आज बहुत दिनों के बाद वक़्त मिला है कुछ लिखने का... वक़्त क्या .... समझ लीजिये मूड... बना है. इस दौरान सिर्फ पढ़ा है... और खूब पढ़ा है... लिखा भी है... वक़्त की कमी तो है ही... पर वो कहते हैं ना कि वक़्त निकालना पड़ता है , सो, आज वक़्त निकाल लिया... एक बड़े गुमनाम से कवि हैं...श्री. सुभाष दशोत्तर जिनका देहांत १९७७ में ही हो गया था... उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने १९७७ में सम्मानित भी किया था... उनकी लिखी बहुत सी रचनाएँ... पढ़ीं.... उनको पढ़ कर ऐसा लगा कि ... अगर इन्हें नहीं पढ़ा तो कभी साहित्य नहीं पढ़ा.. मगर अफ़सोस शायद ही उन्हें कोई जानता हो या फिर किसी ने उनका नाम सुना हो... सुना है कि १९७७ में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें बहुत मजबूरी में सम्मान दिया था... क्यूंकि वो किसी लौबी में शामिल नहीं थे... नहीं तो यहाँ .... एक से एक नालायक बैठे हैं... जो लॉबिंग करके कई पुरुस्कार पा लेते हैं... और ख़ुद को लेखक/कवि बोलने लगते हैं...
अच्छा! आजकल मैं बहुत घमंडी किस्म का हो गया हूँ... पता नहीं यह घमंड है या फिर सेल्फ-कॉन्फिडेंस ... या फिर सुपीरियरटी कॉम्प्लेक्स... मुझे तो घमंड लगता है... आजकल मैं बहुत चूज़ी भी हो गया हूँ .... पहले मैं लड़कियों की खूबसूरती नहीं देखता था... सिर्फ दिमाग़ देखता था... इंटेलिजेंट लड़कियां मुझे बहुत अपील करतीं हैं.... लेकिन, आजकल मुझे सिर्फ ख़ूबसूरत लड़कियां ही पसंद आ रही हैं... अब दिमाग़ को मैंने सेकंडरी कर दिया है... हमारे लखनऊ में इंदिरा नगर में एक्सिस बैंक है... उस ब्रांच में एक से एक सुंदर लडकियां हैं... अभी वहां अकाउंट खुलवाया है... वो भी बिना मतलब में... सिर्फ.... इसीलिए क्यूंकि वहां की एक एक्ज़ीक्यूटिव जो कि बहुत सुंदर है... उसने बहुत प्यार से कह दिया था... अब वहां रोज़ का आना जाना हो गया है... और सच कह रहा हूँ... कि वहां की जितनी भी सुंदर लड़कियां हैं... वो सारी लड़कियां दिमाग़ से पैदल हैं... इसलिए यह भी सही कहा गया है कि सुंदर लड़कियों के पास दिमाग़ नहीं होता...हाँ! एक्सेप्शंस हर जगह होते हैं... एक्सिस बैंक फ़ाइनैन्शियल बैंक कम ब्यूटी बैंक ज़्यादा लगता है... सुन्दरता भी क्या चीज़ है ... कितना अपील करती है... जो लोग यह कहते हैं कि सुन्दरता मायने नहीं रखती ... गलत कहते हैं... मैं ख़ुद गलत था... हम जब बाज़ार में सब्ज़ी भी खरीदने जाते हैं... तो जो सब्ज़ी सबसे सुंदर और ताज़ी नज़र आती है... उसे ही खरीदते हैं... इसी तरह हम सुंदर लोगों को भी पसंद करते हैं.... अब यह बात अलग है... कि... Beauty lies in the eyes of the beholder...
अच्छा ! चलिए अब थोडा सा सीरियस हो जाया जाये.... बहुत तफ़रीह कर लिया .... इसी बात पे तो वाणी दीदी मुझे "नौटंकी" कहतीं हैं.... कितने प्यार से कहतीं हैं.... उनका अंदाज़ ही अलग है....आज कविता लिखी है जिसकी इंस्पीरेशन मुझे श्री.सुभाष दशोत्तर जी को पढने के बाद मिली है... पता नहीं क्यूँ कुछ लोग मरने के बाद भी ग़ुमनाम हो जाते हैं.... तो पेश है कविता ... बताइयेगा कैसी लगी...
मेरे खोने का विज्ञापन...
मैंने अपने खोने का विज्ञापन
अखबार में दे दिया है,
जो कोई मुझे
तलाश कर के लाएगा,
आने-जाने के खर्च के साथ
इनाम भी पायेगा.
मेरा जोश
अब ठंडा पड़ गया है...
अब मेरे भीतर कई विचार
एक साथ नहीं चल पाते
शायद ....
मेरे विचारों पर धारा
एक सौ चव्वालिस
लागू होती जा रही है....
N.B. मेरा एक इंग्लिश पोएट्री का ब्लॉग भी है... जिसे अभी लिखना शुरू किया है... उम्मीद है पसंद आएगा... वैसे मैं इंग्लिश पोएट्री इस वेबसाईट पर लिखता हूँ... जहाँ मेरी तकरीबन सात सौ इंग्लिश कवितायेँ हैं...
