गुरुवार, 29 जुलाई 2010

आज दो  बड़े ही अजीब इंसिडेंट हुए मेरे साथ.... पहले इंसिडेंट में हुआ यह कि आज मैं टी. वी. देख रहा था शाम की चाय के साथ... तो सोचा कि चैनल चेंज कर लूं... तो रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगा... तो चैनल चेंज ही नहीं हुआ... बहुत कोशिश की ... रिमोट के बटन को खूब जोर से भी दबाया... लेकिन चैनल चेंज नहीं हुआ... बहुत जोर से गुस्सा आया... तो रिमोट उठा कर दीवार पर दे मारा... रिमोट टूट फूट कर बिखर गया... जब ज़मीन पर देखा तो वो मेरा रिमोट ना हो कर ....मेरा मोबाइल था... बेचारे के अस्थि-पिंजर अलग हो चुके थे... वो तो अच्छा  हुआ कि सस्ता मोबाइल था... पांच हज़ार रुपल्ली का.. नहीं तो कहीं मेरा सैमसंग कॉरबी  प्रो होता तो हार्ट अटैक ही हो जाता... अच्छा मुझे गुस्सा भी कई बार बिना मतलब के आता है... जब आता है तो घर के कई सामान टूट फूट जाते हैं.... ऐसे ही एक बार क्या हुआ कि मेरे पास एल.एम्.एल स्कूटर था ... अभी ज्यादा पुँरानी बात नहीं है... हुआ क्या कि ... गोमतीनगर थाने के पास चेकिंग चल रही थी... ट्रैफिक रुका हुआ था... शायद उस दिन कोई मर्डर हुआ था.. इसलिए चेकिंग चल रही थी... मैंने भी स्कूटर रोक दिया... पुलिस वाले मुझे चेक नहीं करते... सब पहचान वाले हैं... लेकिन मेरा स्कूटर बंद हो गया... बहुत किक मारी स्टार्ट नहीं हुआ... गुस्सा आया ....सामने पान की दूकान थी... वहां से माचिस लिया... और थाने के बगल में ही स्कूटर में आग लगा दी... आज भी वो गोमतीनगर थाने में दो साल से पड़ा हुआ है....  वो तो अच्छा हुआ कि मैं स्कूटर से था... अगर कार से होता तो क्या होता... यह मेरे फादर सोच रहे थे... उस वक़्त वो ज़िन्दा थे... मेरे फादर मुझे बहुत एरोगेंट समझते थे... मेरे फादर मुझे कहते थे कि मैं अपने आप को अमिताभ बच्चन समझता हूँ... जबकि मैं सही बता रहा हूँ कि मुझे फिल्म स्टार्ज़ से कम्पैरीज़न बिल्कुल भी पसंद नहीं है... बहुत लम्बा हो जायेगा ...सेल्फ-ऐप्रेसियेशन ... (मैं बहुत आत्म-मुग्ध किस्म का इंसान हूँ) .... अब दूसरे इंसिडेंट पर आता हूँ...


दूसरा इंसिडेंट हुआ यह कि पिछली पोस्ट लिखी थी एक्सिस बैंक के बारे में... तो एक्सिस बैंक में मोनिका नाम कि लड़की है... मुझे उसे अपनी कुछ डिटेल्ज़ मेल करनी थी... वो मैंने उसे कर दी... लेकिन हुआ क्या कि मैंने अपने जीमेल में सिग्नेचर में अपने ब्लॉग का लिंक दिया हुआ है... वो लिंक भी उसके पास चला गया...  मैं एक्सिस बैंक  मोनिका के चैंबर में पहुंचा दुसरे दिन ... तो मोनिका ने बहुत प्यार से मेरी धोयी ... वो भी बिना पानी के... उसने मेरा पहले बैंक का काम किया... फिर मुझसे मेरी हौबीज़ के बारे में बात करने लगी... मैंने बताया कि रीडिंग, राईटिंग और ट्रैवलिंग मेरी हौबी है... फिर उसने मुझसे लिट्रेचर पर भी बहुत सारी बातें की... डैन ब्राउन से लेकर ... प्रेमचंद, प्रेमचंद से लेकर मिल्टन जॉन, मिल्टन जॉन से गोर्की.. और भी बहुत सारी बातें... उसने सब्जेक्ट्स पर भी बातें की.. मैं बहुत इम्प्रेस्ड हुआ... और जब चलने को हुआ तो कहती है कि आपका ब्लॉग पढ़ा था... मेरा हाल ऐसा हुआ कि एयर-कंडीशंड कमरे में भी कान के पीछे से शर्म के मारे पसीना चू गया...   मैं वापस बैठ गया... और आधे घंटे तक उसे दुनिया भर के एक्स्प्लैनैशन देता रहा ... मेरे यह समझ में आ गया.. कि कभी भी किसी लड़की को अंडर-एसटीमेट नहीं करना चाहिए...  साला! यह सुपीरियरटी  कॉम्प्लेक्स  भी ना ... जो ना करा दे...  मोनिका समझ गयी कि मैं अब अनिज़ी फील कर रहा हूँ...  मैं वही सोचा कि बहुत बुरे तरह से मोनिका ने धो दी... लेकिन शाम मोनिका का फ़ोन आया... हंस रही थी... लेकिन उसने बहुत अच्छे से काम-डाउन किया... मैं जब बैंक से बाहर आया था... तो यह इंसिडेंट सबसे पहले अजित गुप्ता ममा को फ़ोन कर के बताया... ममा भी बहुत हंस रही थीं... 

