रविवार, 20 दिसंबर 2009

आप सबका प्यार और आशीर्वाद.... मेरा आभार...और मिलिए मेरी सन्यासन गर्ल फ्रेंड से....: महफूज़



मेरा लेख "जानना नहीं चाहेंगे आप संस्कार शब्द का गूढ़ रहस्य? एक ऐसा शब्द जो सिर्फ भारत में ही पाया जाता है... :- महफूज़" का प्रकाशन दिनांक १९/दिसंबर/२००९ को राष्ट्रीय हिंदी दैनिक 'अमर उजाला' के सम्पादकीय पृष्ठ पर जिनका मैं आभारी हूँ. मैं अपनी इस सफलता का श्रेय सर्वप्रथम मम्मी जी रश्मि प्रभा जी को देता हूँ जिनका आशीर्वाद हमेशा से मेरे साथ है. मैं आदरणीय समीरलाल जी का भी आभारी हूँ जिन्होंने हमेशा से ..जब से मैंने ब्लॉग्गिंग शुरू कि ... मेरा मार्गदर्शन किया... मुझे हमेशा अच्छा लिखने को प्रेरित किया... जब जब मेरा संबल टूटा आपने मुझे संभाला... मैं आपका आभारी हूँ. 


मैं श्री. अजित वडनेरकर जी का भी आभारी हूँ.... जिन्होंने हमेशा मेरे लेखन को निखारने में मेरी मदद की... मैं श्री. अजित जी से मुआफी भी चाहता हूँ... कि कई जगह पर मैंने आपकी बात नहीं मानी... जिसका असर मेरे लेखन पर भी पड़ा..अभी दो दिन पहले मैंने आपसे शिकायती लहजे में झगडा भी किया... पर आपका बड़प्पन ... आपने मेरे शिकायत को बाल-सुलभ प्रवृत्ति कह कर बहुत खूबसूरती से नज़रंदाज़ कर दिया...   आपकी हर बात को ध्यान में रख कर ... गंभीर लेखन पर ध्यान दूंगा.... आप ऐसा ही आशीर्वाद बनाये रखिये..


मैं श्री. शरद कोकस जी के बारे में क्या कहूँ.... अगर यह नहीं होते तो शायद मैं कई मोड़ पर टूट गया होता.... आप चौबीस घंटे मेरे साथ रहते हैं... भावनात्मक रूप से हमेशा मेरे साथ रहते हैं... मैं इन्हें रात के ३ बजे भी उठा कर परेशां करता हूँ... कई बार मेंटली परेशां रहा तो इन्हें २ बजे जगाया.... और आप भी ऐसे कि जब तक के मैंने फोन नहीं रखा तब तक के आप मुझसे बात करते रहे.... आप ऐसे हैं कि जिनसे हर प्रकार के इमोशन बाँट सकता हूँ.... आपका मैं आभारी हूँ.... ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये.... 


श्री. अनिल पुसदकर भैया.... आपने जो प्यार और इज्ज़त मुझे दी उसका मैं आपका बहुत आभारी हूँ...


अब श्री. गिरिजेश राव जी.... इनके बारे में क्या कहूँ? इनसे मेरी अभी हाल कि ही मुलाक़ात है.... जब कि हमारा गृहनगर एक है.... हम लखनऊ में भी एक ही जगह रहते हैं... हमारे घर भी आस पास ही हैं.... इनसे मेरा ऐसा रिश्ता बन गया है.... कि लगता ही नहीं कि हाल कि ही मुलाक़ात है... इनसे मैं अपना frustration निकालता हूँ.... और आप ऐसे कि मेरी हर अच्छे बुरे को सुनते हैं.... आपसे बातें करते हुए ...मुझे कई टोपिक्स मिले हैं.... जिन पर मैं अच्छा काम कर सकता हूँ. आप जैसा मित्र पा कर मैं धन्य हूँ. 


डॉ. अरविन्द मिश्रा जी... आपका बहुत आभारी हूँ. आप मुझे बहुत अच्छे से समझते हैं, स्नेह बनाये रखिये.


वाणी दी... आपका भी बहुत आभारी हूँ... मैं इन्हें बहुत परेशां करता हूँ.... कई बार आप  मेरी टिप्पणी पर जब मुझे कहती हैं कि तू बहुत पिटेगा.... तो मैं अभीभूत हो जाता हूँ....  आपका स्नेह इस छोटे भाई पर ऐसा ही बना रहे. 


श्री.पाबला जी... आप ऐसे शख्स हैं .... जिनके कंधे पर मै सर रख कर रोता हूँ... और आपकी वो सांत्वना वाली थपकी मैं यहाँ महसूस करता हूँ. आपका भी आभारी हूँ. 