138 टिप्पणियाँ:
देर आए दुरूस्त आए,बहुत अच्छी पोस्ट लिखी.. श्री सुभाष दशोत्तर के बारे में पहली बार सुनने को मिला .. और लडकियां इंटेलिजेंट हों या खूबसूरत,चलेंगी .. अब बरात चलने की तैयारी करती हूं .. आपको बहुत शुभकामनाएं !!
क्या बात है बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
अच्छा तो आप खो गए हैं? मुझे तो पता ही नहीं था :-) सुभाष जी के बारे में मैंने भी पहली बार सुना.बताने के लिए शुक्रिया...और ये लड़कियों वाली बात... क्या बात है ? क्या सच्ची में बारात की तैयारी करें हमलोग?
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा.. कोशिश करूंगा कि इनकी रचनाएं मिलें और उन्हें पढ़ सकूं..... कविता पसंद आई.. आराधना का सवाल मैं भी दोहराता हूँ..
mehfooz ji ...chinta mat kariye...sab aapki khabar lene aate hi hongen meri tarah :)
welcome back!
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा.
और कविता भी बहुत अच्छी लिखी है ...
लड़कियों वाली बात ...संगीता जी और मुक्ति के साथ बरात का इंतज़ार हम भी कर रहे हैं.
bahut din baad padhaa aapko.....
achha laga
अच्छी पोस्ट।
बहुत अच्छा लिखते है आप | सीधे दिल से ही साफ़ बाते लिखना आपकी लेखनी का गुण है | धन्यवाद |
शायद ....
मेरे विचारों पर धारा
एक सौ चव्वालिस
लागू होती जा रही है...
--
अब सारा माजरा समझ में आ गया है!
मैं अपने में खो जाता हूँ तो विज्ञापन देना भी भूल जाता हूँ।
धन्यवाद, फिर एक्सिस का एक राउण्ड लगा ही आते हैं. :-)
महफूज़ भाई ! आपकी स्थिति देखके मन को तसल्ली मिली कि एक हम अकेले ही नहीं हैं जो ब्रेन से ब्यूटी की ओर बढ़ रहा हो.
दरअसल हमको भी दिमाग वाली लड़कियां पसन्द थीं पर कुछ समय से ब्यूटी भी महत्वपूर्ण लगने लगी है.
एक बार तो हमने इसे मन का भटकाव और खुद को पगालू तक मान लिया था. पर अब राहत है.
हाँ खोने पर विज्ञापन देना अच्छी बात है.
हम भी सोच रहे हैं कि एक विज्ञापन दे ही दें : मृत और पुरुज्जीवित.
कैसा रहेगा. !!
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानना सुखद रहा...साथ में उनकी एक बढिया रचना भी पढने को मिली..
बढिया पोस्ट्!
सुभाष जी के बारे में पहली बार जानकारी मिली...आभार...
खुद की तलाश...बहुत सुन्दर विचार....पर यह तलाश विज्ञापन से पूरी नहीं होगी...खुद के भीतर झांकना होगा....जिस घडी अपने अंदर बैठे महफूज़ को खोज लोगे तलाश पूरी हो जायेगी...
और यह बात नहीं मान सकती कि सुन्दर लड़कियां दिमाग से पैदल होती हैं....:):)
भाई यह मत भूलें कि आजकल मार्केट में जो सब्जियां आ रही हैं और ज्यादा सुन्दर हरी भरी दिखती हैं , उनमे इंजेक्शन या केमिकल लगा होने का चांस होता है ।
इसलिए बाहरी खूबसूरती नयन सुख तक ही ठीक है ।
विज्ञापन में पोस्ट बॉक्स नंबर तो दिया है न ।
Taiyariya to logo ne suroo kar di hai inme mahilaye -hi mahilaye hai. Aap bar-bar khoye aur vigyapano ka silshila yu hi chalta rahe
मैं लखनऊ आ रहा हूँ आपको ढूँढने और बारात जाने के लिए भी ?
इस रचना ने मन मोह लिया।
वाह देर आए दुरुस्त आए, कविता तो बहुत अच्छी है..
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा...पर उनकी कोई रचना भी तो पढवाते...चलिए अगली पोस्ट में सही...हमें प्रतीक्षा रहेगी...
kavita to bahut badhiya kahi aapne rahi baat ladkiyn ki to bhaiya kisi bhi bank me a/c open kara kijiye par parmanent karawa lijiyega..
ham sab bhi chalenge...ab aate rahiye hame intzaar rahega...dhanywaad
सूट का नाप दे आया हूँ .........जल्द मिल भी जायेगा ............कब चलना है यह बताओ ??
बहुत बढ़िया पोस्ट ...............वैसे इतने दिनों के बाद अगर पोस्ट लिखोगे भाई जान बढ़िया नहीं भी होगी तो भी कहना तो पड़ेगा ही...............बढ़िया है ! ;-)
अब कब जा रहे हो लम्बी छुट्टी पर ??
