गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

आरती ओम् जय जगदीश हरे का सच..... आईये जानें इसको और इस आरती के जनक को......



शारदा राम "फिल्लौरी" 19वीं शताब्दी के प्रमुख सनातनी धर्मात्मा थे. एक समाज सुधारक होने के साथ-साथ उन्होंने हिंदी तथा पंजाबी साहित्य क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किये. आधुनिक हिंदी के क्रमिक (Gradual) विकास में इनका अप्रतिम योगदान कभी न भुलाया जा सकेगा. 

बहुत कम लोग ही इस सच्चाई से वाकिफ होंगे कि दुनिया भर में प्रसिद्ध  प्रार्थना (आरती) 'ओम् जय जगदीश हरे' जो आज पूरे दुनिया में हिन्दू परिवारों में पूजा पद्धति के रूप में गाई जाती है के जनक(Father) श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" थे. उनके द्वारा लिपिबद्ध कि गई यह प्रार्थना (आरती) उनके अपने जीवन काल में ही एक नई ऊंचाई को छू लिया था. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" के लिए श्रद्धा का मतलब इश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण था. 
मात पिता तुम मेरे,शरण गहूं मैं किसकी ,
तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी...
भक्ति-भाव के प्रति समर्पण इनके द्वारा लिपिबद्ध कि गई प्रार्थना (आरती) के एक-एक पंक्ति में स्पष्ट रूप से झलकता है. वे दृढ रूप से इश्वर के प्रति समर्पण में विश्वास रखते थे.  सत्यधर्म व शतोपदेश ने श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" को अनंत समर्पण के कवि के रूप में स्थापित किया तथा उनके कार्यों को भक्तिकाल के तुलसीदास व सूरदास के समकालीन माना. 

श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" का जन्म जालंधर (पंजाब) के एक गाँव फिल्लौर के ब्राह्मण परिवार में 30 सितम्बर 1837 को हुआ था. इनके पिता श्री. जय दयालु जाने-माने ज्योतिषी थे. अपने पुत्र के जन्म के समय ही उन्होंने भविष्यवाणी कर दी थी कि उनका उनका पुत्र अपने अल्पकाल के जीवन में यश-कीर्ति कमाएगा और उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" ने गुरमुखी  भाषा व लिपि का अध्ययन सन 1844 में सात साल कि उम्र में कर लिया था.

बाद के सालों में उन्होंने हिंदी, संस्कृत, फारसी और ज्योतिष कि भी शिक्षा ली तथा सन 1850 में संगीत विशारद कि उपाधि ली. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" का विवाह सिख औरत महताब कौर से हुआ था.  सन 1858 में श्री. शारदा राम की मुलाक़ात एक ईसाई पादरी न्यूटन (NEUTAN) से हुई तथा सन 1868 में उन्होंने गुरमुखी भाषा व लिपि में पहली बार बाइबल का अनुवाद किया. 

"सिखां दे राज दी विथिया" और "पंजाबी बातचीत" गुरमुखी लिपि में श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" की यादगार रचनाएँ हैं. "सिखां दे राज दी विथिया" (प्रकाशन 1866)और "पंजाबी बातचीत" ऐसी प्रथम किताबें हैं जिनका अनुवाद गुरमुखी लिपि से रोमन लिपि में हुआ है. "सिखां दे राज दी विथिया" के सृजन ने शारदा राम को आधुनिक गद्य के जनक के रूप में स्थापित किया. यह किताब तीन अध्यायों में है. इसके आखिरी अध्याय में पंजाब के रीती-रिवाज़ , आम बोल-चाल के शब्द तथा लोक संगीत के बारे में जानकारी दी गई है. इसी कारण से इस किताब को पंजाब में पाठ्य-पुस्तक के रूप में उच्च शिक्षा के लिए निर्धारित किया गया था. 

"पंजाबी बातचीत" में पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचलित कहावतें, मुहावरों व क्षेत्रीय भाषा शैली का चित्रण किया गया है. पंजाबी शब्दकोष से लुप्त हो चुके तथा दुर्लभ शब्दों को पाठक पंजाबी बातचीत में खोज सकते हैं. ब्रिटिश काल में भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश लेने के लिए ब्रिटिशों और भारतियों को पंजाबी बातचीत पर आधारित विस्तार पूर्ण (Subjective) परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य (Mandatory) था. 

