गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

इसीलिए सिर्फ प्रेम करना चाहिए..: महफूज़


अन्नपूर्णा कूड़ा फेंकने घर के बाहर आई तो देखा कि तीन बूढ़े व्यक्ति घर के बाहर वाले चबूतरे पर बैठे हैं. अन्नपूर्णा ने उन्हें नहीं पहचानते हुए कहा " वैसे तो मैं आप लोगों को नहीं जानतीं, फिर भी घर के अन्दर आईये और कुछ भोजन ग्रहण कीजिये."

"क्या घर का मालिक घर में है?" बूढों ने पूछा...
"नहीं" अन्नपूर्णा ने कहा. "वे बाहर गए हैं."

"तब हम अन्दर नहीं आ सकते".. बूढों ने कहा.

शाम को अन्नपूर्णा के पति जब घर पर आये तो अन्नपूर्णा ने दिन की घटना के बारे में बताया.

"जाओ उनको बताओ कि मैं घर पर आ गया हूँ और आदर के साथ अन्दर ले आओ.." अन्नपूर्णा के पति ने कहा...

अन्नपूर्णा बाहर आई और उन लोगों को घर के अन्दर चलने के लिए आमंत्रित किया. 

" हम एक साथ घर के अन्दर नहीं जा सकते," बूढों ने कहा...
"क्यूँ?" वो कारण जानना चाहती थी..

उनमें से एक बूढा बोला," मेरा नाम धन है तथा यह मेरे साथी सफलता और प्रेम हैं. अब तुम जाओ और अपने पति से विमर्श करके बताओ कि वो हम तीनों में से किसे घर के अन्दर आमंत्रित करना चाहते हैं."

अन्नपूर्णा अन्दर आई और सारा वाक़या अपने पति से बताया. 

"ठीक है, धन को अन्दर आने दो जिससे हमारा घर भी धन से भर जाए." अन्नपूर्णा के पति ने कहा.....

"नहीं, क्यूँ ना हम सफलता को सफलता को आमंत्रित करें?" अन्नपूर्णा ने कहा...

दोनों की बेटी जो सारी बातें सुन रही थी ने कहा, "क्यूँ ना हम प्रेम को आमंत्रित करें जिससे कि हमारा घर भी प्रेम से भर जायेगा?"

अन्नपूर्णा के पति ने बेटी की बात को रखते हुए कहा, "ठीक है, जाओ प्रेम को ले आओ..."

अन्नपूर्णा बाहर गई और तीनों बूढों से पूछा, "आपमें से प्रेम कौन है? कृपया अन्दर आईये और हमारे मेहमान बनिए...."

प्रेम उठा और घर की ओर चल दिया. उसके पीछे - पीछे बाकी दोनों बूढ़े भी चलने लगे.....

आश्चर्यचकित होते हुए अन्नपूर्णा ने धन और सफलता से पूछा," मैंने तो सिर्फ प्रेम को आमंत्रित किया था .... आप लोग क्यूँ अन्दर आ रहे हैं?"

दोनों बूढों ने एक साथ जवाब दिया: "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..." 

117 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट!
चित्र भी बहुत बढ़िया है!
बधाई!

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

वाह महफूज़ मियाँ !!
देर आये दुरुस्त आये...बहुत ही सुन्दर बात कह दी आपने...
हमें तो आपसे ऐसी ही बातों की उम्मीद रहती है...
प्रेम की महत्ता को कितनी खूबसूरती से आपने बता दिया..
बेहतरीन ..
बहुत ही सुन्दर लघु-कथा..

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह महफ़ूज भाई बिल्कुल सही, प्रेम से तो सारी दुनिया बँध जाती है, धन और सफ़लता क्या चीज है।

संगीता पुरी ने कहा…

क्‍या सुंदर कहानी पोस्‍ट की है .. सचमुच जहां प्‍यार होता है .. वहां सबकुछ होता है .. काश लोग इसे समझ पाते !!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत बढिया पोस्ट
प्रेम जीवन मे मह्त्वपुर्ण है।
बधाई

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत गूढ़ बात कह दी भाई।
प्रेम है तो सब अपने आप आ जाता है।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी और भावपूर्ण रचना।
जलु पच सरिस बिकाई देखहु प्रीत किरीतिभलि ।
बिलग होई रसु जाई कपट खटाई परत पुनि । ।
प्रीति की सुन्‍दर रीति देखि‍ए कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान भाव बिकता है,