अरे सुनो दोस्त केसी भी रखो, लेकिन शादी करना सुंदर लडकी से ओर जो दिमाग से बिलकुल पेदल हो सच कहता हुं सुखी रहोगे, अगर किसी दिमाग वाली से शादी कर ली तो... वेसे आज कल पढी लिखी भी दिमाग से पेदल ही होती है.... उस बेंक वालॊ का नाम तो लिख देते... ओर हां मै भी बिन बुलाये बरात मै आऊंगा ओर पंजाबी भगाडा भी डालूगां अब जल्द से तरीख बता दो.... ताकि टिकट बुक करवा लुं
महफ़ूज़ भाई, दिल से लिखते हो और चेहरे को ज्यादा तरजीह देते हो? बहुत नाईंसाफ़ी है। हा हा हा।
बहुत दिनों के बाद पोस्ट आई है, लेकिन है बढ़िया।
तो ए़क्सिस बैंक वालों ने खाता खुलवा ही लिया आपका। वैरी गुड।
कविता(जो लिखी गई है) भी अच्छी लगी और सुभाष जी के बारे में आपने जो कहा है उससे पूरी तरह सहमत हूं कि बहुत से लॉबिंग करने वाले नाम और दाम दोनों कमा जाते हैं और कई अच्छा लिखने वाले गुमनाम र्ह जाते हैं। ऐसे ही एक और शायर हैं कृष्ण अदीब, जैसा लिखते हैं उतनी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई उन्हें। सुभाष जी की कोई कविता भी पढ़वाते तो और अच्छा लगता।
आभार।
हेलो जी सच में लगता है अभी आपको अपनी तलाश करनी पड़ेगी...क्युकी आपको अभी तक ये ही नहीं पता की सुंदर लड़किया दिमाग से पैदल नहीं होती...और न ही कोई exception है इसमें.
:) :) :)
अच्छा लगा आपका इतने दिनों बाद आना.
और इस धारा १४४ को हाई कोर्ट से हटवा लीजिए पिल डअल कर सिर्फ १.२५ रुपया लगेगा.
बड़ा भाई हूं, इसलिए जो ये नालायक कहेगा (मैंने अपनी पोस्ट में इसे ऐसे ही पैम्पर्ड बॉय नहीं लिखा था), मानना ही पड़ेगा लेकिन फिर भी इसे समझाने के लिए कहूंगा...
दिल को देखो, चेहरा न देखो,
चेहरे ने लाखों को लूटा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा...
जय हिंद...
देर से आए..पर आए तो सही...
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जान कर अच्छा लगा...
अनामिका सहीं हैं
आप खाम्खां लफ़ड़े मोल मत लिया करो महफ़ू़ज़ भाई
अरे भाई श्रीमति जी ने पढ़ा तो कह रहीं हैं:-अपना एकाउण्ट एस बी आई में शिफ़्ट क्यों नही करा लेते
अरे सरकार आपकी लेखनी का कोई जवाब थोड़े ही है.. आप देर से भी लिखें, तो चाहने वाले तो खिंचे चले आते हैं...
चलिए जनाब, खाता चालू तो हुआ...फिर वो पोस्ट का हो या फिर बैंक का...
वैसे इस बात से तो हम भी इत्तेफाक नहीं रखते कि खूबसूरत लड़कियाँ दिमाग से पैदल होती हैं....
इसी ब्लॉग जगत में खूबसूरत लड़कियों ने अपने दीमाग का लोहा मनवा लिया है...अब इतने सारे एक्शेप्शन तो हो नहीं सकतीं ...
पोस्ट तो अच्छी है...लेकिन मकसद समझ नहीं आया....
हाँ कविता बहुत अच्छी लगी....
शुक्रिया...
तेरे " नौटंकी " होने में क्या शक है ...अब ये पोस्ट ही देख ले ...एक छोटी सी कविता लिखी है और भूमिका इतनी बड़ी ...
लड़कियों की खूबसूरती और दिमाग के मामले में मैं अदा से सहमत हूँ ...ये ब्लॉग जगत ही अच्छा उदहारण है जहाँ रश्मि , शिखा , हरकीरत, शेफाली , मुक्ति (इनके अलावा और भी होंगी ) आदि अपने दिमाग का लोहा मनवा चुकी हैं ...
@विचारों पर धारा एक सौ चौवालिस लागू हो गयी है ...ज्यादा ब्यूटी और ब्रेन में उलझेगा तो यही होगा ...
मुझे गाना याद आ रहा है ..." नाम गुम जाएगा , चेहरा ये बदल जाएगा , मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे " ....जो एक- एक शब्द हम लिख रहे हैं , वह सब इतिहास में दर्ज होता जा रहा है ... हम अपनी क्या पहचान छोड़ कर जा रहे हैं आने वाले समय के लिए , यह भी बहुत महत्व रखता है ...
अब दीदी बोलता है तो इतने उपदेश तो झेलने पड़ेंगे ...क्यूंकि मैं सिर्फ कहने के लिए किसी को भाई, बहन , बेटा , मित्र नहीं कहती ....