अरे! हाँ बैंक में मुझे समीर लाल जी के एक डुप्लीकेट भी मिले... धीरे से उनकी फोटो भी ले ली... ऐट फर्स्ट ग्लांस में यह साहब मुझे समीर लाल जी  जैसे ही लगे... बस इन साहब के सर पर बाल कम हैं...  लेकिन काफी हद तक सिमिलैरीटीज़ हैं...  फोटो देखिये... और बताइयेगा कि  क्या वाकई में सिमिलैरीटीज़ हैं....?  


अब फिर से थोडा खुद को सीरियस कर लूं... एक कविता लिखी है... मुझे पसंद आई है लिखने के बाद.... यह कविता भी स्व. सुभाष दशोत्तर जी को पढने के बाद ही लिखी है... सोच रहा हूँ... कि स्व.सुभाष दशोत्तर जी के जीवन और रचनाओं पर एक ब्लॉग बनाऊं ....मेरी कविता को पढने के बाद बताइयेगा... कि क्या आप लोग भी श्री. सुभाष जी को पढना चाहेंगे...? तो पेश है कविता...

अजनबी मेरे शब्दों को चुरा ले गया.....

एक अजनबी मेरे शब्द 
अपने साथ चुरा ले गया,
उसने उन्हें अपने
अनुसार ढाल कर
मेरे नाम से कसबे में बिखेर दिया....
और मैं
गालियों की बौछार झेलता हुआ
उस घटना से  अपरिचित हूँ 
क्यूंकि मैं 
दो असम्बद्ध वाक्यों में 
कॉमा का प्रयोग 
नहीं कर पाता हूँ. 

पोस्ट ख़त्म करने से पहले एक बात और याद आ  गयी... मेरी एक फ्रेंड थी..  वोह मुझे समझाती थी... कि महफूज़ ...कभी भी किसी दोस्त को अपना नौकर मत बनाना और कभी अपने नौकर को अपना दोस्त मत बनाना... असफल लोगों से दूर रहना... अनपढ़ और नासमझ लोगों से बहस मत करना... और अपने विरोधियों को कभी कोई जवाब मत देना... और मैं .... साला! यहीं फेल हो गया... एक भी उसकी बात पर अमल नहीं कर पाया... पर अब करूँगा.. 

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

मैंने अपने खोने का विज्ञापन अखबार में दे दिया है...: महफूज़

आज बहुत दिनों के बाद वक़्त मिला है कुछ लिखने का... वक़्त क्या .... समझ लीजिये मूड... बना है. इस दौरान सिर्फ पढ़ा है... और खूब पढ़ा है... लिखा भी है... वक़्त की कमी तो है ही... पर  वो कहते हैं ना कि वक़्त निकालना पड़ता है , सो, आज वक़्त निकाल लिया... एक बड़े गुमनाम से कवि हैं...श्री. सुभाष दशोत्तर जिनका देहांत १९७७ में ही हो गया था... उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने १९७७ में सम्मानित भी किया था... उनकी लिखी बहुत सी रचनाएँ... पढ़ीं.... उनको पढ़ कर ऐसा लगा कि ... अगर इन्हें नहीं पढ़ा तो कभी साहित्य नहीं पढ़ा.. मगर अफ़सोस शायद ही उन्हें कोई जानता हो या फिर किसी ने उनका नाम सुना हो... सुना है कि १९७७ में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें बहुत मजबूरी में सम्मान दिया था... क्यूंकि वो किसी लौबी में शामिल नहीं थे... नहीं तो यहाँ .... एक से एक नालायक बैठे हैं... जो लॉबिंग करके कई पुरुस्कार पा लेते हैं... और ख़ुद को लेखक/कवि बोलने लगते हैं... 


