरना हमे कया जरुरत अग्रेजी बोलने की?? किसी भी अन्य देश मै अग्रेजी तो सभी जानते है, लेकिन हमारी तरह शान से कोई नही बोलता..... यानि हम शान से कह सकते है कि हम गुलाम थे ऒ बोल कर

Mishra Pankaj ने कहा…

अच्छी बहुत उत्तम जानकारी मिली , आभार

SACCHAI ने कहा…

" bahut hi umada jankaari ke liye aapka sukriya sir "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Mahfooj bhai aap kaan kheech lete theek tha, aapne to ukhad hi dia :)
khair chhote hone ke kuchh nuksaan bhi hain. aap jo chahe karen bade bhai.
main to in logon ke samne pahle zero hi bolta tha, lekin inhe bada atpata laga kyonki ye sab bachpan se 'o' hi bolte sunte aaye hain. jab bhi kisi office me phone karo apna no. dene ke liye majboori me 'o' hi bolna padta hai. yahi adat pad gayee, lekin kai baar kaiyon se bola bhi ki zero means your 'o'. ab karen bhi kya kambakht mobile no. me bhi zero chipka hua hai(0044 7515474909).
maaf kar den is baar aage se bhool sudhar loonga. :)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

ये तो बहुत बढिया जानकारी दी आपने......हम भी सिर्फ यही जानते थे कि ऎसा सिर्फ अमेरिका में ही बोला जाता है ।

M VERMA ने कहा…

बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने
कोई माने या न माने पर यह सत्य है कि शून्य का आविष्कार भारत ने किया अब चाहे 'ओ' बोलो या 'ज़िरो' या 'शून्य'
बहुत अच्छा आलेख

Khushdeep Sehgal ने कहा…

भारत ने दिया ज़ीरो दुनिया को...
अगर ऐसा न होता तो चांद पर जाना नामुमिकन था..
तारों की दूरी नापना मुश्किल था...
राम करे, मेरा भारत आगे बढ़े..
बढ़ता रहे और बढ़ता ही रहे...

जय हिंद...

वाणी गीत ने कहा…

विश्व के कई हिस्सों में जीरो को ओ बोला जाता है ...इस पर जबरदस्त विवेचना कर सही तथ्य सामने लाने का और उसे प्रभावी ढंग से पेश करने का तुम्हारा तरीका लाजवाब है ...बहुत बढ़िया ...

वाणी दी

मुनीश ( munish ) ने कहा…

may the efforts to undermine India eat dust ! may ur blog attain the heights it deserves.

Kavita Saharia ने कहा…

You have highlighted a very ignored subject,i too have very often wondered why zero is called 'O' by many...at first i assumed it is some kind of sms language where people prefer to write DAT for THAT or WUD for WOULD.

Now i have got used to of hearing it very often by the callers from bank and marketing field,but it never influenced me to call a ZERO ..O..

As a self respecting citizen of this glorious country i will always remember and follow the point you have made here....thanks for presenting such a well researched and informative post.

Urmi ने कहा…

इस बढ़िया, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!

संजय बेंगाणी ने कहा…

ऑ बोलते है यह पता था, मगर इसलिए बोलते है यह आज जाना.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यह जानकारी तो बहुत उपयोगा रही।
आभार!

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…

bahut rochak

happy blogging

mehek ने कहा…

hamesha ki tarah gyanwardhak jankari,bahut khub

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक लेख ..कब भारतीय अपनी इज्ज़त स्वयम करना सीखेंगे?
जागरूक करने वाले लेख के लिए बधाई

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी एवं ज्ञानवर्धक जानकारी आपने प्रस्‍तु‍त की शून्‍य के बारे में बेहतरीन आलेख, जिसके लिये आपको शुभकामनायें एवं आभार ।

Unknown ने कहा…

सुन्दर ज्ञानवर्धक लेख!

भारतीय गणितज्ञ 'भास्कर' अपनी पुस्तक "लीलावती' में गणित के सरल तरीके भी बताये हैं।

अर्कजेश ने कहा…

शून्य के बारे में काफ़ी सारगर्भित जानकारी दी है ।


शून्य भारतीय दर्शन की चरम मनीषा से उपजा है ।
जो कि विश्व के बारे में भारतीय समझ को प्रदर्शित करता है ।

इसी क्रम में ’ओ’ के बारे में लिखिए । कहीं ऐसा तो नहीं कि शून्य और ओ में समानता होने और पश्चिम की सभ्यता का शून्य से पहले ओ से परिचित होने की वजह से वे ऐसा करते आ रहे हों ?