श्री. शारदा राम भारत के प्रथम उपन्यासकार के रूप में भी जाने जाते हैं. उनके द्वारा लिखित प्रथम हिंदी उपन्यास "भाग्यवती" जिसको निर्मल प्रकाशन ने सन 1888 में प्रकाशित किया था. इस उपन्यास की केंद्रीय पात्र एक स्त्री भाग्यवती है जो लड़की के पैदा होने पर अपने पति को समझाती है की लड़का और लड़की में कोई भेद नहीं है. इस उपन्यास में श्री. शारदा राम ने  बाल-विवाह, दहेज़-प्रथा व शिशु (बालिका) -हत्या का प्रबल विरोध किया है तथा विधवा-विवाह व प्रौढ़-शिक्षा का घोर समर्थन किया है. इसी वजह से यह उपन्यास अपने समय से काफी आगे था. दिलचस्प बात यह है कि उस ज़माने में यह उपन्यास माता-पिता द्वारा अपनी बेतिओं को उनके विवाह के समय दहेज़ स्वरुप भेंट किया जाता था. 

ऐसा माना जाता है कि भारत का प्रथम हिंदी उपन्यास सन् 1902 में प्रकाशित "प्रीक्षा-गुरु" (PRIKSHA-GURU) था जिसके लेखक श्री. लाला श्रीनिवास थे. परन्तु डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी जो कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में हिंदी विभाग में प्रोफ़ेसर हैं, के खोजों  व ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार भारत का प्रथम हिंदी उपन्यास "भाग्यवती" था जिसने भारतीय साहित्य के इतिहास को दोबारा लिखने को मजबूर कर दिया. 

श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" एक श्रेष्ठ चिन्तक होने के साथ - साथ स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति थे तथा वेदों व शास्त्रों की व्याख्या अपनी सोच व ढंग से किया करते थे. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी ने देश की आज़ादी के आन्दोलनों में भी हिस्सा लिया था. महाभारत से उद्धृत अपने भाषणों का इस्तेमाल उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किया था. जिसके लिए अंग्रेज़ों ने उन्हें अपने गाँव फिल्लौर से देश निकला दे दिया था. 

इसे विड़म्बना ही कहेंगे की जिस प्रार्थना (आरती) 'ओम् जय जगदीश हरे' से विश्व भर के हिन्दू अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हैं उसी प्रार्थना (आरती) के जनक को भुला चुके है. श्री. शारदा राम "फिल्लौरी का देहांत मात्र 44 वर्ष की अल्प आयु में 24 जून 1881 को लाहौर में हुआ. 

अपने साहित्यिक अनुसरण और भाषणों से श्री. शारदा राम "फिल्लौरी ने न सिर्फ पंजाबी साहित्य में महत्वपूर्ण विकास किया बल्कि हिंदी साहित्य को भी अपने अप्रतिम योगदान से एक नया आयाम दिया.


Sources (सन्दर्भ) :--
१. गुरु नानक विश्वविद्यालय, अमृतसर. (फोटो भी यहीं से लिया है)
२. डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी (प्रो. व डीन हिंदी विभाग GNDU, अमृतसर.... किसी भी प्रकार का शुबह होने पर इनसे इस नंबर पर 9356133665 संपर्क  किया जा सकता है.)
३. प्रस्तुत लेख सत्य तथ्यों और स्वयं किये गए शोध  पर आधारित है. 
(आप सब को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएं....)