अच्छा! आजकल मैं बहुत घमंडी किस्म का हो गया हूँ... पता नहीं यह घमंड है या फिर सेल्फ-कॉन्फिडेंस ... या फिर सुपीरियरटी कॉम्प्लेक्स... मुझे तो घमंड लगता है... आजकल मैं बहुत चूज़ी भी हो गया हूँ .... पहले मैं लड़कियों की खूबसूरती नहीं देखता था... सिर्फ दिमाग़ देखता था... इंटेलिजेंट लड़कियां मुझे बहुत अपील करतीं हैं.... लेकिन, आजकल मुझे सिर्फ ख़ूबसूरत लड़कियां ही पसंद आ रही हैं... अब दिमाग़ को मैंने सेकंडरी कर दिया है... हमारे लखनऊ में इंदिरा नगर में एक्सिस बैंक है... उस ब्रांच में एक से एक सुंदर लडकियां हैं... अभी वहां अकाउंट खुलवाया है... वो भी बिना मतलब में... सिर्फ.... इसीलिए क्यूंकि वहां की एक एक्ज़ीक्यूटिव जो कि बहुत सुंदर है... उसने बहुत प्यार से कह दिया था... अब वहां रोज़ का आना जाना हो गया है... और सच कह रहा हूँ... कि वहां की जितनी भी सुंदर लड़कियां हैं...  वो सारी लड़कियां दिमाग़ से पैदल हैं... इसलिए यह भी सही कहा गया है कि सुंदर लड़कियों के पास दिमाग़ नहीं होता...हाँ! एक्सेप्शंस हर जगह होते हैं... एक्सिस बैंक फ़ाइनैन्शियल बैंक कम ब्यूटी बैंक ज़्यादा लगता है...  सुन्दरता भी क्या चीज़ है ... कितना अपील करती है... जो लोग यह कहते हैं कि सुन्दरता मायने नहीं रखती ... गलत कहते हैं... मैं ख़ुद गलत था... हम जब बाज़ार में सब्ज़ी भी खरीदने जाते हैं... तो जो सब्ज़ी सबसे सुंदर और ताज़ी नज़र आती है... उसे ही खरीदते हैं... इसी तरह हम सुंदर लोगों को भी पसंद करते हैं.... अब यह बात अलग है... कि... Beauty lies in the eyes of the beholder... 

अच्छा ! चलिए अब थोडा सा सीरियस हो जाया जाये.... बहुत तफ़रीह कर लिया .... इसी बात पे तो वाणी दीदी मुझे "नौटंकी" कहतीं हैं.... कितने प्यार से कहतीं हैं.... उनका अंदाज़ ही अलग है....आज कविता लिखी है जिसकी इंस्पीरेशन मुझे श्री.सुभाष दशोत्तर जी को पढने के  बाद मिली है... पता नहीं क्यूँ कुछ लोग मरने के बाद भी ग़ुमनाम हो जाते हैं.... तो पेश है कविता ... बताइयेगा कैसी लगी...  

मेरे खोने का विज्ञापन...

मैंने अपने खोने का विज्ञापन
अखबार में दे दिया है,
जो कोई मुझे 
तलाश कर के लाएगा,
आने-जाने के खर्च के साथ
इनाम भी पायेगा.
मेरा जोश 
अब ठंडा पड़ गया है...
अब मेरे भीतर कई विचार 
एक साथ नहीं चल पाते 
शायद ....
मेरे विचारों पर धारा 
एक सौ चव्वालिस
लागू होती जा रही है....


N.B. मेरा एक इंग्लिश पोएट्री का ब्लॉग भी है... जिसे अभी लिखना शुरू किया है... उम्मीद है पसंद आएगा... वैसे मैं इंग्लिश पोएट्री इस वेबसाईट पर लिखता हूँ... जहाँ मेरी तकरीबन सात सौ इंग्लिश कवितायेँ हैं... 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Singapore viewed 'भगवान् राम' 4 days 11 hrs ago
A visitor from Paris viewed 'लेखनी...' 4 days 23 hrs ago
A visitor from Boardman viewed 'लेखनी...' 5 days 20 hrs ago
A visitor from Clonee viewed 'हॉर्न ओके प्लीज (Horn OK Please): Mahfoo' 7 days 11 hrs ago
A visitor from Delhi viewed 'लेखनी...' 20 days 1 hr ago
A visitor from Indiana viewed 'लेखनी...' 29 days 11 hrs ago
A visitor from Suffern viewed 'लेखनी...' 29 days 20 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 1 month 2 days ago