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह महफ़ूज़ भाई ,
बहुत खूब । और ये तो आजमाई हुई बात है अब जिसने आजमाई हो वही तो समझ सकता है , ...बहुत सुंदर लघु कथा है ..एकदम शिक्षाप्रद और अनुकरणीय ...शुभकामनाएं

अजय कुमार झा

shikha varshney ने कहा…

अरे वाह क्या बात है...बहुत ही सच्ची और अच्छी बात कह दी ...वाकई जहाँ प्रेम है वहां सबकुछ है....पर मुश्किल ये है की हम उसे छोड़ बाकी चीज़ों के पीछे भागते रहते हैं. बढ़िया पोस्ट

राजीव तनेजा ने कहा…

वाह!...बहुत ही सुन्दर...सीख देती रचना

Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

प्रेम बांटो सब में और पाओ प्रेम सबसे
आज बहुत प्रेम भरी पोस्ट लगाये हो महफ़ूज भाई
सारा ब्लोगजगत हो जाये प्रेममय सारा देश हो जाये प्रेममय

Taarkeshwar Giri ने कहा…

महमूद भाई आप को नमस्कार,
पैसा तो हाथ का मैल है, दौलत तो आती जाती रहती है, सबसे बड़ा तो प्रेम है जो की इन्सान के दिल मैं इन्सान के लिए और साथ ही साथ जानवर के लिए भी जगह बनता है।

बहुत बहुत धन्यवाद्।

Mithilesh dubey ने कहा…

अरे वाह महफूज भाई क्या बात है , आज तो प्रेम की गंगा आपके यहाँ से बह रही है ,, । अदा दीदी ने सही कहा ,भाई जब आते हो ना तो एक दम से आ ही जाते हो । आज की पोस्ट बेहतरीन रही ।

Taarkeshwar Giri ने कहा…

दिल्ली मैं कर रहा था आप का इंतजार ७ को
आप तो आये नहीं ,
मुझे लगता है की लखनऊ ही आना पड़ेगा
कभी मिलने के लिए ।

बवाल ने कहा…

मियाँ हमारे एक सवाल का जवाब देंगे आप ?
वो ये कि-
आप इतनी प्यारी प्यारी बातें क्यूँ करते हो यार ? हाँ नहीं तो !

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice...............
nice..............

nice...............................................................................

ज्योति सिंह ने कहा…

दोनों की बेटी जो सारी बातें सुन रही थी ने कहा, "क्यूँ ना हम प्रेम को आमंत्रित करें जिससे कि हमारा घर भी प्रेम से भर जायेगा?"
us bachchi ne kitni samjhdari ki baat ki ,hum laalch me pad jaate hai magar bachpan in baton se achhota hota isliye jaroort ke sahi artho ko samajhta hai .dhan se nahi prem se sukoon milta hai ,pyar baante chalo ...bahut hi pyaari rachna jeevan ki jaroort ki aur ishara karti hui .

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुर सुन्दर शिक्षाप्रद व प्रेरक कहानी है। बधाई स्वीकारे।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

अच्छा लिखा है भाई जी .

M VERMA ने कहा…

वाकई प्रेम सबसे बड़ी पूँजी है. यह है तो सब हैं.
सुन्दर कथ्य.

ओम आर्य ने कहा…

पौराणिक कथा है ये...शायद प्रेम को सफलता और धन से बेहतर बताने के उद्देश्य से लिखी गयी थी...पर आज के ज़माने में इसके प्रासंगिकता को लेकर कुछ सवाल खड़े हैं महफूज़ भाई...जरा उठ कर अहाते में देखिये...

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

प्रेम ही मान्गुगा , वैसे बच्चे सही स्लाह देते है हमेशा

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Khoobasuurat prastuti----hardika badhai.
Poonam

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सुंदर अति सुंदर, प्रेम बिना सब सूना है.

