गुरुवार, 10 सितंबर 2009

काश! कोई तो समझ पाता मेरे दिल के हालात् !


काश! कोई समझ पाता मेरे दिल के हालात् !

कैसे कहूँ? हैं लफ्ज़ नहीं ...................

कहने को.................. ॥


एक दिन था कि हसीँ लगती थी दुनिया सारी

यह चिलचिलाती धूप भी,

हमें लगती थी प्यारी॥


आज तुम नहीं तो कुछ नहीं,

सारी दुनिया ही बेकार है

यह ज़िन्दगी रही ज़िन्दगी नहीं,

अब तो यह ज़िन्दगी बेज़ार है॥


तुम्हारे न होने से ,
काटने को दौडे यह चांदनी,
रो पड़ता हूं कभी कभी ,
जब आती हैं यादें पुरानी
दिल तो रो रहा है,
पर आँसू बहते ही नहीं ,
शायद वे भी समझ न सके ,
मेरे दिल के हालात् ॥


बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥ ॥ ॥




महफूज़ अली
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Clonee viewed 'हॉर्न ओके प्लीज (Horn OK Please): Mahfoo' 1 day 8 hrs ago
A visitor from Delhi viewed 'लेखनी...' 13 days 22 hrs ago
A visitor from Indiana viewed 'लेखनी...' 23 days 8 hrs ago
A visitor from Suffern viewed 'लेखनी...' 23 days 18 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 26 days 7 hrs ago
A visitor from Louangphrabang viewed 'लेखनी...' 1 month 14 days ago