सोमवार, 3 अगस्त 2009

बस एक बार .........चली आओ.....


तुम्हारे साथ गुज़ारे हुए ,


उन लम्हों कि याद


आज फिर मुझे


आई है।


पल भी वही हैं,


नज़रें भी


और


नज़ारे भी वही हैं...


नहीं हैं अगर कोई


तो बस तुम..........


तुम्हें उन वादों ,


उन वफ़ाओं कि कसम


बस एक बार,


सिर्फ़ एक बार........


एक पल के लिए


चली आओ


उस पल में तमाम


उम्र जी लेंगे हम॥

महफूज़ अली


(मैं अपने तमाम पाठकों के e . mails और टिप्पनिओं का बहुत शुक्रगुजार हूँ , जो आप सबने मेरी प्रेम रस की कवितओं को सराहा... दरअसल प्रेम रस एक ऐसा विषय है जिसके लिए हमारी फीलिंग्स कभी कम नहीं होतीं..... और हम सब प्रेम के उस दौर से गुज़र चुके होते हैं ......... मैं दोबारा आप सबका शुक्रगुजार हूँ....... आगे भी मेरी प्रेम रस की कविताओं को ऐसे ही सराहते रहें .......... धन्यवाद.........)
04 /08/2009
21.17

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Ilam viewed 'लेखनी...' 26 days 6 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 1 month 9 days ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 1 month 13 days ago