रामराम.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

प्रेरक कथा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

काश सब इससे प्रेरणा लें....बहुत अच्छी पोस्ट...गुनने लायक

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बात कही भाई जहा प्यार हो वही स्वर्ग भी होता है

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

सुन्दर लिखा है आपने महफूज़ बेटे ...
प्रेम ही सुन्दर है, सत्य है और शिवम् माने पाक भी वही है
- लावण्या

bachche kitne bhole hote hain !

unki hansee ke sath hum log sub bhool jate hain

unki nazaron se ye duniya dekho to naye rang mei naye andazmei dikhayee deti hai

mere grand son ko ye video dekh ker bahut hansee aatee hai
aap bhee dekhiyega
http://www.youtube.com/watch?v=ijhig6klaJU&feature=related
Laughin baby !

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर जीवन का मर्म बताती हुई रचना..!!
सादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
आज भी रचना को आपकी प्रतीक्षा है :)

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

प्रेम के सामने सब नतमस्तक हो जाता है और प्रेम से सब कुछ पाया जा सकता है प्रेम की ही यह शक्ति है की धन और सफलता सब उसके साथ चले आते है.. महफूज भाई बहुत ही बढ़िया बात कह गये आप इस पोस्ट के माध्यम से..प्रेम जिंदाबाद....और सार्थक लेखनी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Unknown ने कहा…

क्या कहू

किसी ने सुन लिया तो गज़ब हो जायेगा

भारत मे प्रेम करना जुर्म है इसीलिये जो बच्चे हो रहे है वो नफ़रत और हिन्सा से भरे हुए है

प्रेम सहिष्णुता सिखाता है भाई चारा सिखाता है लेकिन नही इससे दूर रहो महफ़ूज़ मिया

किसी ने सुन लिया तो गज़ब हो जायेगा

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह महफ़ूज भाई बिल्कुल सही, प्रेम से तो सारी दुनिया बँध जाती है, धन और सफ़लता क्या चीज है।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढिया पोस्ट

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत ही अच्छी कहानी । प्रेम हीं सारी खुशियों का राज है ।

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत अच्छा प्रसंग -जंह सुमति तहं संपत्ति नाना

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लघु-कथा..

बी एस पाबला

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

प्रेम से तो सारी दुनिया है बहुत सुन्दर !!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बोधा कथा अदभुत बन पडीं है
बधाई छा गए गुरु

शरद कोकास ने कहा…

यह बोध कथा पुरानी अवश्य है लेकिन इसके अनेक अर्थ हैं । वर्तमान में धन के लोभियों ने और येन-केन सफलता चाहने वालों ने इसका अर्थ उलटा करके रख दिया है । अब धन के पीछे प्रेम आता है और सफलता प्रायोजित होती है । इस पूंजीवाद के युग में फिर भी प्रेम का अपना महत्व है और जो लोग इस महत्व को समझते हैं , पूंजी की असलियत को समझते हैं और पूंजीवाद का विरोध करते हैं ।

Himanshu Pandey ने कहा…

वाह ! खूबसूरत-सी बोध कथा लिख दी आपने । सूत्र-वाक्य है - "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."

प्रविष्टि का आभार ।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

bahut hi shaandaar, rochak aur prerak kahani bhaia...
itne din baad likha aur aate hi dhaansoo post.. shukriya
Jai Hind...

PD ने कहा…

सुन्दर.. कभी मेल में अंग्रेजी में मिला था, आज हिंदी में पढकर मजा आ गया.. :)

Dr.Aditya Kumar ने कहा…

love is God and key of success.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

महफूज़ प्यारे,

घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...

महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...

जय हिंद...

Unknown ने कहा…

इसीलिये कहते हैं कि
"बच्चे मन के सच्चे सारे जग की आँख के तारे..."

अबयज़ ख़ान ने कहा…

लाजवाब.. महफूज भाई.. वाकई प्रेम के सामने सबकुछ बौना नज़र आता है.. उसके पीछे तो सारी दुनिया है.. छोटी सी कहानी बड़ी सीख दे गई..

वाणी गीत ने कहा…

प्रेम जहा जाता है ...अपने साथ सुख शांति ले जाता है ....बिलकुल सही ...
बहुत सुन्दर बोध कथा ....

मगर ये बता कि तू आजकल इतने ज्यादा अन्तराल से क्यों लिख रहा है ...अब जब अच्छा लिखने लगा है तो निरंतरता होनी चाहिए ना....

तेरी दीदी ...

