बुधवार, 25 नवंबर 2009

मेरी जंग: वक़्त का सबसे बड़ा झूठ...




जब मैं खोया हुआ रहता हूँ,
एकटक छत को घूरता रहता हूँ
अपने आसपास से अनजान
और काटता रहता हूँ
दांतों से नाखून.

नहीं सुनाई देती है
कोई भी आवाज़
कोई मुझे थक हारकर
झिंझोड़ता है और पूछता है
क्यूँ क्या हुआ?

मेरे मुहँ से अचानक निकलता है
नहीं......!!!! कुछ भी तो नहीं...
यह उस वक़्त का सबसे बड़ा झूठ होता है
वास्तव में उस वक़्त मैं .....
लड़ रहा होता हूँ
एक जंग खुद से
जिसमे कुछ भी तो नहीं शामिल होता है....
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