कविता निस्संदेह अच्छी है ....!
अरे ...अदा का नाम रह गया है ....!
महफूज भाई,
पोस्ट बड़ी ही मजेदार है आपकी भाषा बड़ी अपनेपन वाली है इसलिए एक सांस में पूरा लेख पढ़ लेता हूँ ,
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा
पर जिनकी सुन्दरता की तारीफ की है (मतलब अक्ल की ) उन्होंने पढ़ लिया तो क्या होगा :))
आप सोचिये और मैंने आपकी कविता पढ़ी है
आप मेरी कविता झेलिये :))
एक छोटी सी कविता...
कवि सम्मेलन से बेंक, बेंक से सब्जीमंडी
सभी जगह अच्छी तरह घूमा के लाये हैं
ये वाला अंदाज भी अच्छा है आप का...
बड़ा वैज्ञानिक लगा कंसेप्ट
सुन्दरता और अक्ल के हिसाब का....
हमें भी लगता है
कोई नया कदम उठाने का इरादा है जनाब का
अरे बाप रे बाप.
तो खोये गए हैं आप लड़कियों के बीच में. लेकिन पता भी तो आपने बता ही दिया है कि मिलेंगे कंहा. इंदिरा नगर कि ब्रांच में . बेवजह सारे परेशान होंगे हमें भी दिल्ली छोड़ कर आना पड़ेगा.
लेकिन आप बाराखम्भा ( C . P . ब्रांच ) में आइये फिर देखिये axis बैंक कि खूबसूरती
... इसी अंदेशा पर पहले से ही आपके इर्द-गिर्द सेना तैनात कर दी गई थी, आपके खोने के पहले ही ...!!!
Very Very Nice Post
nice
आकर्षण घटक ना हो जाओगे, फिर तो विज्ञापन के बाद भी हाल होगा- हम ढूंढते रह जायेंगे , तो बेटा सोच समझ के
Hi..
Aaj kafi samay pashchat aapka aalekh padha.. Par laga ki es beech kuchh bhi nahi badla hai.. Jaise aap tab ladkiyon se abhibhoot the, aaj bhi hain.. Wo chahe AXIS ki hon ya ICICI ki.. Ye bevajah wale accnounts sare pvt bankon main khulwa len.. Kya pata aapko koi exeception mil jaaye..sundar aur dimag wali.. Aur hamen aapke nikaah main shamil hone ka mauka..haha..jiska ki hum besabri se intejaar kar rahe hain..
Par dekhiyega.. Kahi Indira Nagar ke bank walion ne ye post padhne ke baad aapko photo darban ko de diya ho.. Haha.. Par humari vyaktigat raay ye hai ki log kahte hain na..beauty is to see not to touch.. Aur main kahta hun...ENJOY THE BEAUTI..DONT JUDGE..so dimag mat dhoondho na bhai.. Haha..
Lobbing.. Haha..
ye wo hathiyar hai jis se..
taj-o-takht chalte hain.. Samman milte hain.. Jise lobbing nahi aati..bas gumnaam marte hain..
Deepak..
तुम खो गए हो, यह तो पता लग रहा है, विज्ञापन की आवश्यकता ही नहीं है। एक्सि बैंक के लोकर में ढूंढने से मिल ही जाओगे। शुरू में सभी बुद्धि को महत्व देते हैं लेकिन जैसे ही शादी की बात आती है हर आदमी चाहता है कि दिमाग से चौपट वाली से ही काम चला लें। कैसी भी ले आओं भैया, तब भी तुम पर राज ही करेगी। क्योंकि जहाँ ताकत होती है वहाँ बुद्धि कम होती है। कहते है ना कि पहलवानों में बुद्धि नहीं होती। इस मैदान में अच्छे-अच्छे सूरमाओं को ढेर होते देखा है। अब बस शादी रचा ही ले, जिससे यह रोज-रोज की दादागिरी तो समाप्त हो।
.
आपको ढूँढने का प्रयास करेंगे...खोया-पाया विभाग में फ़ोन किया है।
वैसे 'दिमाग से पैदल' वाली बात चोकलेटी पुरुषों पर भी लागू होती है।
.
एक्सिस बैंक की उस सुनदर सी एक्ज़ीक्यूटिव का contact no दीजिये जरा.....उन्हें आपके बैंक अकाउंट खोलने का राज बताया जाये हा हा हा हा हा हा हा हा बेहद रोचक.....
regards
मस्त लिखा है, वैसे लड़कियों के बारे में आपने उचित ही लिखा है, फिर लड़कियां ही क्या, वह खुद भी सुन्दर लड़कों को ही पसंद करती है.
manoranjan karaati hui post ke liye .Badhai!!
GR8...
दिव्या , मैं तुम्हारा नाम कैसे भूल गयी ...
Sorry ..
लगता है कही और व्यस्त हो आजकल अतः इस ज़हीन पैम्पर्ड बच्चे को शुभकामनायें !
@ क्या री वाणी...!