’ज़ीरो’ और ’ओ’ शब्द की व्युत्पत्ति का तुलनात्मक अध्ययन विषय को और अधिक स्पष्ट करेगा ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक लेख ..कब भारतीय अपनी इज्ज़त स्वयम करना सीखेंगे?
जागरूक करने वाले लेख के लिए बधाई
बहुत सुन्दर रचना । आभार

ढेर सारी शुभकामनायें.

SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

ग़ज़ब का इतिहास ज़ीरो को हीरो बना दिया..मैने इतनी विस्तार से जानकारी कभी सुनी ही नही थी बस आधा अधूरा ज्ञान था

डॉ टी एस दराल ने कहा…

न ओ न जीरो, हम तो शून्य बोलने में विश्वास रखते हैं.
बहुत अच्छी जानकारी के लिए शुक्रिया.

Ambarish ने कहा…

researcher mahfooz ali is back with a great homework!!! bahut sahi... han, maine bhi kai baar socha hai ki zero ko mere english wale teacher ji O kyon bolte the... par mujhe reason samajh mein nahi aata tha.. aapka bahut bahut dhanyawad is jaankari aur awareness ke liye...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

Aaapke ish Zero ne bahut rulaayaa . tippiyaane kee koshish kar rahaa thaa to blog par hee problem aa gayi. Abhee jaake theek hui hai.
Sundar jaankaaree .

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ओ बोलना अंग्रेजियत है........यानि लीक से हटकर एक ख़ास स्टाइल !
गहन अध्ययन का जो असर दे जाते हो,वह ज्ञान की अद्वितीये श्रीन्खला है......

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाह वाह बेहतरीन जानकारी के लिये साधुवाद स्वीकारें

शोभना चौरे ने कहा…

achhi jankari .bhart ki tarkki ya bhart ki ki hui khoj yoropeey desh shn nhi kar pate .vidmbna hi hai fir bhi ham unke gun gate hai unki bhasha ko apnate hai .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

आपकी इस तरह की पोस्ट से ज्ञान वर्धन होता है .....ऐसे विषयों पर लिखना सभी के बस की बात नहीं ......शुक्रिया ....!!

ओम आर्य ने कहा…

बहुत बढिया अली जी ........ज्ञान को विस्तार दे रहे है .......

ओम आर्य ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
निर्मला कपिला ने कहा…

vaah bahut rochak aur gyaan vardhak jaankari hai kahan se laate ho aisee rochak jaanakaariM sundar lage raho aur hamara gyaan badhate raho aasheervaad

Unknown ने कहा…

WAH!!!!!!!!!! PHIR AK BAHUT HI GYAN BARDHAK JANKARI JANKARI ...

Udan Tashtari ने कहा…

चलिए, ओ का राज भी पता चला...ज्ञानवर्धन के लिये आभार.

Pappu Yadav ने कहा…

Mahfooz ji,
ek baar fir ham kayal ho gaye aapke, bahut umda jaankari di aapne, hamesha ki tarah.
shukriya aapka !!

Pappu Yadav ने कहा…

Mahfooz ji,
ek baar fir ham kayal ho gaye aapke, bahut umda jaankari di aapne, hamesha ki tarah.
shukriya aapka !!

दीपक 'मशाल' ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
दीपक 'मशाल' ने कहा…

Mahfooz bhai is vishay par yahan ke kuchh sthaniya vidwanon se charcha ki un sabka yahi manna hai ki zero ki utpatti Bharat se hi hui aur iska wo samman karte hain lekin 'shoonya' shabd bolna unke liye aasan nahin hai. jabki ye log bahut pahle roman use karte the jisko angrezi aksharon ke adhar par banaya gaya hai ye to sabhi jante hi hain, lekin usme kahin bhi 0 nahin hota isliye jab inhen shoonya ya zero ke bare me pata chala to use bhi roman aksharon ki tarz par angrezi ke o se milta hone ki wajah se o naam de diya. jaise ki 50 ko L, 100 ko C aur 1000 ko M kahte hain vaise hi ye zero ko O kahne lage. isme apmaan karne ki bhavna inke hisab se to nahin hai.doosri taraf 'not' word ka prayog bhi inhi logon ne zero ke liye kiya. ek vidwan ne to Shree Aryabhatt ka naam aur zero ke aavishkar ka varsh bhi bataya, aise me apman ki bhavna to nahin dikhti. kuchh logon ka kahna hai ki zero ke bajay o jaldi jaldi bolne me asani rahti hai shayad isliye bhi isko prachlan me laya gaya.#

शेफाली पाण्डे ने कहा…

महफूज़ भाई ..हम तो अभी तक इसे कापी में यूँ ही घुमाते थे आज इसकी असलियत खुली ..

