ख़्वाबों की दुनिया में जीना कितना अच्छा लगता है,
होता है वहाँ बिल्कुल वैसा जैसा कि
हम सोचते हैं।
मेरे ख्वाबों में वो आना उनका,
मुझे नींद में से जगाना उनका,
मेरे चेहरे पे अपनी जुल्फों का गिराना उनका,
अपनी खुशबू से मेरे वजूद को महकाना उनका,
वो चलना मेरे साथ उस रस्ते पे जिसकी कोई मंज़िल नही,
वो बैठ जाना किसी वीराने में मेरे साथ उनका,
और
वो तन्हाईयों को महफिल बनाना उनका।
जब -जब जागे हम नींद से आँखें मलके,
ढूँढा उन्हें तो उनका कोई निशाँ न मिला,
वो आते नहीं अब हमसे मिलने जागते हुए,
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
42 टिप्पणियाँ:
मेरे ख्वाबों में वो आना उनका,
मुझे नींद में से जगाना उनका,
मेरे चेहरे पे अपनी जुल्फों का गिराना उनका,
अपनी खुशबू से मेरे वजूद को महकाना उनका,
वाह--वाह.....।
आपकी तो
शायरी बहुत बढ़िया है।
बधाई!
वो आते नहीं अब हमसे मिलने जागते हुए,
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,.....har roj nayee taza shikayat hai unse allah re kitni mohabbat hai unse....
बहुत बढ़िया ख्याल हैं ...
भाई वाह क्या बात है। बहुत खुब
वो आते नहीं अब हमसे मिलने जागते हुए,
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
ab ham kya kahein ji
Raaj ji ne to sab kuch kah hi diya
lekin ham nahi chahte ki
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
aisa kuch bhi ho.
बहुत खूब ---
कहते है कि ख्वाब तो हकीकत की परछाई है. आँखे खोलके देखेंगे तो क्या पता वे आपके सामने हो.
बहुत सुन्दर लिखा है.
हम भी ख्वाबो मे खोने को आतुर हो गये
अरे हजूर,
फोटोवा त बहुते नीमन बा बाकि लोड्की सोवता...
और कवितवा में सपना तो रउवा न देखत बानी तो इ तो एकदम 'नींद हमारे ख्वाब तुम्हारे' वाला मामला है महराज..
बहुते बढियां !!!!!
जब -जब जागे हम नींद से आँखें मलके,
ढूँढा उन्हें तो उनका कोई निशाँ न मिला,
वाह,बहुत बढ़िया
are waah........kya baat hai !!!!!
lajawaab कहा janaab .......... kwaabon की दुनिया आप अपने hisaab से चला सकते हैं ..........
तो आजकल ख्वाबों में गुफ्तगू हो रही है
आज आपकी बहुत सी रचनाएँ पड़ी..उनकी तारीफ करना तो जैसे सूरज को चिराग दिखाना होगा.फिर भी.... ये कविता बहुत खुबसूरत एहसास लिए है.एकदम सुबह की पहली किरण की तरह...
bahut sunder,khwab hote hi khubsurat hai.
सही है .. ख्वाबों में सबकुछ मिल तो जाता है .. कम नहीं यह !!
Aapke khwaab sachhaee me tabdeel hon,...yahee dua hai..!
Din-b-din aapkaa laekhan nikhartaa ja raha hai!
बेहतरीन!!
उम्दा भावपूर्ण रचना!!
मज़ा नही आया महफूज़ और बेहतर लिख सकते हो तुम ।
O ho!
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
gr8
वाह बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! रचना का हर एक शब्द दिल को छू गई! इस बेहतरीन और लाजवाब रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
काकेशजी की बात सुनिये। बाकी अच्छा है जी।
ये एक पंक्ति मुझे बहुत अच्छी लगी.....कुछ अजीब सी कशमकश है इस पंक्ति में......
वो चलना मेरे साथ उस रस्ते पे जिसकी कोई मंज़िल नही,
regards
वो बैठ जाना किसी वीराने में मेरे साथ उनका,
और
वो तन्हाईयों को महफिल बनाना उनका।
क्या कहे बहुत ही खुब .........दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ
जब -जब जागे हम नींद से आँखें मलके,
ढूँढा उन्हें तो उनका कोई निशाँ न मिला,achhi lagi yeh lines....
ख़्वाबों की दुनिया में जीना कितना अच्छा लगता है,
होता है वहाँ बिल्कुल वैसा जैसा कि
हम सोचते हैं।
bilkul sahi... apni marji ki malik hote hai . achha hai ......
बहुत रूमानी ख्यालो से बुनी है आपने इस बार की रचना ..बहुत सुन्दर
Saarthak rachna kahi hai aapne.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अपनी खुशबू से मेरे वजूद को महकाना उनका,
वो चलना मेरे साथ उस रस्ते पे जिसकी कोई मंज़िल नही,
वो बैठ जाना किसी वीराने में मेरे साथ उनका,
और
वो तन्हाईयों को महफिल बनाना उनका।
और........
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
क्या बात है मह्फ़ूजअली। क्या लिख्खा है आपने। फ़िदा हो गये हमसब।
दुआ है अल्लाह आपको "महफ़ूज" रख्खे।
achcha hai.. happy blogging
bahut khubsurat khovab hai aapki....
अपनी खुशबू से मेरे वजूद को महकाना उनका,
वो चलना मेरे साथ उस रस्ते पे जिसकी कोई मंज़िल नही,
वो बैठ जाना किसी वीराने में मेरे साथ उनका,
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति, बधाई
बहुत सुन्दर, बुरा न माने अली साहब तो "का" की जगह "को" लिख दे ! हो सकता है कि यह आपको अच्छा न लगे, मगर क्या करे कुछ लोग आदत से मजबूर होते है !
मेरे चेहरे पे अपनी जुल्फों का [को] गिराना उनका,
बहुत सुन्दर कविता .....
Your writing skill is very striking and nice.This poem is really a nice bouquet of feelings.
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
I liked the title..the eternal truth..of ephemeral life...
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥
kya bat hai. ati sunder.
जीवन एक खिलौना है।
एक दिन सबको खोना है।
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आप लखनउ से ही हैं, यह और भी प्रसन्नता की बात है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ख्वाबों की दुनियां भी अजीब होती है…………………बहुत सुन्दर ।
हाँ तो महफूज़ मियाँ ,
ये बताएँ कि आप ख्वाबों कि दुनिया से बाहर कब आ रहे ???
Main aap sab logon ka bahut shukrguzaar hoon.........
अछि कविता है ,
haan,khwabon ki duniya me jeena achchha lgta hai ,kintu....jb haqeekat ke biyaban jangel se gujarte hai shareer aur aatma lahuluhan ho jate hai .......sb kaho ,sb likho .....
ab jo likha naa ''hm bhi hmesha ke liye so jayenge '' to....
mamma ke hath se ks ks ke jhapte khaenge.
sb likho ,aisa na likho .....kisi ke dil ko dukhae wo kavita achchhi kese ho sakatee hai ?gandi....ekdm gandi...
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