मैं हिन्दी हूँ,
दबी-कुचली,
अपने ही वतन में
मेरे हमवतन मुझे
दया भरी नज़रों
से देखते हैं.....
कहने को तो मैं
राष्ट्रभाषा हूँ
जैसे महात्मा गाँधी
राष्ट्रपिता
दोनों का ही छदम वजूद
हम दोनों केवल
अपने दिवसों पर ही
याद किए जाते हैं....
मैं हिन्दी हूँ।
मेरे अपने ही देश में
शिक्षण संस्थानों के
नाम,
सेंट पॉल, सेंट मेरी , सेंट बोस्को,
और सेंट जॉन
पता नहीं!
आदिकाल से मैंने ऐसे संत
अपने देश में नहीं देखे ,
न ही सुने.............
सुना है चौदह सितम्बर को
मेरा दिवस है?
मुझे दिवस के रूप में
मनाया जाता है
जैसे वैलेंताईंस (Valentines) डे, रोज़ डे, किस डे
मनाया जाता है....
पन्द्रह दिनों की खुशी
का पखवारा ,
फिर उसके बाद
अंग्रेज़ी की पौ बारह.....
क्या मैं इतनी गिर गई हूँ?
मेरा दिवस ही
सबूत है इस
बात का
कि मैं गिर गई हूँ !!!!!!!!
शायद..............??????