97 टिप्पणियाँ:

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

main pehla comment daalne ka lobh samwaran nahi kar paayi ..baki baat bat mein ..ati hun

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

डॉक्टर महफूज़,
आपकी इस पोस्ट के लिए मैं कमसे कम अपनी और अपने समस्त परिवार की और से ह्रदय से धन्यवाद करती हूँ...
मुझे यह स्वीकार करने में भी कोई संकोच नहीं है की सचमुच मुझे 'ॐ जय जगदीश हरे' आरती के जनक के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था...यह सचमुच शर्म की बात है...आपने आज एक बार फिर बता दिया की आप कितने अच्छे इंसान हैं...आपके जैसे और थोड़े से भी इंसान हो जाएँ दुनिया में तो बात ही बदल जाए...
इसे कहते हैं सच्चा शांतिदूत....आज त्यौहार के दिन आपका यह तोहफा ब्लॉग जगत के लिए अनुपम है.. !! और विश्व शांति की ओर बढ़ता हुआ पहला कदम .....जो की आपका है ...मुबारक हो...~!!!!
धन्यवाद !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

मुझे यह स्वीकार करने में भी कोई संकोच नहीं है की सचमुच मुझे 'ॐ जय जगदीश हरे' आरती के जनक के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था...
धन्यवाद !!!

shikha varshney ने कहा…

महफूज़ साहब ! ये आपने बहुत अच्छा काम किया है
वाकई हम सब ये आरती रोज़ गाते हैं पर शायद ही कोई इसके जनक के बारे में सोचता हो....आज आपने शारदा राम फिल्लोरी जी के बारे में इतनी जानकारी देकर सभी हिन्दू धर्म के उपासकों को कृतज्ञ कर दिया.इसे ही रौशनी फैलाते रहिये....God bless you.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया जानकारी दी आपने।
मगर मुझे तो यह पहले से ही मालूम था।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

निर्मला कपिला ने कहा…

मुझे नाम तो पता था मगर इतने विस्तार मे इनके बारे मे पता नहीं था धन्यवाद बेडी साहिब का भी आभार दीपावली की शुभकामनायें

समयचक्र ने कहा…

आपने बढ़िया जानकारी दी... दीपावली पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ....

Udan Tashtari ने कहा…

आज प्रथम बार आपके माध्यम से श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" के बारे में जाना. धन्य हो गये. कभी इस ओर विचार ही नहीं गया कि आरती गा तो रहे हैं, लिखा किसने है.

बहुत बहुत आभार.

Arvind Mishra ने कहा…

यह तो बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है -पहले सुन रहा हूँ ! आपने तो मानो इस महत्वपूर्ण सन्दर्भनीय जानकारी को "जिन खोजा तिन पाईयां गहरे पानी पैठ " की तर्ज पर ढूंढ निकाला है ! यह हिन्दी साहित्य के अध्येताओं और शोध कर्ताओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण है !

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत ही उम्दा पोस्ट । मैं समझ सकता हूँ कि इतनी उम्दा पोस्ट के पीछे कितनी मेहनत छिपी है । इतनी अच्छी जानकारी के लिये आभार ।

Unknown ने कहा…

वास्तव में यह बहुत बड़ा अन्याय है उस महान रचनाकार के साथ कि उनकी रचना को तो विश्व भर के हिन्दुओं ने याद रखा किन्तु रचनाकार को भुला दिया। उनका स्मरण दिलाने का महान कार्य करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद!

आप तथा सभी मित्रों को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ!

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट है ये .. अच्‍छे अच्‍छे विषयों को उठाना और उसपर पूरा शोधकर मोती चुनकर हमलोगों के सम्‍मुख लाने का आपका प्रयास सराहनीय है .. शारदा राम फिल्लोरी जी का नाम हमने सुना था कभी .. लेकिन इसपर इतनी गंभीरता से ध्‍यान नहीं दिया था .. इतनी जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया !!

Ambarish ने कहा…

ये आपने बहुत ही अच्छा कार्य किया है.. सचमुच हमें इस आरती के जनक के बारे में कुछ पता नहीं था... आपका बहुत बहुत शुक्रिया ये जानकारी सामने लाने के लिए... मैं ये अनुरोध करने वाला था आपसे.. कोई भी जानकारी देने के साथ अगर संभव हो तो उनके source भी quote करें जिससे की वहां उपलब्ध और जानकारी भी हम हासिल कर सकें... आपने already ये कर दिया है... बहुत बहुत धन्यवाद् आपको...

