सोमवार, 2 नवंबर 2009

तुम प्यार से मनाने का तरीका सीख लो..........




शब्दों के जाल में उलझने की बजाये ,

हाव-भाव से दिल का हाल जान लो तुम।

एक सुरक्षित सहारा ....... एक ऐसा आगोश,

जहाँ दुनिया के किसी खतरे से डर न लगे॥

तारीफ़ की दरकार है मुझे..... 



कोई तो हो जिसकी , 


नज़रों में सिर्फ़ मेरा ही अक्स नज़र आए॥

मैं भी पहचान रखता हूँ, अपना मुकाम रखता हूँ,

इसे कोई मेरा अहम् न समझे, स्वाभिमान समझे॥

मेरी भावुकता को कमजोरी न समझे! 



जो दिल का सम्मान करे,

वही सच्चा साथी॥

मुझसे बात करो! 




संवाद का सोता सूखा,

तो शरीर का सम्बन्ध भी फीका लगता है॥

मैं उड़ना चाहता हूँ, आगे बढ़ना चाहता हूँ,

मगर तुम्हारे साथ, तुम्हारे सहारे! 



बोलो ! क्या मंज़ूर है?

ग़र मैं उलझ जाऊँ, नाराज़ हो जाऊँ तो..... 

तुम प्यार से मनाने का तरीका सीख लो॥
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