बुधवार, 2 सितंबर 2009

ये टी. वी. सीरियल्स की नारियाँ


सीरियल की नारियाँ बड़ी हसीं लगती हैं,
घर की बागड़ोर उन्हीं के हाथों में चलतीं हैं।

सीरियल का घर, घर नहीं महल लगता है,
जिसमें हर पल मेला सा लगता है।

सीरियल के पात्रों को आराम ही आराम है ,
सजने के अलावा उन्हें न कोई काम है।

घर, व्यापार के सभी निर्णय हीरोइन द्वारा होते हैं,
क्या घर के सारे मर्द घोडे बेच के सोते हैं?

सीरियल की हीरोइन हमेशा रोती रहती है,
कभी चूडियाँ तोड़ती है, तो कभी फिर चढाती है।

सीरियल में कई शादियाँ और पुनर्जन्म दिखा रहे हैं,
वे आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखा रहे हैं?

खलनायिका तो षड्यंत्र के ताने बाने बुनती है ,
हर समय ओट में खड़ी सबकी बातें सुनती है ।

सीरियल में आ के उम्र मानों ठहर जाती हैं,
सभी पात्रों के बालों में सफेदी कभी नहीं आती है ।

अगर ऐसे सीरियल कई-कई साल चलते रहेंगें,
हमारे घरों में सभी रिश्ते और संस्कार सड़ते रहेंगें ।।

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