"श्री. शारदा राम "फिल्लौरी" का विवाह सिख औरत महताब कौर से हुआ था. सन 1858 में श्री. शारदा राम की मुलाक़ात एक ईसाई पादरी न्यूटन (NEUTAN) से हुई तथा सन 1868 में उन्होंने गुरमुखी भाषा व लिपि में पहली बार बाइबल का अनुवाद किया."
interesting...
"उनके द्वारा लिखित प्रथम हिंदी उपन्यास "भाग्यवती" जिसको निर्मल प्रकाशन ने सन 1888 में प्रकाशित किया था
दिलचस्प बात यह है कि उस ज़माने में यह उपन्यास माता-पिता द्वारा अपनी बेतिओं को उनके विवाह के समय दहेज़ स्वरुप भेंट किया जाता था."
even more interesting...
आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं...

kshama ने कहा…

Ye to bahut achhee jaankaaree dee aapne!

SP Dubey ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

इस आरती मे सीधे - सीधे परम शक्ति की वन्दना की गई है। मै भी कई दिनों से इसके रचियता का नाम जानना चाहता था। आपने समग्र जानकारी उपलब्ध कराई आपका आभार, महफ़ुज ग्यान आपके माध्यम से मुझ तक पहुचा,आपका पुन: आभार्।
दीप पर्व की शुभकामना

Kavita Vachaknavee ने कहा…

लेख के लिए शुभकामनाएँ|

इस आरती के रचयिता का वास्तविक नाम शारदा राम नहीं अपितु `श्रद्धा' राम फिल्लौरी था, कृपया सही कर दें| संभवतः यह टाइपिंग की चूक रह गयी हो |

नेट पर भी फिल्लौरी जी पर केन्द्रित सामग्री हिन्दी में उपलब्ध है, एक लेख तो लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हिन्दी मीडिया ( http://www.hindimedia.in/index.php?option=com_content&task=view&id=1255&Itemid=54 ) ने ही छापा था|

उस लेख में नाम तो उन्होंने सही लिखा था किन्तु जन्मस्थान गलत लिखा था, देखिए - "प. श्रध्दाराम शर्मा का जन्म 1837 में पंजाब के लुधियाना के पास फुल्लौर में हुआ था" | यहाँ स्थान का सही नाम - "फिल्लौर" होना चाहिए,जो आज भी वर्तमान है और तब भी था | उसी के कारण उनके नाम के अंत में फिल्लौरी उपनाम की भाँति आता है| साहिर "लुधयानवी' ( अर्थात लुधियाना वाले )|

SP Dubey ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Mishra Pankaj ने कहा…

गाते तो बहुत दिन से है लेकिन मतलंब नहीं पता था धन्यवाद आपका
और हां आप और आपके परिवार की दीपावली की शुभ कामनाये ,

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

आप सब लोगों से मेरी गुजारिश है कि मेहेरबानी कर के अंग्रेज़ी के वर्तनी पे न जाएँ..... उनका नाम शारदा राम ही था.... न कि शारधा राम या श्रधा राम...... यह modified रूप है शोध का.... जिन्होंने यह शोध किया है........... इनका मोबाइल नंबर मैंने दिया है...... कृपया उनसे बात कर लें..... मैंने सिर्फ यह लेख आप लोगों तक पहुंचाया है............. जिन्हें लोग भूल चुके हैं.......... हर चीज़ जो और भी लोगों को मालूम है वो सच नहीं है...... यह लेख पूर्णतया सच और सही शोध पर आधारित है..... spellings को लेकर प्लीज़ कोई भ्रम न पालें..... न ही दूसरों को भरमायें........... अंग्रेज़ी में कई बार sharda को shardha भी लिखते हैं .......... गल्तिआं निकालना आसान होता है..... जो शोध करते हैं......उन्हें ही सही मालूम होता है............ मैं यहाँ ज्ञान नहीं बखार रहा हूँ............... बल्कि एक ऐसे इंसान को याद कर रहा हूँ जिसे हम सब भूल चुके हैं................. और भी लोगों को याद करा रहा हूँ.......... यह लेख लिखने से पहले दो हज़ार लोगों पे survey हो चुका है कि उन्हें इसके रचयिता के बारे में मालूम है या नहीं............. और सबका जवाब यही था कि पता नहीं......... किसने लिखा है..............? बेदी साहब से कन्फर्म करने के बाद ही इसे लिख रहा हूँ.......... और यह शोध २५ साल पहले का है........... और अब कन्फर्म रूप में आम जन को श्री शारदा राम जी कि याद दिलाना है.......... न कि यहाँ ज्ञान बखारना........... मैंने इसीलिए............. सन्दर्भ का उल्लेख किया हुआ है................. अगर यह शोध मेरा होता तो सन्दर्भ नहीं लिखता....... मैं खुद senior Lecturer हूँ............ तो ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा...........

