बुधवार, 12 अगस्त 2009

ये सूखे फूल आज भी ताज़ा हैं......


ढल जाती है जब शाम
तब तुम बहुत याद आती हो ,
देखता हूँ तुम्हारे दिए हुए फूलों को अब भी
जो सूखे से अब नज़र आते हैं ..........
तुम्हारे जाने से
कुछ खोता जा रहा हूँ ,
भरी भीड़ में भी अकेला
होता जा रहा हूँ.....................
चला जाता हूँ नींद के आगोशी में
करते हुए याद तुम्हें ,
तुम आती हो
ख़्वाबों में
और चली भी जाती हो ख़ामोशी से.......
आज फिर सुबह हुई है
तुम्हारे दिए हुए फूलों की

माला पिरोई है।
अब थोडी ही देर में
शाम हो जाएगी
इन सूखे हुए फूलों में थोड़ी और
महक आ जाएगी।
तुम आईं थीं मेरी ज़िन्दगी में
बारिश की तरह ,
खिल उठता था तब
मैं तुम्हें देख ,
उन्हीं फूलों की तरह ........
लौट आओ
मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ
ये सूखे फूल आज भी ताज़ा हैं
दिखाना चाहता हूँ॥ ॥ ॥ ॥



पेश है एक और प्रेम कविता.......... see disclaimer below...............in the footer
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