कहते हैं कि पिछला जन्म जैसी कोई चीज़ नहीं होती.. अगर होती है... तो श्री खुशदीप सहगल भैया... ज़रूर पिछले जन्म में मेरे भाई रहे होंगे, आपके स्नेह से मैं अभिभूत हूँ. 


श्री. एम्.एल. वर्मा जी... आपके स्नेह में मैं डूबा रहता हूँ. स्नेह बनाये रखिये.


श्री. जी.के. अवधिया जी... आप अपना स्नेह व आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये..


श्री. रूपचंद्र शास्त्रीजी... आप मेरे पितातुल्य हैं... आपके द्वारा दिया गया मार्गदर्शन... ने हमेशा मेरे लेखन में एक निखार लाया. आपको सादर वंदन. 


श्री.राजीव तनेजा जी... आपका आभार... आप जैसा मित्र अपने जीवन में पा कर मैं धन्य हूँ...


श्री.अजय कुमार झा जी... आपका संबल हमेशा मेरे साथ रहा है. 


श्री.अलबेला खत्री जी...आपका भी बहुत आभारी हूँ... अभी परसों आपका प्रोग्राम टी.वी. पे देखा .. तो रात में बारह बजे आपको मैंने डिस्टर्ब किया... स्नेह बनाये रखिये..


 शिवलोक जी, राजे शा जी, पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी, ललित शर्मा जी, विनय जी, ताऊ जी, योगेन्द्र मौदगिल जी, राज सिन्ह जी, 
मनोज कुमार जी, सी.एम्. परशाद जी, डॉ. टी. एस. दराल जी, धीरू सिंह जी, divine preaching ji, डॉ. टी. एस. दराल जी, syed , 
परमजीत बाली जी, विवेक रस्तोगी जी,  जयंती जैन जी, गिरीश बिल्लोरे जी, महेंद्र मिश्र जी,  अजय कुमार जी, का भी
आभारी हूँ... आप सबके कमेन्ट मेरा हौसला बढ़ाते हैं.


रश्मि रविजा जी.... आपका आभारी हूँ, आपने हमेशा मेरा अच्छा चाहा है.. छोटे भाई की गलतियों को नज़रंदाज़ करते हुए.. हमेशा अच्छा समझाया, और ज़रूरत पड़ने पर डांटा भी.


शिखा वार्ष्णेय जी... आपने हमेशा मेरे लेखन को संपादित कर के ... एक मूर्त रूप दिया है. हिंदी में बहुत स्पेलिंग मिस्टेक करता हूँ न... आज आपका जन्मदिन भी है. आपको बहुत बहुत बधाई.


वंदना गुप्ता जी... मैं आपका बहुत आभारी हूँ.. आपको बड़ी बहन के रूप में पा कर मैं अभीभूत हूँ... जब जब मैंने गलत किया या लिखा आपने हमेशा मुझे समझाया... और मुझे गुस्से पर कण्ट्रोल करना सिखाया..


मीनू दीदी... आपके स्नेह से मैं अभिभूत हूँ. आपने हमेशा मेरी प्रशंसा की और मुझे अच्छा लिखने को प्रेरित किया....


अदा जी... आपके बारे में क्या कहूँ? आपने तो मेरा हर अच्छे बुरे में साथ दिया...  


मैं निर्मला कपिला mom, का भी बहुत आभारी हूँ... आपका आशीर्वाद ऐसे ही बना रहे.


लावण्या शाह जी.... एक दिन आपसे बात करते हुए ...कब मूंह से माँ संबोधन निकल गया पता ही नहीं चला.... आपके स्नेह से अभिभूत हूँ, आप ऐसे ही स्नेह व आशीर्वाद बनाये रखिये...


पी.सी.गोदियाल जी... आप जैसा मित्र पा कर मैं धन्य हूँ.


सुरेश चिपलूनकर जी... आप जैसा बड़ा भाई पा कर मैं अभिभूत हूँ. स्नेह बनाये रखिये.


महाशक्ति (परमेन्द्र), सौरभ चैटर्जी,मुरारी पारीक, दीपक, दिगंबर नस्वा, रवि श्रीवास्तव, राकेश सिंह, संजय बेंगानी, ओम् आर्य,जाकिर अली व सलीम खान जैसे मित्र मेरे जीवन में एक ख़ास जगह रखते हैं. 