शायदा ने कहा…

मुझे भी यही लग रहा है कि उनका नाम शारदा राम नहीं बल्कि श्रद़धा राम फिल्‍लौरी ही था। जालंधर से लुधियाना जाते हुए मुख्‍य सड़क से ही एक छोटा सा स्‍मारक बाजार के बीच बना हुआ नज़र आता है, जो उनकी याद में बनाया गया है। वहां संभवतया श्रद़धा राम फिल्‍लौरी ही अंकित है, लेकिन यह भी सही है कि शोधकर्ता के पास आमजन से ज्‍यादा और विश्‍वसनीय जानकारी होती है। बहरहाल पोस्‍ट बढिया है।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मेरी आप सब लोगों से एक बार फिर गुजारिश है.......... कि उनका नाम श्रद्धा राम नहीं था ..... शारदा राम ही था..... अंग्रेज़ी में SHARDHA RAM लिखते हैं..... और SHARDA RAM भी ..... अंग्रेज़ी में जब भी श्रद्धा लिखेंगे तो ऐसे लिखेंगे..... SHRADDHA........ मैं यह कन्फर्म कर के ही लिख रहा हूं...... कृपया अन्य लोगों को न भरमायें..... कितने शर्म कि बात है...... हम भारतवासिओं को एक महान आदमी का सही नाम ही नहीं मालूम है.....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आपने बढ़िया जानकारी दी... दीपावली पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

jaankari ke liye bahut bahut dhanyvaad .

M VERMA ने कहा…

सुन्दर जानकारियो के तो पर्याय हो गये है आप. छोटी छोटी बाते जो हमारे इर्द गिर्द है कब ध्यान जाता है !!
दिवाली की हार्दिक बधाई

DIVINEPREACHINGS ने कहा…

महफूज़जी,
हम आपके हृदय से आभारी हैं कि आपने इस अछूते सत्य को साधारण हिन्दू तक पहुँचाया। आप का यह कार्य अति प्रशंसनीय है। श्री फिल्लोरी का असली नाम शारदा राम शर्मा ही था । जो अंश श्री अम्बरीश अम्बुज ने जोड़ा है वह भी सत्य है.... अदा ने आपको शांतिदूत कह कर सभी हिन्दुओं की और से आपको सम्मान दिया है....आप जैसे सच्चे मुसलमानों ने हर कदम पर दोस्ती का हक अदा किया है... आप और भी यश्स्वी बनें.....यही कामना है ।

शेफाली पाण्डे ने कहा…

hum to tumharee nit naee khoj ke kaayal hain....

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत बढ़िया भाई..मुझे तो कुछ भी नही पता था इस बारे में..बहुत जानकारी वाली बात आपने बताई आपका इस तरह का प्रयास निरंतर जारी है.जो बहुत अच्छा लगता है हमें कुछ ना कुछ सीखा जाती है आपकी पोस्ट...बहुत बहुत धन्यवाद भाई..

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

'ओम् जय जगदीश हरे' के जनक शारदा राम "फिल्लौरी" जी को नमन ...!!

मुझे भी इस बाबत जानकारी नहीं थी ....!!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

महफूज़ भाई,
दिवाली पर आपने हम सब को बहुत ही बढ़िया उपहार दिया अपनी नयी पोस्ट के रूप में !
तहे दिल से आप का मुरीद हो गया हूँ !
अदा जी से एकमत हूँ, काश सब आप जैसे हो जाये !
आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत ही महतवपूर्ण जानकारी. आभार
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.