ये बार-बार क्यूँ भूल रही है....क्यूँ अपने भाई को मौका दे रही है...बोलने का..:):)
हाँ नहीं तो..!!
:)
खूबसूरती में खोये हैं तब तो कोई हर्ज नहीं, भले ही 2-4 महीने ऐसे ही खोये रहिये…।
आपने Axis बैंक कहा? या Access बैंक… ;)
खूबसूरती में खोये हैं तब तो कोई हर्ज नहीं, भले ही 2-4 महीने ऐसे ही खोये रहिये…
कविता तो बहुत अच्छी है..
सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकर अच्छा लगा।
तो क्या अब शादी के लिये नये कपडे सिलवा लें? वैसे भी अब एक लडकी पर नज़र रखने का समय आ गया है। अब सुधर जाओ। जल्दी से शादी की तैयारी करो। आशीर्वाद।
अब विज्ञापन देने की जरुरत नहीं है।
बस एक्सिस बैंक का करंट अकाउंट अपडेट करते रहो।
नैया पार लग ही जाएगी
महफूज़ भाई विचारों पर धारा 144 भाई वाह...आपका अंदाज़ बहुत दिलचस्प है...महत अच्छा लगता है आपको पढना...एक दम फ्रेश और ताज़ा..
नीरज
Hi..
Pahle apni tippani di, ab sabki padhi.. Are yahan to sab meri tarah aapki shadi ki taiyari kiye baithe hain..
Par ye muft main Axis bank ka vigyapan ho raha hai.. Kuchh adsense lagao aur es se bhi kamao.. Ek bandhu ne Barakhamba road ki taareef ki hai.. Dekhna aap kahin wahan hi na shift kar jaana, haha..
Vaise main Vani ji se eteffak rakhta hun.. Blogjagat main to mahilaon ne sabit kar hi diya hai ki khubsurati aur pratibha ka gajab ka mel hota hai vaise ye baat alag hai ki hume to sab khubsurat hi lagte hain..aur unke aalekh bhi..kam se kam humse to sab achhe hi hain..aur likhte bhi achha hi hain..so achha lagna lajmi hai par aapke liye to ek purana sher yaad aa raha hai
'HUSN SE ES KADAR MAANUS HAI DIL..'
'HAR HANSI CHEHRA LAGE DEKHA HUA'..
Hai na..
Mujhe pura vishwas hai ki aapka ladkiyon ke liye kiya gaya ye comment blogjagat main bhuchal laane main kamyab rahega.. Haha..
Best of luck..
Deepak..
सुभाष दशोत्तर जी बारे में जान कर अच्छा लगा आश्चर्य की बात है इतने सारे लोगों के बीच घिरे होने के बाद कैसे खोए????????????
चलिए इंतजार ख़त्म हुआ...नहीं तो लोग चिंतित हो गए थे.
यहां तो बहुत से हैं जो पाए जाने के बाद भी खोए ही हुए हैं
BAHUT SHANDAR SAMACHAR HAI.....
to kho jaao naa..........mere dil ke darbe men kyun ghar kiye baithe ho ...aur haan apna nyaa cell number bhi do.........mera to vahi puaana hi hai
चलो आये तो सही…………सुभाष जी के बारे मे जानकर अच्छा लगा ………………।उनकी कोई कविता तो साथ मे लगानी थी ना…………………वैसे आइडिया अच्छा है……………खुद को तलाशने का अब आगे से चिंता खत्म जब भी गायब होगे पता चल जायेगा अपना विज्ञापन अपने आप दे दोगे……………ब्लोगजगत सूख सूख कर काँटा नही बनेगा………………और क्या कह रहे थे………………" वहां की जितनी भी सुंदर लड़कियां हैं... वो सारी लड़कियां दिमाग़ से पैदल हैं" -------------अभी जाती हूँ एक्सिस बैंक और बता कर आती हूं फिर पता चल जायेगा कौन दिमाग से पैदल है……………हा हा हा।
बेहतरीन लिखा है सर जी............................... ;-)
तुम न देते तो हम देते तुम्हारे खोने का विज्ञापन..अच्छा किया दे दिया. बढ़िया कविता रची..
सुभाष दशोत्तर जी की कुछ रचनाएँ पढ़वाओ.
शायद ....
मेरे विचारों पर
धारा एक सौ चव्वालिस
लागू होती जा रही है....
जिसने भी आपके विचारों पर
धारा 144 लागू की,
निश्चित ही बड़ी भाग्यवान होगी
बहुत दिनों के बाद पोस्ट आई है,
लेकिन है बढ़िया।
तुम आये तो आया मुझे याद
गली में कोई चाँद निकला...
तुम आये तो आया मुझे याद
गली में कोई चाँद निकला...
aapne bahut umda karya kiya jo aese rachnakar ko izzat bakhshi warna kise fikr hai auro ki ,kavita bhi bahut sundar hai .
.
.
.
