सोचता हूँ कि
अगर तुम
मेरी ज़िन्दगी में
आतीं नहीं
तो क्या होता?
तो खो जाता अपनी
तनहाइयों में,
कोई पहचान नहीं बना पाता,
कर देता खाकसार ख़ुद को
पिछली यादों में,
आस जीने की खो देता
आंसुओं के सैलाब में,
पर अब तुम हो मेरे साथ
मेरे हमनवाँ,
पता नहीं!!!!!!!!!
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........