बेनामी ने कहा…

इसकी आखिरी लाइन हैं

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढाओ, संतन की सेवा

ॐ जय जगदीश हरे...

sanjay vyas ने कहा…

इस पोस्ट के लिए कोटिशः आभार.
साबित होता है कि रचनाएं रचनाकार से अधिक दीर्घ जीवी होती हैं.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

महफूज जी, इस जानकारीपरक आलेख के लिए तो आपकी जितनी भी प्रशंसा की जाए,कम है ।
इनका जन्मस्थान होने के कारण यहाँ पंजाब में तो अधिकाँश लोग इनके नाम से परिचित हैं...किन्तु आज आपके इस आलेख के जरिए बहुत से लोगों को इनके बारे में विस्तार से जानने को मिल पाया ।
आभार्!
आपको सपरिवार दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाऎं!!!!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

@महफूज भाई आभारी हूँ |

आज तक आरती तो कई बार गाया पर ये इसके रचनाकार को जानने की कोशिश ही नहीं की |

बहुत बहुत धन्यवाद ... और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

लेख देखा. तथ्यपरक लेख पर हार्दिक आभारी हूँ आपका.
हम व्यक्ति से ज्यादा कर्म को महत्त्व देते हैं, ये कर्म ही व्यक्ति को महानता प्रदान करते हैं, उन्हें आदर्श श्रेणी में लाते हैं.
इसलिए नाम को लेकर यदि विवाद टिप्पणियों में तल्ख़ हो रहा है, तो दुखद है.
यह रचना की गुणवत्ता की महानता है की वह सर चढ़ कर बोल रही है, भले ही कोई रचनाकार को जाने या न जाने.
रचनाकार अपने परिश्रम को तभी सफल मानता है जब वह रचना लागों के जुबान पर छा जाती है.........
चूँकि रचना कर ने अपने जीते जी यह सफलता पा ली थी, इसीलिए इसे कापी राइट शायद न किया हो, और उसे जनता को ही समर्पित कर दिया हो, और जो आम जन ने श्रद्धा से स्वीकार, अंगीकार कर लिया, वह मानवीय नहीं बल्कि ईश्वरीय हो जाती है,
अतः रचनाकार के नाम पर विवाद होना ही नहीं चाहिए.......

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

बवाल ने कहा…

बहुत बेहतर लेख लिखा भाईजान,
मुकम्मल जानकारी है इसमें। यह बहुत उम्दा काम रहा आपका। लोगों के काम आएँगी ये बातें। हमारे दिल की बात यदि पूछें तो यह है हमारे महफ़ूज़ मियाँ के कद के लहजे की बात। आपको दीवाली की मुबारक़बादियाँ और आपके अज़ीज़ों को हमारा अस्सलामुअलैकुम।
---आपका बिरादर बवाल

अजय कुमार झा ने कहा…

जब भी कभी ब्लोग पर संजीदा लेखन और अनुपम पोस्टों की बात होगी ..उसमें आपका श्रम, अध्य्य्न और आपकी इस पोस्ट की चर्चा अवश्य होगी। जानकारी दुर्लभ लगी मुझे तो....आभार स्वीकार करें।
अजय कुमार झा

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छा लगा, यह जान कर, मै साल मै दो चार बार इस आरती को करता हुं, लेकिन कई बार विचार भी आया कि यह आरती किस ने लिखी होगी, लेकिन ज्यादा सोचा नही, क्योकि मै कट्टर किस्म का नही, ओर आज आप से जान कर बहुत हेरानगी उयी की यह आरती बहुत ज्यादा पुरानी नही जितनी की मै मानता था. आप का दिल से धन्यवद इस सुंदर जानकारी देने के लिये.
आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामनाये

