शनिवार, 6 जून 2009

यह क्या????

चाँद हमेशा की तरह मेरे साथ था,
पर , मैंने उससे कोई बात नहीं की
पत्थरों को देखा वो भी
बड़े मुलायम लगे
हवा मुझे पागल किए दे रही थी
पेडों का शोर अचानक बड़ा अच्छा लगा,
अन्दर का उमड़ता हुआ सा तूफ़ान
बाहर फैल गया॥




महफूज़ अली
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