शनिवार, 27 जून 2009

कुछ पहलू........कुछ फलसफे...और कुछ कवितायें !!

१.

मैंने एक खिले हुए
फूल को तोडा था,
तो मैं तड़प गया था॥

मैंने नोचे थे पंख
एक परिंदे के
तो मैं बिलख उठा था॥

मैंने छेडा था एक
मोती की माला को
तो मैं बिखर उठा था॥
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२.

आज अगर मैं सोचता हूँ
तो बीच में कल आ जाता है
कल कल था
और कल कल होगा
यह याद आ जाता है॥
------------------------------------------------------------------------------

३.

मैं तुमसे मिलूंगा
किसी किताब के पन्नों में
नाम अपना दर्ज
होने से पहले,
यह मेरा वायदा है
पर ठीक ऐसा ही हो
जैसा मैं कह रहा हूँ
यह कहना आज शायद
थोड़ा मुश्किल है,
पर कल ?????
नामुमकिन ज़रूर होगा॥
---------------------------------------------------------------------


४.

ख़्वाबों में झांकता हूँ
और गाता हूँ अपना ही राग
लंबे लंबे डगों से
लांघता हूँ दीवारों को
और
खोजता हूँ
उन खोये हुए
पलों को॥
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महफूज़ अली

13 टिप्पणियाँ:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ख़्वाबों में झांकता हूँ
और गाता हूँ अपना ही राग
लंबे लंबे डगों से
लांघता हूँ दीवारों को
और
खोजता हूँ
उन खोये हुए
पलों को॥

बहुत खूब .....सुंदर प्रयास है ......!!

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

aaj sab kuchh different sa likha hai.....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

haan! different sa to hai........ aaj socha ki thoda sa alag sa likhoon........ isliye likh diya........ isey kavita ki medha art kahte hain..........

Udan Tashtari ने कहा…

आज अगर मैं सोचता हूँ
तो बीच में कल आ जाता है
कल कल था
और कल कल होगा
यह याद आ जाता है॥

--छोटी छोटी रचनाऐं और इतने गहरे भाव, वाह जी!! बधाई.

ओम आर्य ने कहा…

मैं तुमसे मिलूंगा
किसी किताब के पन्नों में
नाम अपना दर्ज
होने से पहले,
यह मेरा वायदा है
पर ठीक ऐसा ही हो
जैसा मैं कह रहा हूँ
यह कहना आज शायद
थोड़ा मुश्किल है,
पर कल ?????


bahut hi sundar abhiwyakti ............bahut hi gahare bhaw..........atisundar

प्रकाश पाखी ने कहा…

लम्बी दीवारों के पार कुछ खोये हुए से पल है

किसी का विश्वास निश्छल और किसी के छल है

पूरी कविता गहरे भावों में है...
चौथी क्षणिका बहुत अच्छी लगी..
बधाई और शुक्रिया स्वीकार करे...!

प्रकाश सिंह 'पाखी'

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

namunkin kuchh bhi nahi....aasma me bhi surakh ho sakta hai ek pather to tabiyat se ochhalo jara....

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

खोजता हूँ
उन खोये हुए
पलों को॥...khojne se kuch pal to jarur mil jate hai yado ke roop me...

Pritishi ने कहा…

No. 1 .. khayaal bahut khoobsoorat hai magar kuchh adhoora sa lagta hai ... needs a 4th verse that will compliment the above three verses.

Other verses are good too!

God bless
RC

vijay kumar sappatti ने कहा…

wah ji wah

bhai ji aap to kamaal karte ho ji ..

behatreen lekhan .....maza aa gaya ji padhkar dil khush ho gaya ......... in pankhtiyon me to aapne jaan daal di hai...

मैं तुमसे मिलूंगा
किसी किताब के पन्नों में
नाम अपना दर्ज
होने से पहले,
यह मेरा वायदा है
पर ठीक ऐसा ही हो
जैसा मैं कह रहा हूँ
यह कहना आज शायद
थोड़ा मुश्किल है,
पर कल ?????
नामुमकिन ज़रूर होगा॥

bahut bahut badhai....

PREETI BARTHWAL ने कहा…

गहरे भावों को मन से उडेला है बहुत सुन्दर महफूज़ जी ।

Unknown ने कहा…

fir kyon jee
who phool ko thoda
kyon jee
usse thadpaaya
kyon jee
usse nochaa
us maala ko kyon
cheda aur
aapne yaadon kee motiyon
ko bikar diya,
dekha gussa kitna
kharab hain
whaaaaaaaaaa
is kavitha motiyon kee lehar jaise hai---------bahut khub ----bahut khub.

suno jee suno
aap aysee kavithayen likho
these make me feel good
cos I can see the emotion in them
A+++++ and full points
Anjali

Alpana Verma ने कहा…

संवेदनशीलता और गहन भाव दोनों का खूब ताल मेल है आप की इन रचनाओं में.

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