मित्र महफूज,
'अति सुन्दर' है यह सौन्दर्य का बखान... वैसे अंदर की बात बताऊं... सुंदरियां जानती हैं कि ज्यादा बुद्धिमान स्त्रियों से अधिकतर पुरूष कतराते हैं... अत: वे 'दिमाग से पैदल' दिखती हैं... पर है यह भी उनकी एक अदा ही... कोई गलत धारणा न बना लेना कभी इस 'पैदल' दिखने के आधार पर ... ;)
आभार!
...
Aap Khoe kahan the ye bata deejiye to dhoondhne me Asani ho jaye. padhenge aapki English poetry Bhee.
बहुत ही अच्छा आप विज्ञापन के साथ आये हैं, ताकि कोई ज्यादा शिकायत न कर सके कि आप कहां थे....बहुत ही अच्छा लिखा है श्री सुभाष जी के बारे में आपने जो भी जानकारी दी उसके लिये आभार ।
बहुत सार्थक पोस्ट्।
विचारों से व्यवस्था को ख़तरा महसूस हुआ होगा - तभी तो लगी धारा 144!
मगर विचार अकेला भी काफ़ी है, आपका विचार भी तो आप जैसा ही होगा - अकेले ही काफ़ी;
:-)
Mahfooj bhai aap jaandaar to ho hi, saandaar bhi ho.......:)
aapki puri post dekho na kahan se kahan pahuch gayee, lekin fir bhi pura padhna para, kyonki aapne hame jore rakha.........:)
Subhash Dashater jee ka naam sach me kabhi nahi suna, aapke dwara aisee hasti ke bare me pata chala.......dhanyawad!!
Kavita ka kya kahna.......
ye to bata dijiye, koi aapko dhundh paya ya nahi....:D
dekhiyega wo Axis bank ki executive hi sayad aapko dhundh paaye.....dil laga rahe ho baabu, jara sambhal kar rahna...:D
God bless you!!
Mahfooj bhai aap jaandaar to ho hi, saandaar bhi ho.......:)
aapki puri post dekho na kahan se kahan pahuch gayee, lekin fir bhi pura padhna para, kyonki aapne hame jore rakha.........:)
Subhash Dashater jee ka naam sach me kabhi nahi suna, aapke dwara aisee hasti ke bare me pata chala.......dhanyawad!!
Kavita ka kya kahna.......
ye to bata dijiye, koi aapko dhundh paya ya nahi....:D
dekhiyega wo Axis bank ki executive hi sayad aapko dhundh paaye.....dil laga rahe ho baabu, jara sambhal kar rahna...:D
God bless you!!
...पर मैंने तो नहीं पढ़ा...
भैया, बहुत दिन बाद लिखा है लेकिन शानदार लिखा है! सुभाष जी की रचनाएँ पढवाने की कोई व्यवस्था कीजिये तो मेहरबानी होगी!
subhash ji ke bare men pahali baar suna lekin hamari duniyan bhi bahut chhoti hai.
ab lagane laga hai ki ap kuchh serious ho rahe hain, track badal raha hai sab ki tarah ham bhi barat ki taiyari kar lete hain.
bulana na bhooliyega.
वाह देर आए दुरुस्त आए, कविता तो बहुत अच्छी है.
वाह देर आए दुरुस्त आए, कविता तो बहुत अच्छी है.
बहुत दिनों के बाद पोस्ट आई है,
लेकिन है बढ़िया। बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
अगर बाकी के सारे अनुभव...
सब्जी खरीदने जैसे ही हैं आपके...
तो हम कुछ नहीं कह सकते...
आभार....
आपका यह ब्लॉग आपके प्रोफाइल में नहीं दिख रहा है भई ... इसका डिस्प्ले डिसेबल कर दिए हो क्या ?
@ महफूज़
आपकी टिपण्णी के लिए आभार ! गलती मेरी ही है ... मुझे पता नहीं था कि आपके दो प्रोफाइल है ... मैं आपके दुसरे प्रोफाइल में देखा था ...
Chalo koi baat nahi ... der aaye durust aaye ... aapki chat ka jawaab nahi de saka ... kuch computer mein kharabi ke kaaran blog jagat se bhi door raha ...
Ab aap mil gaye hai to niymit ho jaayen ... soona soona hai aapke bin ye blog jagat ...
खोने का ज्ञान होना ही बड़ी बात है. विज्ञापन भी दे दिया....! अब शांत हो जाइए, दिमाग वे लगाएं जिन्हें इनाम पाना है.
..बहुत दिन बाद आए लेकिन पोस्ट हमेशा की तरह जानदार है.
किसी ने कहा है..
मैने ये सोच कर मयखाने में नाम लिखवाया
जो मयकश लड़खड़ाते हैं वो बाजू थाम लेते हैं.
.आपने बैंक में..!
हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें
हमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
इसके लिये आपको नीचे दिए गए लिंक पर जा कर दिया गया कोड अपने ब्लॉग पर लगाना होगा. इसके उपरांत आपके ब्लॉग पर हमारीवाणी का लोगो दिखाई देने लगेगा, जैसे ही आप लोगो पर चटका (click) लगाएंगे, वैसे ही आपके ब्लॉग की फीड हमारीवाणी पर अपडेट हो जाएगी.