Khushdeep Sehgal ने कहा…

महफूज भाई,

अब फुर्सत मिली है...सबसे पहला काम आपकी पोस्ट पर आने का किया...औरों के लिए ओम जय जगदीश के रचयिता कोई भी हो लेकिन आज से अपने लिए शारदा राम फिल्लौरी ही हैं...क्योंकि ये तथ्य शोध की मेहनत है...सिर्फ इंटरनेट खंगालने या सुनी-सुनाई बात पर महफूज़ कोई लेख लिख ही नहीं सकते...दूसरी बात फिल्लौर कस्बे से मेरा भावनात्मक लगाव भी है...क्योंकि मेरी बहन का ससुराल वहीं से है...
तुम्हारी पोस्ट पढ़ते-पढ़ते मैं 1952 की फिल्म... बैजू बावरा... में चला गया...उसका एक भजन था... मन तड़पत हरि दर्शन को आज...जानते हो हिंदी सिनेमा के इस सबसे बेहतरीन भजन को लिखा किसने था शकील बदायूंनी ने...संगीत किसका था...नौशाद साहब का...आवाज से भजन को अमर किसने कर दिया...मोहम्मद रफ़ी ने...
और आज... ओम जय जगदीश... के रचयिता के बारे में हमें किसने बताया महफूज़ अली ने...

धर्म के नाम पर हर वक्त आस्तीनें चढ़ाए रखने वाले अब कुछ कहेंगे क्या...

जय हिंद...

प्रकाश पाखी ने कहा…

महफूज भाई,
विश्वप्रसिद्ध आरती के रूप में ॐ जय जगदीश को हर कोई जानता है...कई बार यह कौतुहल भी होता है कि भला इसको किसने लिखा होगा?पर आपने आदरणीय शारदा राम 'फिल्लोरी' के बारे में शोध परक निष्कर्ष देकर हमें अनुग्रहित ही किया है.श्रद्धा से बरसों से जिस भजन को गाते आ रहे है उसके लेखक के नाम को जानकार हम अब अपनी कृतज्ञता को भी प्रकट कर सकेंगे.
आपका तहे दिल से आभार.!

शरद कोकास ने कहा…

श्री एस.पी दुबे द्वारा दिये गये लिंक http://www.tribuneindia.com/1998/98sep27/sunday/head6.htm
पर जाने के बाद The creator of Om Jai Jagdish Hare
By Mohan Maitray
यह लेख मुझे मिला उस लेख से दि.27/09/1998 को प्रकाशित यह अंश दैनिक ट्रिब्यून के प्रति आभार व्यक्त करते हुए यहाँ उद्ध्रत कर रहा हूँ ।Only a few people are aware of the fact that Shardha Ram was the creator of the most popular prayer Om Jai Jagdish Hare , sung by almost every Hindu family the world over. Even during his lifetime, the popularity of this prayer tempted many persons to appropriate it. The word Shraddha denotes the devotion and dedication of the author at the same time, this reference makes him the creator of the prayer. The devotional feelings of the author show through each line of the prayer. The omnipresent Almighty God is everything to the poet and he cannot even think in terms of another:-यहाँ नाम प्रस्तुत करते हुए लिखा गया है Shardha Ram (हिन्दी उच्चारण शारधा )और विश्लेषण करते समय लिखा गया है Shraddha (हिन्दी उच्चारण श्रद्धा ).शारदा को अंग्रेजी में shardha भी लिखा जाता है उसी तरह जैसे गीता को geetha ,लता को lathaa राम को rama अमिताभ को amitava .मेरा नाम शरद है लेकिन यूनिकोड मे मुझे sharada लिखना पड़ता है सो अन्य जगह भी अभ्यासवश लिखा जाता है पढने वाला इसे शारदा पढ़ता है (और चौंककर मुझे देखता है )। अत: इस पर विवाद करने से बेहतर है महफूज़ को बधाई दी जाये कि उन्होने इतना शोध कर यह जानकारी प्राप्त की और उसके सोर्स भी दिये । वैसे एक बार प्रसिद्ध कथाकार डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव से इस बात पर चर्चा हुई थी एक आरती ( जय लक्षमी रमणा )में एक पंक्ति है भनत शिवानन्द स्वामि या कहत शिवानन्द स्वामि .. । तो यह शिवानन्द स्वामि कौन थे .. क्या ख्याल है मह्फूज़ जी इस पर भी शोध हो जाये !! और भी बहुत सारी आरती हैं ,चलिये हम दोनो मिलकर यह शोध करते हैं ।

