आज मैंने फेसबुक पर सुश्री डॉ. शरद सिंह जी की एक पोस्ट से इंस्पायर्ड एक अपनी सोच के हिसाब से स्टेटस डाला कि "लोग कहते हैं कि मन की सुन्दरता देखो, लेकिन मन की सुन्दरता जैसी कोई चीज़ है ही नहीं. हम सबसे पहले बाहरी सुन्दरता ही देखते हैं. और जब हमारा कम्युनिकेशन इस्टैबलिश हो जाता है तब हम मन भी देखते हैं. हम प्यार भी करते हैं तो सुन्दरता देख कर ही.. उसके बाद मन .. मन अगर खराब होता है तो उसके बाद सारी सुन्दरता धरी रह जाती है. लेकिन मन की सुन्दरता नाम की कोई चीज़ विदाउट कम्युनिकेशन है ही नहीं और जब कम्युनिकेशन हो जाता है तो भी मन की सुन्दरता मायने नहीं रखती क्यूंकि लव एंड सेक्स एक दूसरे के कौनटेम्पोरैरी हैं.. बिना सेक्स का ख्याल लाये लव हो ही नहीं सकता".
काफी लाईक्स और कमेंट्स मिले खासकर मेसेज इन्बोक्स में. कुछ ने मुझे डेयरिंग कहा तो कुछ ने बहुत सलीके से अपनी बात रखी. ज़्यादातर लोगों ने सपोर्ट किया. मेरी कुछ महिला मित्रों ने फ़ोन पर कमेन्ट किया तो कुछ महिलाओं ने इन्बोक्स में. कुछ ने कहा कि तुम्हारा कॉन्वेंट बैकग्राउंड तुम्हे ज़्यादा एक्स्ट्रोवेर्ट बनाता है. पुरूषों ने काफी सपोर्ट किया. लन्दन स्थित तेजेंद्र शर्मा जी ने इसी बात पर एक कहानी भी लिखी थी. इसी टॉपिक पर उन्होंने मुझसे वादा किया है कि वो कहानी मुझे देंगे.
(वैसे डिस्क्लेमर नीचे लगा है)
तो मैं कह रहा था कि मन सुन्दरता जैसी कोई चीज़ है ही नहीं. अब सवाल यह है कि मन की सुन्दरता हम कैसे जानेंगे? ज़ाहिर है हम किसी के मन को तभी जानेंगे जब हम उससे पर्सनली कॉन्टेक्ट में होंगे, जब हम पर्सनली कॉन्टेक्ट में ही नहीं होंगे तो मन की सुन्दरता को कैसे जानेंगे? तो सबसे पहले हम किसी से भी पर्सनल कॉन्टेक्ट में आयेंगें और जब पर्सनल कॉन्टेक्ट में आयेंगे तो सबसे पहले उसकी बाहरी सुन्दरता ही देखेंगे. कोई भी इन्सान बदसूरत और बेढंगे लोगों को नहीं पसंद करता है... इसीलिए सबसे पहले बाहरी आवरण से ही जुड़ता है. अगर आप सुंदर हैं और सुन्दरता के साथ आपका बिहेवियर भी अच्छा है तो वो दी बेस्ट है और अगर अगर आप सुंदर होने के साथ दिल से अच्छे नहीं हैं तो सारी सुन्दरता बेकार हो जाती है. तो बाहरी सुन्दरता सबसे अहम् चीज़ है, आपने ख़ुद को कैरी कैसे किया है यह बहुत मायने रखता है. लव में मन की सुन्दरता बहुत बाद में आती है सबसे पहले तो बाहरी आवरण से ही प्यार होता है जो कि एक कम्युनिकेशन का नतीजा होता है. बिना कम्युनिकेशन के प्यार हो ही नहीं सकता. अब चूंकि प्यार और सेक्स एक दूसरे के कौनटेम्पोरैरी हैं तो इसमें भी सबसे पहले शारीरिक सुन्दरता ही आती है. कोई भी चाहे फीमेल हो या मेल अपना सेक्सुअल पार्टनर ख़ूबसूरत ही चाहता है. क्यूंकि खूबसूरती प्यार को मज़बूत करती है और यही प्यार फ़िर सेक्सुअली बौन्डिंग पैदा करता है. अगर सेक्सुअली खूबसूरती भी है तो प्यार और मज़बूत होता है. और सायकोलौजी सब्जेक्ट भी यही कहती है कि बियुटी कम्ज़ फर्स्ट देन ब्रेन. इसीलिए मन की सुन्दरता जैसी बातें सिर्फ फॉल्स आदर्शों को जताने के लिए ही ठीक रहती है. एक बात खासकर सिर्फ महिलाओं के लिए जब भी कोई पुरुष मन की सुन्दरता की बात करे तो समझ जाएँ कि वो बहुत बड़ा वाला "वो" है.
(वैसे डिस्क्लेमर नीचे लगा है)
तो मन की सुन्दरता जैसी कोई चीज़ है ही नहीं अगर है तो इसको नापने का कोई पैमाना ही नहीं है. अब सिर्फ बातों में ही कह सकते हैं. लेकिन लव हम दर्शा सकते हैं. और प्यार अगर है तो उसे दर्शाना बहुत ज़रूरी है लेकिन मन की सुन्दरता को कैसे दर्शायेंगें वो भी बिना कम्युनिकेशन के? जैसे हम मन ही मन हंसने को नहीं दर्शा सकते हैं वैसे ही मन की सुन्दरता को भी नहीं दर्शा सकते. इसीलिए सबसे पहले प्यार आता है .. रिश्तों में प्यार का होना ज़रूरी है और जब प्यार होगा तभी ना आप मन की सुन्दरता देखोगे और जब प्यार बिलकुल भी नहीं होगा तो मन की सुन्दरता भी नहीं होगी.
DISCLAIMER:
- वेयूज़ टोटली मेरे हैं।
- फ़ोटोज़ का ब्लॉग पोस्ट से कोई लेना देना नहीं है, आत्ममुग्धता भी ज़रूरी होती है। जब तक के हम खुद से प्यार नहीं करेंगे तो कोई हमसे प्यार नहीं करेगा।