कोड के लिए यंहा क्लिक करे
जैसे ही आप लोगो पर चटका (click) लगाएंगे, वैसे ही आपके ब्लॉग की फीड हमारीवाणी पर अपडेट हो जाएगी.
kis par lagaayein chatkhaa...???
kis pe..?
भाई महफूज़
इसका मतलब यह हुआ कि आज कल इंदिरानगर के भूतनाथ मार्केट के चक्कर लगा रहे हो.....और आपके प्रशंसक तो आपकी बारात की तयारी में जुट गए....क्या चक्कर है ये सब ?
mafuz bhai,
aapne bilkul sahi likh hai aise bahut se naami -giraami log jinko hamare samaaj me uchit samman milna chahiye tha vo kahi gumnaamiyo ke andhere me kho gaye hai ya fir jillt ki jindgi ji rahe hai, yahi hai aaj ki sachchai.aapka aalekh aur kavita dono hi pasand aai.
poonam
blog par baar baar dastak dene ke liye shukriya... :)
कुछ दिन और हाज़िर न होते तो हमे विज्ञापन देने की जरुरत पड़ जाती.देर आये दुरुस्त आये.
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा पोस्ट्!
HAHAHA......
BAHUT KHOOB,
MAZA AA GAYA PADHKER...
बहुत अच्छी पोस्ट! चना ने मन मोह लिया। धन्यवाद |
क्या आज तक कोई खुद को तलाश पाया है ?
Fir kahan kho gaye....
waah mahfooz bhai .. waah , kho gaye ho ya khone waale ho , ye abhi tak ek mudda hai ..
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
Badhiya hai...
________________________
'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'
श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानकार अच्छा लगा |
कविता भी अच्छी लगी ......
असिक्स बेंक ही क्यूँ अब तो लगभग हर कंपनी, चेनल (न्यूज़ चेनल भी), बैंक आदि खुबसूरत लड़कियों को आगे कर ग्राहक खिंच रहे हैं....
खैर खूबसूरती सबको प्यारी लगती है.
wahh kya baat hai... daat deni padegi aapki kala ki...soch se parah likha hai aapne... kaafi hunar hai ap me..
Meri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
aapke comments ke intzaar mein...
A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas
chalo achcha hua mil gaye.
mehfooz ji ..samay nikalkar blog tak aane ke liye shukriya..aapka hamesha hi swagat hai ..:) aapne jo link manga hai..vo main de rahi hoon..
http://intihajagjitsingh.blogspot.com/
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपके नए पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है!
बहुत अच्छा लिखा है आपने
स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं
हैपी ब्लॉगिंग
स्वाधीनता-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...जय हिंद !!
bahut hi badhiya abhivyakti....
kisi ne satya ki khoj ki thi aap apni hi khoj kr rahe hain......
khuda kare kisi ko inaam mil jaye..
shubhkaamnayen!!!
स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामानाएं.
चलिए किसी बहाने श्री सुभाष दशोत्तर जी के बारे में जानने को मिला. गुमशुदा ही सही आप खुश तो हैं.
अब तक मिला कि नही ..बहुत दिन हो गये ।
अच्छा लिखा है पहलवान। सुन्दर लड़कियाँ, पता नहीं क्यों, हमें भी अच्छी लगतीं हैं मगर क्या बतलाएँ उन्हें हम अच्छे नहीं लगते ना जाने क्यूँ ?
सुभाष दशोत्तर के बारे में जानकारी देने का शुक्रिया,रचना में पारदर्शिता है !
bahut achchha likha hai aapne......mera blog visit karne ke liye shukriya
wah.....
आपकी टिपण्णी मिलने पर बहुत अच्छा लगता है! इस हौसला अफ़जाही के लिए आपका शुक्रिया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!
आपके प्रोत्साहन के लिये आभारी हूं, बस आप यूं ही अपनी उपस्थिति बनायें रखें, शुभकामनाओं के साथ ...
पहली बार आपके ब्लॉग पे आया और ये राचनरचना पढ़ी. स्कूल के दिनों के बाद हिंदी में कुछ नया पढने को नहीं मिलता है. बहुत मजा आया आपकी रचना पढ़कर. मुझे आपकी तरह लिखें नहीं आता, मेरा भी एक ब्लॉग है जिसपे दूसरो की भेजी रचनाये प्रकाशित करता हु !
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
बहुत दिनों तक छुप लिए.अब मिल जाएँ, बहुत लोग ढूंढ़ रहें हैं.ब्लॉग जगत को आपकी नयी पोस्ट का इंतज़ार है.
आज आपका ब्लॉग देखा..बहुत अच्छा है...सुंदर रचनाएं
महफ़ूज़ भाई
शानदार है आपका ब्लॉग और इसमें शामिल विविध रंग रस की सामग्री ।
रोचक है यह पोस्ट भी …
बधाई !
ता'ज़्ज़ुब है , एक्सिस बैंक की दिमाग़ से पैदल ख़ूबसूरत लड़कियों में से किसी ने भी अब तक आपकी पोस्ट नहीं पढ़ी !