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर पोस्ट!!

Unknown ने कहा…

सुन्दर बोधकथा!

प्रेम अगम अनुपम अमित सागर सरिस बखान।
जो आवत एहि ढिग बहुरि जात नाहिं रसखान॥

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

खूब प्रेम करो महफूज़ भाई !

अपना अँगना भी तो प्रेम से गुलजार करो। ये ब्लॉग जगत वाले आप-स्वार्थी हैं, वाह वाही करते रहेंगे और काम की बात नहीं करेंगे।
खाली बोधकथा ही सुनाते रहेंगे कि 'बुद्धू' भी बनेंगे ?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

महफूज भाई आज तो सचमुच आपने बड़ी ही ज्ञानवर्धक बात कहानी के माध्यम से कही ! इस तरह की कहानियों को सर्वथा बच्चो की पाठ्यपुस्तक में शामिल किया जाना चाहिए मगर देश तो नेतावो और चाटुकारों ने मार दिया हमारी सुनेगा कौन ?

मैं आपकी इस कहानी को दस में से दस नंबर देता हूँ !

Kulwant Happy ने कहा…

महफूज भाई। एक दम स्टीक लेकर आओ। सच में जहाँ प्रेम है वहाँ सफलता और धन चले आते हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं कि जहाँ धन हो वहाँ शांति और सुकून हो। सबसे पहले प्रेम को आमंत्रित करो..लेकिन प्रेम को आमंत्रित करते हुए यह मत सोचो कि धन और सफलता भी आएगी। वर्ना लालसा युक्त प्रेम स्वाह हो जाता है।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Sundar bhav, shaandar prastuti.

Unknown ने कहा…

गोदियाल जी की बात से सहमत, दस में दस पक्का… :)

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई महफूज़ !

Meenu Khare ने कहा…

क्या बात है महफ़ूज़ जी!!!!!! अति सुन्दर. बधाई.

संजय बेंगाणी ने कहा…

सुन्दर

रचना दीक्षित ने कहा…

वाह महफूज़ भाई वाह ! ये हुई न कुछ बा........त. प्रेम को सिर्फ एक ही नज़र से क्यों देख जाय सौहार्द्र, भाईचारा, वात्सल्य सभी प्रेम के ही प्रकार हैं. वो वाकई खुशनसीब हैं जिन्होनें ये सब पाया हैं या महसूस किया है.

Anil Pusadkar ने कहा…

बहुत सही।मगर अफ़सोस हम वही नही करते बाकी दोनो के पीछे भागते रहते हैं।

SHIVLOK ने कहा…

महफूज़ प्यारे,

घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...

महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...

जय हिंद...

KHUSHDEEP SEHGAL JI 100% SAHMAT

SHIVLOK ने कहा…

महफूज़ प्यारे,

घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...

महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...

जय हिंद...

KHUSHDEEP SEHGAL JI 100% SAHMAT

Parul kanani ने कहा…

ye to dil ki keh di :)

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

महफूज साहब
प्यार की भाष तो सबसे निराली भाष है
बेहतरीन कहानी लिख रहे है आप
आभार ...........

mukti ने कहा…

how sweet !!!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

जीवन में प्रेम के वास्तविक महत्व को दर्शाती बहुत ही सुन्दर बोध कथा....
आभार्!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

pyaar sreshth hai aur uske saath hi baki ka saundarya hai

drdhabhai ने कहा…

वाह मेरे सैरेलेक बाय क्या मारा है

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

इतनी सुन्दर बोध-कथा को आपने अपनी पोस्ट बनाया, आभार.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

सुन्दर बोध-कथा है. Thanks

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जी महफूज़ जी ...प्रेम करना खुदा की इबादत करना होता है ...जहां प्रेम नहीं वो घर नर्क के समान है .....वहाँ लक्ष्मी का कभी वास नहीं होता...आपने अभी शादी नहीं की इस बात को गांठ बांध लीजियेगा .....!!

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत दिन बाद नज़र आये हो लगता है कहीं प्रेम की तलाश मे ही थे
बहुत सुन्दर बोध कथा है सही मे जहाँ प्रेम है वहां सब सुख हैं। बधाई इस्रचना के लिये और आशीर्वाद्

vandana gupta ने कहा…

mahfooz ji
bahut hi shikshaprad kahani lagayi hai ........kash sab isse shiksha le .