संगीता पूरी जी, इंदु पूरी जी, सीमा गुप्ता जी, संगीता जी, बबली जी, अल्पना वर्माजी, हरकीरत जी , रचना दीक्षित जी, वंदना अवस्थी जी, प्रज्ञा पाण्डेय जी, फिरदौस खान जी, अलका सर्वत जी, रेखा दी, सुनीता शानू दी, शबनम खान, कविता किरण जी, तरन्नुम, सदा (सीमा सिघल) जी , ख़ुशी जी, दीप्ती, आशा जोगलेकर जी, शेफाली पाण्डेय जी, शोभना चौधरी, शमाजी, प्रीती दी, साधना जी, संध्या गुप्ता जी, रंजना भाटिया जी, ज्योति सिंह जी, ज्योति वर्मा... आपका सबका बहुत आभारी हूँ... आप सबकी टिप्पणियां.... मेरा हौसला बढ़ाती हैं... आप सबके स्नेह से मैं अभिभूत हूँ. 


मैं अपने छोटे भाइयों:०-
१. मिथलेश दुबे
२. अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी 
३. अम्बुज
४. अमृत पाल सिंह 
५. दर्पण 
५. अपूर्व
५. अर्कजेश
६. संजय व्यास
७. प्रतीक
८. सागर
९. सुलभ सतरंगी
१०. कुश
११. अनिल कान्त
१२. प्रबल प्रताप सिंह
१३. शिवम् मिश्र
१४. पंकज मिश्र 
१५. शाहिद मिर्ज़ा
१६. विनोद कुमार पाण्डेय
१७. चन्दन कुमार झा 
१८. श्रीश पाठक
१९. संजय भास्कर
२०. हिमांशु
२१. संजय भास्कर 
२२. लोकेन्द्र
२३. अबयज़ खान

का शुक्रगुज़ार हूँ. मेरे छोटे भाइयों का स्नेह हमेशा मेरे साथ रहा है. मिथलेश से अगर एक दिन बात नहीं होती है तो बहुत बेचैनी बढ़ जाती है. 
अंत में मैं अपनी रामप्यारी का थैंकफुल  हूँ...  जिससे की मैं बहुत प्यार करता हूँ.... यह मेरी ब्लॉगर गर्ल फ्रेंड है... मैं अपने फ्लर्ट के लिए विश्व-प्रसिद्ध हूँ... (यह मेरा ही फैलाया हुआ भ्रम है...) अरे! भई होऊं भी क्यूँ न? पर रामप्यारी से पूछ लीजिये .... मैं इसके प्यार में दीवाना हो चुका हूँ.... यह एक ऐसी लड़की है मेरी ज़िन्दगी में जिसको मेरी पर्सनिल्टी से कभी कोई काम्प्लेक्स नहीं होता...  मेरी पिछली सारी गर्ल फ्रेंड्स मुझे छोड़ के भाग गयीं.... काम्प्लेक्स में.... पर यह हमेशा मेरे साथ रही है.... आजकल इसने संन्यास ले लिया है...देखिये इसको ज़रा... 

इसके प्यार में मैंने भी संन्यास ले लिया है.... 

हम दोनों अब बाबा समीरानंद जी के आश्रम में धूनी रमाते हैं... 


मैं उन् लोगों का भी शुक्रगुज़ार हूँ.... जो मुझे गन्दी टिप्पणियां लिखने के लिए मजबूर करते हैं.... (शोर्ट टेम्पर्ड जो ठहरा..) उनकी अपेक्षित प्रतिक्रिया से मेरी कार्य उर्जा में बढ़ोतरी होती है. और मेरे शुभचिंतक मेरी कथित खराब टिप्पणियों को पढने के बावजूद भी मुझे समझते हुए स्नेह कि बारिश करते हैं.. मेरे साथ प्रॉब्लम सिर्फ यही है कि अगर कोई मुझे बिना मतलब में खराब बोलता है.... तो उसको मेरा खराब वाला रूप ही  देखना पड़ेगा.... मेरा एक उसूल है आप मुझे झापड़ मारोगे तो मैं गोली मारने में विश्वास रखता हूँ.... आप मुझे एक गाली दोगे तो सौ सुनेंगे.... मैं अपने दोस्तों कि बेईज्ज़ती कभी नहीं बर्दाश्त कर सकता ...चाहे वो रियल वर्ल्ड के हों  या फिर वर्चुअल के...


अंत में आप सबका फिर से आभार, बड़ों को प्रणाम.. व छोटों को ढेर सारा प्यार. रामप्यारी... आई लव यू. 


(लिंक यहाँ जानबूझ कर नहीं दिया है, क्यूंकि सब एक-दूसरे को जानते हैं..)
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