बवाल ने कहा…

जी हाँ भाईजान,
एक बहुत ज्ञानवर्धक बात बहुत आलातरीन लहजे में पेश की है आपने। बस इसीलिए तो हमारे महफ़ूज़ मियाँ हरदिल अज़ीज़ हैं। आपका बहुत बहुत आभार इस उपयोगी लेख के लिए। अल्ला हाफ़िज़।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

007 = JAMES BOND इसे भी डबल ओ सेवन जेम्स बोंड ही कहते हैं ना ?
जीरो या शून्य की खोज
भारत से ही हुई है
इस में कोइ शक नहीं
हम भारतीय ,
हमारी कई ऐसी बातों पर
ध्यान नहीं दिया करते
आपका आलेख अच्छा है

विनीत,
- लावण्या

अनिल कान्त ने कहा…

Full of Knowledge
Waah !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उत्तम जानकारी ........बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया है ...... LAJAWAAB ........

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत रोचक जानकारी दी है आपने शुक्रिया

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

रोचक जानकारी...........
लेकिन आपने अंग्रेजियत की नक़ल करने वालो के ऊपर कुछ नही लिखा.......
इस पर भी शोध हुए है और लोगो ने तर्क भी प्रस्तुत किये है...........
तो नया लेख अब इस पर लिख डालिए.....

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

बहुत बढ़िया जानकर दी अपनी बेईज्ज़ती के अहसास की.
शर्मसार से हो गए.............
सारे चोर साहूकार हो गए, हम भी देख-देखी वही बीन बजाने लग गए हैं.......

अवसाद के इन क्षणों में अनायास ये रचित हो गया, तो नज़ारे इनायत है......

दशमलव सिस्टम हमारा, शून्य हमारा
फिर भी हमको "ओ" कहना हुआ गवारा
अब तो चेतो,बनना नकलची क्यूँ प्यारा
वेद - पुराणों के संग सारा जहाँ हमारा

और महफूज़ भाई,
३०३ अर्थात "थ्री नोट थ्री" के बारे में क्या ख्याल है ???????????????
कुछ इस की उत्पत्ति पर भी ऐतिहासिक प्रकाश डाल कर अनुगृहीत करें......

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

@ Mumukshh Ki Rachanain ji.........

zero ko jab beech se kaat dete hain to usey nought bolte hain..... yahan nought spelling hoti hai.... NOT ...wali nahi.... is nought ka matlab yahan yeh hota hai..... JO SUPPORT KARE.....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

@ Mumukshh Ki Rachanain

aur is nought ka istemaal jab hum kisi ko kill karte hain tabhi hota hai...... isliye zero ko beech se kaat dete hain......

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही जानकारी भरा आलेख......शून्य के इतिहास से परिचय कराने का शुक्रिया... विवेकानंद ने शिकागो में दिए गए अपने भाषण में शून्य का जिक्र किया था और सारे अमरीकियों को इसके इतिहास से अवगत कराया था....आप शायद उल्लेख करना भूल गए...या यह विषय किसी दूसरी पोस्ट के लिए रखा है?..:)

श्रद्धा जैन ने कहा…

kya baat hai aapne to zero ka itihaas se lekar uske bole jaane ki shreni bhi likh di

अपूर्व ने कहा…

भई शर्लॉक होम्स का काम कर रहे हैं आप..अब तो नियमित क्लास लगने चाहिये आपके ब्लॉग के..
शून्य से सिफ़र फिर ज़ीरो को सफ़र पहली बार पता लगा..
एक मीठी सी और इग्नॉरबल गुजारिश कि अगर इन शोधपरक पोस्ट्स का साइज थोड़ा छोटा हो..कभी कभी आगे का पढ़ते-२ पीछे कुछ फ़िसल जाता है..
बधाई..नेक्स्ट एपीसोड मे देखते हैं कौन सी नयी मिस्ट्री सॉल्व होती है.. ;-)

वसन्त ने कहा…

रोचक जानकारी मिली। धन्यबाद!

Neeraj Nayyar ने कहा…

ITS REALLY GREAT, BHOT ACCHI BAAT PATA CHALI,

बेनामी ने कहा…

mehfooj ji delhi aane pe mjhse zaroor milna....9210638379 pe contact kijiyega

Dr. Shreesh K. Pathak ने कहा…

मुग्ध हुआ इस चर्चा से....

Intertecconsulting ने कहा…

बहुत ही उम्दा लेख है ,उम्मीद है की आगे भी इसी तरह की जानकारी मिलती रहेगी

बेनामी ने कहा…

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Motivation of life ने कहा…

ziro ke bare me ye jankari dena vastav me ek sthayitva kala hai jo hame ek sutra me pirone ka kam karti hai
app angreji jante huye bhi itni acchi hindi likhte hai ye shayd hamare desh ki sanskriti hai likhne ke liye Dhanyawad

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