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही सुन्दर बोध कथा...बिलकुल अनुकरणीय

रज़िया "राज़" ने कहा…

वाह!!क्या बात है "महफ़ुज़ अली" आप तो बहोत कुछ कहाँ गये। कहाँ से दिमाग पाया है? क्या खाते हो भाई? जो इतनी अच्छी बातें करते हो? आपके तो अब प्रशंसक भी बढते ही जा रहे हैं ।

अनिल कान्त ने कहा…

nice post bhai jaan

Pawan Kumar ने कहा…

बड़े दिनों बाद पोस्ट लिखी महफूज़ भाई........पर कहते हैं न देर आयद दुरुस्त आयद .....बहुत अच्छी लघु कथा.

Jyoti Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना! और बहुत कुछ सिखा देती है ये कहानी.
आप ऐसे ही लिखते रहा कीजिये अच्छा लगता है आपको पढना.
बधाई हो!
जय हो !

बेनामी ने कहा…

आज के समय में हर स्थान पर पीड़ा का होना ......प्रेम न होने के कारन है !आप बहुत सार्थक लिखते हैं ,शुभ कामनाएं ! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !

Dr. kavita 'kiran' (poetess) ने कहा…

wakai prem mein bahut shakti hoti hain.jahan prem hai wahan sab kuch hai.nice.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

महफ़ूज़ साहब, आदाब
"प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
बहुत खूबसूरत अहसास.....
ये बात हमारे मुल्क के लोगों...
और सियासी रहनुमाओं की समझ में आ जाये..
तो हिन्दुस्तान फिर से सोने की चिड़िया बन जाये...

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दरता से व्‍यक्‍त बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Urmi ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत चित्र के साथ शानदार प्रस्तुती ! बधाई!

alka mishra ने कहा…

महफूज जी ,चलिए मैंने आपके प्रेम को ऊपर रखने के इस लेख के सदके मैंने आपको मुआफ किया
एक कारण और भी है कि उम्र में बड़ी हूँ आपसे .
अगर छोटी होती तो मुआफ तो कत्तई न करती ,पेनाल्टी जरूर ठोंक देती
खैर ,अनुसरण के लिए धन्यवाद ,थोड़ा हौसला बढ़ गया मेरा
प्रेम ईश्वर है ,प्रेम से बड़ा कुछ नहीं
उम्मीद है अब आप मेरी गली आते रहेंगे

ρяєєтii ने कहा…

prem se badh kar kuch nahi...

प्रकाश पाखी ने कहा…

अजब प्रेम की गजब कहानी !:)
महफूज भाई, कमाल की और प्रेरणादायक पोस्ट लिखी है आपने...पढ़ कर अच्छा लगा...

Apanatva ने कहा…

khoobsoorat prastuti ke liye badhai.........

बेनामी ने कहा…

उसने कहा -''तुम प्रेम हो ? ऐसा कैसे हो सकता है ? मेरे पापा कहते थे तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो और 'उसने' तुम्हे 'प्रेम' से बनाया है ,तुम्हारी नसों में खून की जगह ' प्रेम' बहता है .''
मैं बोली -''पापा! ये तो आपकी नजरे देखती है और पहचानती है,मैं 'सरवाइव' कैसे कर पाऊंगी , आपकी इस दुनिया में जहा शुद्ध व्यापार चलता है रिश्तों का भी ,दोस्ती का भी.''
''और सभी व्यापारी ही व्यापारी है '' बात जारी रखते हुए अपने पिता से पूछा .
''मेरी लाडली! तुम्हारे पास कितना प्रेम का खजाना भरा है ,उसे 'यूज़' करना.जितना खर्च करोगी उतना तो मिलेगा ही ,हो सकता है उससे ज्यादा ही मिले . कुछ तुम्हे चीत कर सकते हैं किन्तु कुछ से तुम्हे कई गुना ज्यादा भी मिल जायेगा.कुल मिला कर ये सौदा घाटे का नही है '' मेरे पापा ने समझाया था ''
.........................................
'उसने' कहा -''अजनबी तुम कोई भी हो मेरे घर में बाहर से आये प्यार/प्रेम की कोई आवश्यकता नही है.प्रेम के नाम पर तुम 'धोखा' भी हो सकते हो ., .मेरे घर में हम सब प्रेममय हैं,'प्रेम को जन्म देते,वो ही यही उपजता है. .
तुम किसी दिन चले जाओगे छोड़ कर, पर जो हर पल ओक्सिजन या कार्बन्दाइओक्साइद की जगह भी 'प्रेम' को 'इन्हेल' 'आउट हेल ' करते हैं उनके यहाँ तो ये कम हो ही नही सकती ना और हमे छोड़ कर जा सकता है कहीं ??''
महफूज़ के तीनो पात्र एक साथ चिल्लाये-'' 'माँ'! तुम यहाँ हो.हमने कहाँकहाँ नही ढूँढा ,तुम नही मिली. आज मिली हो,महफूज़ भैया आपने हमे अपने घर तक पहुंचा दिया .थेंक्स
मगर हम चाहते है हम हर घर में रहे क्योंकि यहाँ कोई पराया नही .सब हमारे हैं हम सबके हैं ,मगर भाईजान हमे बुड्ढा कहा तुमने ,हम कभी बुड्ढ़े नही होते ना प्रेम,ना सफलता ना ख़ुशी ,सुख,शांति या......................हमारी मम्मा .........'इंदु'

