मैं जानना चाहता हूँ
तुम्हारी हर
मुस्कराहट का राज़........
कैसे तुम उड़ा देती हो?
सिर्फ़ एक हँसी में
मेरी ज़िन्दगी की
परेशानियों को
बेआवाज़ ।
मुझे
तपती धूप
में भी होता है
ठंडक का एहसास
तुम्हारे साथ।
कैसे झाँक लेती हो?
तुम मेरे अन्दर
और
देख लेती हो
उन नज़रिए को।
खिलखिला
उठता है मेरा मन्
उन गिले-शिकवों की जगह
देख के तुम्हारा वो
रेशमी आगाज़ ।
मेरे दर्द की
परछाईओं को
अपनी मुस्कराहट से
मिटा देने का अलग
है तुम्हारा अंदाज़,
बोलो ? ? ?
बोलो ना !!!!!!!!!
क्या है तुम्हारी
इस अदा
का राज़?
महफूज़ अली