मंगलवार, 9 जून 2009

दूर देश से आते बादल, न जाने कुछ कह जाते हैं.. ...... ...



ये छोटे छोटे पल न जाने क्यूँ याद आते हैं?


कभी तो दगा देते हैं


कभी पंख लगा कर यूँ मन में


उड़ जाते हैं जंगल में


जहाँ पर छूटा बचपन का एक कोना


और


दूर देश से आते बादल


न जानें कुछ कहते हैं।


बीता पल बचपन का


मैं फिर न पा सकूं


बस, एक याद बन कर रह जाए।


आज बैठता हूँ झुंड में कभी


तो मैं कहता हूँ


हाँ!


वो मेरी यादें हैं बचपन की
और सुनाने के लिए कहानी कुछ।


उन पलों को आज भी मैं भूलता नहीं


दे जाते हैं मन को दर्द कुछ


और


दूर देश से आते बादल


न जाने कुछ कह जाते हैं॥





महफूज़ अली

4 टिप्पणियाँ:

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

mere dil ke kisee kone me ek masoom sa bachha bado ki dekh ke duniya bada hone se darta hai....boht hi khubsurat kavita....wid nice pic....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ये छोटे छोटे पल न जाने क्यूँ याद आते हैं?
कभी तो दगा देते हैं
कभी पंख लगा कर यूँ मन में
उड़ जाते हैं जंगल में
जहाँ पर छूटा बचपन का एक कोना

सुंदर भावाभिव्यक्ति .....!!

Jyoti Joseph ने कहा…

hey awesome write 10+

Alpana Verma ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है..बचपन बीत भी जाये..यादें साथ रहती ही हैं.

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