रविवार, 20 मई 2012

और किसी को कुछ कहना या लिखना है तो लिख ले भाई..: महफूज़


काफी दिनों (दस दिनों के बाद) के बाद नेट पर आना हुआ है. वजह बहुत सिंपल सी थी कि मैं अपने अकैडमिक कौन्फेरेंस के लिए बाहर था और नेट के एक्सेस में नहीं था और इंटरनेश्नल रोमिंग की सुविधा मेरे मोबाइल में नहीं थी. लौट कर आया तो दिल्ली से सीधे अपने गृह नगर गोरखपुर चला गया वहां भी नेट का एक्सेस नहीं था कि गोरखपुर में फ़ोन आया कि भई मेरे खिलाफ कोई मेल सर्कुलेट कर रहा है. मैंने कहा कि भई करने दो क्या फर्क पड़ता है? तो मुझे बताया गया कि मेरी कविताओं के पब्लिकेशन पर कोई रिसर्च कर रहा है तो कोई मेरे फेसबुक प्रोफाइल  पर पी.एच.डी. कर रहा है. 

आज लौटा हूँ तो शिवम् ने मुझे वो मेल फॉरवर्ड की और किसी ब्लॉग का लिंक भी दिया. हालांकि मुझे कुछ  कहना तो नहीं है. लेकिन आज मैं ख़ुद अपने बारे में और भी ब्लॉग जगत को बताना चाहूँगा जो ब्लॉग जगत में खुशदीप भैया, शिवम्, ललित शर्मा, अनूप शुक्ला (फुरसतिया), शिखा (यह मेरे बारे सब कुछ जानतीं हैं), अंजू चौधरी, रश्मि रविजा, रेखा श्रीवास्तव , इंदु पूरी, अजित गुप्ता और पवन कुमार (आई.ऐ.एस) जानते हैं क्यूंकि यह सब मेरे घर आ चुके हैं. लेकिन आज जब वो मेल सर्कुलेट हो रही है तो मैं यह बता दूं भई कि मेरे बारे में जो भी जितना खोदेगा उतना ज़्यादा  निकलेगा. वो मेल कहती है कि मैंने अपने फेसबुक प्रोफाइल में MHRL नाम की संस्था का ख़ुद को चेयरमैन और सी.इ.ओ. बताया है. 

हाँ! भई बताया है.. लेकिन जिस MHRL का लिंक उस पर बन कर आ रहा था मैं उसका चेयरमैन नहीं हूँ और ना कभी था और ना कभी होऊंगा. बताइए किस फ्रस्ट्रेशन में उस आदमी ने क्या क्या खोज निकाला. अरे भई... मैं ख़ुद मल्टी-मिलियनेयर और इंडस्ट्रीयलिस्ट हूँ. मेरी अपनी मेडिकल कंपनी Medica Herbals and Research Laboratory (MHRL) है और मैं अपनी कंपनी का चेयरमैन, डाइरेक्टर, और सी.इ.ओ हूँ...(website link attached herewith the line) मेरी यह कंपनी पांच साल पुरानी है और इसकी वेबसाइट भी पांच साल पुरानी है.कभी बताया नहीं तो इतना कुछ लिख दिया...पता नहीं लोग क्यूँ सबको अपने जैसा ही गरीब गुरबा ही समझते हैं? मेरे और भी बहुत सारे बिज़नेस हैं. कानपुर और गोरखपुर में हमारे अब स्कूल चलते हैं (अभी हाल ही में शुरू किये हैं, इसका भी आईडिया एक बार अनूप शुक्ला जी ने ही दिया था). 

