सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

आईये जानें 11, 51, 101, 501, 1001 जैसे रुपयों को गिफ्ट के रूप में क्यूँ देते हैं? : महफूज़ (Mahfooz)

हम सब लोग अक्सर शादी-ब्याह, जन्मदिन, और ऐसे ही और किसी शुभ अवसर पर 11, 51, 101, 501, 1001 जैसे रुपयों को गिफ्ट के रूप में देते हैं जिन्हें हम शगुन कहते हैं. क्या कभी हम लोगों ने सोचा है कि आख़िर यह औड (Odd) नंबर्स में ही क्यूँ हम लोग शगुन देते हैं? और इसे शुभ क्यूँ कहते हैं? दरअसल इसका इतिहास कोई ज्यादा पुराना नहीं है... बात तबकी है जब भारत में 1542 में शेर शाह सूरी ने पहली बार रुपये छापे. इन रुपयों के छपने से पहले चांदी के किसी भी वज़न के सिक्कों को रूपया कहा जाता था. "रुपये' शब्द का चलन शेर शाह सूरी ने ही चलाया और इसी रुपये के साथ 'आना" का भी आविष्कार हुआ मगर 'आना' उस वक़्त उतना पोपुलर नहीं हुआ और वक़्त के साथ धीरे धीरे प्रचलन में आया. 

उस ज़माने के लोग हर त्यौहार, रस्म-शादी-जन्म जैसे अवसरों पर बीस आना का दान करते थे. इस बीस आने की वैल्यू एक रुपये पच्चीस पैसे के बराबर हुआ करती थी. उस ज़माने में बीस आने की बहुत कीमत हुआ करती थी. सारे दान वगैरह बीस आने के रूप में ही दिए जाते थे. धीरे धीरे वक़्त बदला और बदलते वक़्त के हिसाब से बीस आना भी बदला. बाद में रुपये की कीमतों में परिवर्तन की वजह से बीस आने में भी परिवर्तन हुआ तो यह परिवर्तन इवन नंबर्स में आया जिसके आख़िर में जीरो यानि कि शून्य आने लगा और शून्य को अपशगुन माना जाने लगा और लोगों ने इस शून्य को हटाने के लिए एक का इस्तेमाल किया और तबसे यह आजतक प्रचलन में है. 

जीरो यानि कि शून्य का एक मतलब यह भी होता था कि लेन-देन का व्यवहार ख़त्म...इसलिए भी शून्य से बचते थे. एक ज़माने में बीस आने का दान "महादान" कहलाता था. हिन्दू धर्म में इसके रेगार्डिंग एक बात और प्रचलित है वो यह कि शगुन देते समय मूल धन (Principal Amount) जैसे कि 500 रूपये वो हम आपकी ज़रूरतों के लिए आपको दे रहे हैं और जो एक रूपया हम अलग से जो आपको दे रहे हैं उसे आप सही (बुरे) वक़्त के लिए बचा कर रखें या कहीं इन्वेस्ट या दान करके अपनी सम्पत्ति और कर्मों में इजाफा करिए. कहते हैं जब दो अलग सभ्यता एक दूसरे के साथ रहने लगती है तो एक दूसरे के संस्कार और कुछ अपनाये जा सकने वाले रीति-रीवाज़ों को भी अपना लेती है यही कारण है कि 'हिन्दू धर्म की यह दानशीलता भारतीय मुसलमानों' में भी पायी जाती है. शगुन के यह रुपये मुसलमान भी वैसे ही शुभ अवसरों पर देते हैं जैसे कि हिन्दू.
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Singapore viewed 'लेखनी...' 2 days 12 hrs ago
A visitor from Singapore viewed 'लेखनी...' 3 days 3 hrs ago
A visitor from Santiago viewed 'लेखनी...' 5 days 18 hrs ago
A visitor from London viewed 'लेखनी...' 5 days 18 hrs ago
A visitor from Makiivka viewed 'लेखनी...' 5 days 18 hrs ago
A visitor from Dallas viewed 'लेखनी...' 10 days 5 hrs ago
A visitor from Dallas viewed 'लेखनी...' 10 days 5 hrs ago
A visitor from New york viewed 'लेखनी...' 15 days 2 hrs ago
A visitor from New york viewed 'लेखनी...' 15 days 2 hrs ago
A visitor from Singapore viewed 'भगवान् राम' 20 days 22 hrs ago