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुंदर कहानी है महफूज़ भाई ... सच है जहाँ प्रेम का वास होता है वो जगह स्वर्ग से भी अच्छी होती है ... धन और सफलता तो अपने आप चले आते हैं ... माफी चाहता हूँ देरी से आने के लिए ...

कविता रावत ने कहा…

दोनों बूढों ने एक साथ जवाब दिया: "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
Bahut sundar chitramay laghu katha ke liye dhanyavad..

कडुवासच ने कहा…

.... प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई !!!

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

प्रेम की श्रेष्ठता सर्वमान्य है,परन्तु उसे एक बोधकथा के रूप में प्रस्तुत करना, आपके लेखन की श्रेष्ठता को सिद्ध करता है....

मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ आपके बोधगम्य लेखन के लिए.........

Akhilesh pal blog ने कहा…

bahoot hee achha laga aap ka blog

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100

Asha Joglekar ने कहा…

वाह महफूज बेटे क्या बढिया कहानी पढाई है । आभार ।

kshama ने कहा…

Bahut sundar post! Maza aa gaya!
Holi aur eid mubarak ho!

شہروز ने कहा…

आप सभी को ईद-मिलादुन-नबी और होली की ढेरों शुभ-कामनाएं!!
इस मौके पर होरी खेलूं कहकर बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ें.

Smart Indian ने कहा…

होली और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ...

पंकज ने कहा…

सुंदर प्रेरणा कथा.

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

Satish Saxena ने कहा…

रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !

sandhyagupta ने कहा…

बात सौ टके की..

संजय भास्‍कर ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

लता 'हया' ने कहा…

shukria,aapka comment bhi bahut khubsurat laga aur pavan ji ki gazalein lajawab aur sirf prem karna...zindagi ka saar.
good luck.

Fauziya Reyaz ने कहा…

inspirational...bahut hi khoobsurat aur pyari kahani...

Pawan Kumar ने कहा…

kya baat hai bhai...............beautiful story.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

kahin bahut pehle ye kahani padhi thi...aaj fir se taza ho gayi.

acchhi aur margdarshak kahani.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

kahin bahut pehle ye kahani padhi thi...aaj fir se taza ho gayi.

acchhi aur margdarshak kahani.

Ashish (Ashu) ने कहा…

bhai bahut hi achI rachna hai mast ho gaya

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

are yaar magar tu hai kahaan....??

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

:) aisi posts ka samay samay par aate rehna sikha deta hai ki prem ka jeevan me kitna mahtvapurn sthan hai ..thanku for sharing.

SKT ने कहा…

सुन्दर! इस बोध कथा को तो सभी देशों के सिलेबस में होना चाहिए!

मीनाक्षी ने कहा…

प्रेम का सन्देश देने वाली पोस्ट हमारी नज़रों से ओझल कैसे रह गई.. खूबसूरत कथा का प्रेममयी भाव मन को मोह गया. हमारा तो अटल विश्वास है कि 'प्रेम ही सत्य है'

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