गुरुवार, 17 सितंबर 2009

यह घाँस बड़ी कीमती है........


कितनी लाचारी भूख में होती है

यह दिखाने के लिए एक भिखारी

लॉन की घाँस खाने लगा

घर की मालकिन में दया जगाने लगा।


दया सचमुच जागी

मालकिन आई भागी-भागी

कहती है "क्या करते हो भईया?"

भिखारी बोला , भूख लगी है

अपने आपको मरने से बचा रहा हूँ .....


मालकिन की आवाज़ में मिश्री सी घुली

और ममतामयी आवाज़ में बोली

कुछ भी ही ये घाँस मत खाओ।

मेरे साथ अन्दर आओ

चमचमाता ड्राइंग रूम , जगमगाती लौबी

ऐशो आराम के सभी ठाठ नवाबी

फलों से लदी हुई खाने की मेज़.....


और रसोई से आई महक बड़ी तेज़

तो भूख बजाने लगी पेट में नगाडे

लेकिन मालकिन उसे ले आई घर के पिछवाडे

भिखारी भौंचक्का सा देखता रहा।


मालकिन ने और ज़्यादा प्यार से कहा

नर्म है, मुलायम है, कच्ची है

इसे खाओ भईया, बाहर की घाँस से

ये घाँस अच्छी है ॥

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Clonee viewed 'हॉर्न ओके प्लीज (Horn OK Please): Mahfoo' 21 hrs 4 mins ago
A visitor from Delhi viewed 'लेखनी...' 13 days 10 hrs ago
A visitor from Indiana viewed 'लेखनी...' 22 days 21 hrs ago
A visitor from Suffern viewed 'लेखनी...' 23 days 6 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 25 days 19 hrs ago
A visitor from Louangphrabang viewed 'लेखनी...' 1 month 13 days ago