हमारी फैक्टरी की एक यूनिट कानपुर के दादानगर में भी लग रही है. अगर मेरे फेसबुक प्रोफाइल में MHRL का लिंक अगर कोई Mental Health Resource League for Mchenry County (MHRL) का  आ गया तो मैं क्या करूँ? मैंने कभी उस ओर ध्यान भी नहीं  दिया..ना ही कभी ध्यान गया. वो तो उन महाशय ने ध्यान दिलाया।..और वो महाशय चल पड़े मेरे बारे में लिखने बिना जांचे परखे, पर  एक चीज़ तो है कि यह पता चल गया कि चार अक्षर क्या क्या कर सकते हैं... और अक्षर क्या कमाल दिखा सकते हैं.? मेरी अपनी दवा कम्पनी है, मेरे कई सारे ठेके चलते हैं और इन सबके साथ मै एकेडेमीशियन भी हूँ. भई मैं यह बता दूं कि मुझे हमेशा टॉप पर रहने की आदत रही है.. मुझे सिविल सर्विस में आई.ऐ.एस. नहीं मिला था तो मैंने आई. ऐ.ऐ.एस (आई.ऐ.एस. अलाइड) की नौकरी छोड़ दी. और कोई नौकरी  मैं कर नहीं सकता था तो लेक्चरार, अब असोसिएट प्रोफ़ेसर (यही एक ऐसी नौकरी है जहाँ सब- ऑर्डिनेशन नहीं है) बन गया. इन सबके अलावा मैं एक रिफाइंड गुंडा भी हूँ. शारीरिक रूप से बहुत स्ट्रोंग हूँ तो दो-चार आदमियों को अकेले संभाल लेता हूँ. पहलवान भी हूँ, एजुकेशनिस्ट भी हूँ, बिजनेसमैन भी हूँ, राइटर भी हूँ और हैंडसम भी हूँ... और राजनीतिग्य भी हूँ. इसके बाद भी जितना खोदोगे उतना ज़्यादा निकलेगा.  अब भाई मुझे ऊपर वाले ने बहुत सुंदर बनाया है अच्छी शक्ल सूरत के साथ, अच्छा शरीर, और अच्छा पैसे वाला भी बनाया है तो एक अलग ऐटीट्युड तो रहेगा  ही रहेगा. और उन सबसे भी ऊपर बात यह है कि मैं रियल मर्द हूँ.. मुझे जिसे भी गाली देनी होती है मैं मुँह पर देता हूँ.. मुझे जिसे भी मारना होता है घर के अंदर घुस कर मारता हूँ (मारने से पहले सम्बंधित थाने में ख़बर कर दी जाती है की एक घंटे बाद आना). जो नामर्द होता है वो छिप कर और पीठ पीछे वार करता है. अरे भाई आमने सामने की लड़ाई लड़ो ...यह क्या बिना जाने समझे  किसी को भी चल पड़े लिखने.. मेरे बारे में जितना  भी लिखोगे उतना ही मुँह की खाओगे.. अभी यह जितना भी बताया हूँ ...ख़राब   तो लग रहा है मुझे यह सब बताने में क्यूंकि आज तक मैंने अपना  यह प्रोफाइल कभी बताया ही नहीं. वो बताइए मुझसे सावधान रहने की कोशिश करवा रहा है और ख़ुद गायब है. अरे मुझसे सावधान रहने की ज़रूरत इन्ही जैसे लोगों को है जिस दिन पता चल गया मुझे तो छोडूंगा नहीं. मुझे उन लोगों से लड़ने में ज़्यादा मज़ा आता है जो क्षत्रिय और मर्दों की तरह लड़ते हैं. 

भई! मैं तो बचपन से लेकर आज तक पोपुलर रहा हूँ और आने वाले दिनों में रहूँगा. जो भी मेरे बारे में जितना खोदेगा उतना ज़्यादा पायेगा. रही बात कोई मेरे कविताओं के बारे बात करने का ...तो वो मैं जर्मनी से लौट कर आने के बाद बताऊंगा. और भई मैं सरकारी मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रख्यात अंग्रेज़ी का राइटर हूँ.. हिंदी का नहीं हूँ.. हिंदी में तो यही सब बेवकूफियां करने आया हूँ..तो भाई ग़रीब गुरबों.. मुझसे चंदा लेने आओ.. और जितना खोद सकते हो उतना खोदो.. तुम मुझे जितना खोदोगे ... उतना नया महफूज़ सामने आएगा ...अच्छा है तुम्हारे लिखने  से मैं ही पोपुलर हो रहा हूँ.. और मुझे अपने बारे में और बताने के लिए मौका मिल रहा है.  वैसे तो मैं जानता हूँ कि यह कौन लोग हैं मेल सर्कुलेट करने वाले लेकिन बस मैं अब फ़ालतू लोगों के मुँह नहीं लगता. आफ्टर ऑल आई हैव सम लेवल..   खुशदीप भैया ने एक बार एक जोक लिखा था कि एक पूछता है दूसरे से कि मेरे पास ब्लॉग है, ऑरकुट है, फेसबुक है और ट्विट्टर है ...हईं! तुम्हारे पास क्या है? तो दूसरा जवाब देता है कि मेरे पास काम धंधा है. तो भाई लोगों मेरे पास भी काम धंधा है.. मैं यह सब ब्लॉग्गिंग जैसी फ़ालतू एक्टिविटी खाली टाइम में ही करता हूँ. कितना फ़ालतू टाइम है लोगों के पास .. बाप रे बाप.. 

मैं उस मेल करने वाले का शुक्र-गुज़ार हूँ कि मेरे पीठ पीछे मुझे और पोपुलर कर दिया.. और मुझे घर बैठे इतनी पोपुलैरिटी दिलवा दी कि बहुत सारे लोगों के मेल और फ़ोन आने लग गए. अभी यह जितना भी मैंने ख़ुद के बारे में बताया है वो भी कम है. अभी मैं फ़िर बाहर जा रहा हूँ.... अब देखता हूँ कि लौट कर और कितनी पौपुलैरिटी मिली है.. आज बिना मतलब में खुद के बारे में जो छिपाया हुआ था।...उसी के बारे में इतना मूंह खुलवा दिया।

अब मेरा फेवरिट गाना : 
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