:)
आपके खोने का विज्ञापन… भी पढ़ा ।
इनआम में क्या मिलने वाला है , खुलासा हो जाता तो मिलवा देते आपको आपसे
बहरहाल, बहुत सारी शुभकामनाएं आपके लिए …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
२० जुलाय और ३० अगस्त. अंतराल कुछ ज्यादा नहीं हो गया ?
लाजवाब प्रस्तुति...
!!!!!!!!!!!!!
!!!!!!!!!!!!!
!!!!!!!!!!!!!
!!!!!!!!!!!!!
!!!!!!!!!!!!!
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.....!!
मेरे विचारों पर धारा
एक सौ चव्वालिस
लागू होती जा रही है....
क्यों झूठ बोल रहे हो पोस्ट पढ कर मुझे तो नही लगा कि इस दफा का कहीं कोई असर है?
बहुत खूब।आशीर्वाद।
बरक्कत बनी रहे, आपके बैंक खातों की.
ek blog par aapka ye comment padha..
आजकल मैं बहुत चूज़ी हो गया हूँ... सच्ची! बहुत ही चूज़ी... अब मुझे हर चीज़ बेस्ट ही चाहिए होती है... और मैं बेस्टेस्ट की ही तलाश करता हूँ... बिलो स्टैण्डर्ड से नफरत सी हो गई है.... इसी तरह मुझे ब्लॉग्गिंग में भी हो गया है... मैं अब बेस्टेस्ट पोस्ट्स ही पढ़ता हूँ... और उन पर कमेन्ट करता हूँ.... और रिदम ऑफ़ वर्ड्स उनमें से एक बेस्टेस्ट ब्लॉग है... और इसको बेस्टेस्ट बनाने वाला तो जेम (GEM) है .....कविता या लेखनी वही होनी चाहिए जो आपके दिल में उतर जाये... यू आर ग्रेट... विद इन्नेट फ्लो ऑफ़ वर्ड्स ... बेगेटिंग... फ्रॉम दा कोर ऑफ़ हार्ट....
padh kar laga uff.. kya ghamand hai.. aur sach
ye to is post mein aapne bhi maan liya ki aap ghamandi ho gaye hain..
khair, ek shubhchintak ki muft salah diye deti hun, ghamandi hona sehat ke liye accha nahi, saath hi ghamandi logo ke dost kam hote hain, chamche kitne hote hain ye main nahi jaanti, post par 134 comment aaye hain 135wa main kar rahi hun, aapse guzarish hai apni kavita padhein aur fir se apna comment padhein...
aur sochein, kya ye best of best hai?
waise mujhe kavita acchi lagi, agar aapka comment na padha hota to main bhi yahi kehti mehfooz bhaai aap accha likhte hain.
ek baat aur..
khoobsurat ladkiyaan dimaag se paidal hoti hain ye rai galat hai aapki.. badal dijiye.. :)
आपका विज्ञापन पढ़ा ........आप कही मिले तो जरुर आपको आप तक पहुंचा देंगे .....फिलहाल तो हम खुद को ढूंढ रहें हैं .....कभी जवाबों ....कभी सवालों में....कभी किसी की आँखों में...
पर हाँ आपकी अभिव्यक्ति अलग है....अच्छा लगा....
बेहतरीन....................
hello, I wish to get some of your books, where to get them. all the best, Jiwan
4 की गुंजाइश तो 144 में भी होती है शायद और क्या इतने काफी नहीं.
होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
ऋण! ऋण !! ऋण !!!
क्या आप एक सम्मानित और मान्यता प्राप्त निजी ऋण कंपनी की तलाश कर रहे हैं जो जीवन समय अवसरों पर ऋण देता है। हम बहुत ही त्वरित और आसान तरीके से सभी प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं, व्यक्तिगत ऋण, कार ऋण, गृह ऋण, छात्र ऋण, व्यापार ऋण, निवेश ऋण, ऋण समेकन, और अधिक क्या आपको बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है? क्या आपको एक समेकन ऋण या बंधक की जरूरत है? अब और नहीं खोजिए क्योंकि हम यहां अपनी सारी वित्तीय परेशानियों को अतीत की बातों के लिए बनाने के लिए यहां हैं। हम 2% की दर से वित्तीय सहायता की आवश्यकता वाले व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए ऋण धनराशि निकालते हैं कोई सामाजिक सुरक्षा नंबर आवश्यक नहीं है और कोई क्रेडिट जाँच की आवश्यकता नहीं है, गारंटी की 100%। मैं इस माध्यम का उपयोग करना चाहता हूं कि आपको सूचित किया जाए कि हम विश्वसनीय और लाभार्थी सहायता प्रदान करते हैं और हमें आपको एक ऋण प्रदान करने में खुशी होगी।
तो आज हमें ईमेल करें: (victoriaemmanuelloan@gmail.com) अब एक ऋण के लिए आवेदन करने के लिए
एक टिप्पणी भेजें