हाँ हिन्दी का पहला उपन्यास किसने लिखा भी एक विवादास्पद मुद्दा है लेकिन उस पर बात कल करेंगे ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

शरद भैया ...आप एकदम सही कह रहे हैं..... मैंने तो उनसे यह लिया है जिन्होंने इस पर शोध किया है..... और सिर्फ उन्होंने ही पूरे हिंदुस्तान में शोध किया है इस पर..... उनका नाम शारदा राम ही है..... यह वो भी कह चुके हैं...... पर कुछ ज्यादा ही अँगरेज़ इस पर बहस कर रहे थे...... और वो जो article है न वो भी आधा अधुरा है..... मोहन जी ने जो लिखा है वो आधा अधुरा है..... पूरा और शुद्ध लेख मेरे पास है...... और बेदी जी एकमात्र शोधकर्ता हैं इस पर...... और शारदा राम जी पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ....... GNDU में ही as a subject padhaye jaate hain..... वो article गलत है..... पूरा तो नहीं ..... हाँ पर आंशिक रूप से गलत है..... क्यूंकि वो प्रेस रिलीज़ के द्वारा दिया गया था......

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

महफूज़ अलीजी

शारदा राम "फिल्लौरी"जी के बारे मे पहली बार विस्तृत जानकारी मिली।

'ॐ जय जगदीश हरे' आरती के जनक को नमन आपको भी धन्यवाद की आपने ज्ञान वृद्धक जानकारी दी।

Himanshu Pandey ने कहा…

थोड़ी देर से तो आया, पर रात का जगना सार्थक हो गया ।

बहुत ही काम की शोधपरक जानकारी आपने उपलब्ध करायी है । टिप्पणियों पर आपके स्पष्टीकरण से रहे सहे संदेह भी खत्म हो गये हैं । हम तो शारदा राम फिल्लौरी ही जान-समझ गये । आभार ।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah
Wah
WAh
WAH


दीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है

पर इस सबके बावजूद

थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार

अजित वडनेरकर ने कहा…

कितने शर्म कि बात है...... हम भारतवासियों को एक महान आदमी का सही नाम ही नहीं मालूम है.....

अपने पाठको से ऐसे अल्फ़ाज़ में पेश आने पर मुझे सख्त आपत्ति है। आप खुद क्या इस नाम को सही रूप में जानते थे? विनम्रता बहुत बड़ी चीज़ होती है सीनियर लैक्चरर महफ़ूज़ साहब। आपका संदर्भ मैने अपने ब्लाग पर एक भारतीय के तौर पर दिया तो आपको कष्ट हुआ और आपने मुझे फोन कर उसे हटाने की सिफारिश की। अब आप सारे भारतवासियों को सिर्फ हिज्जे यानी वर्तनी को लेकर हड़का रहे हैं? ये क्या बात हुई ? मेहरबानी कर अपना रवैया सुधारे। बाकी ज्ञान बांटने से आपको कोई नहीं रोक रहा है।

मैं नाराज़ हूं

दीपक 'मशाल' ने कहा…

nit hamare samanyagyan badhane ke liye bahut bahut shukriya...
aur main aapse kahne hi wal tha ki kyon na aise lekhon ke sath sandarbh bhi diya jaye.. lekin aap 2 kadam aage nikle..
fir se ek shandar lekh ke liye badhai.
Happy Deewali
aur sarkar apna mob.no. theek kara len ya doosra hi de den.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

@ AJIT VADNERKAR JI....


Aadarniya Ajitji, main vartni ko lekar nahin hadka raha hoon.... maine sirf itna kaha tha ki हम भारतवासियों को एक महान आदमी का सही नाम ही नहीं मालूम है..... aur yeh baat sahi bhi hai....

aap naraaz hain...... main aapse muaafi chahta hoon......

chota bhai...


Mahfooz

kishore ghildiyal ने कहा…

aapka bahut bahut dhanyavaad itni mahatvapurn jaankaari dene ke liye suchmooch badiya jaankaari di aapne

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुंदर लिखा है आपने और बढ़िया जानकारी देने के लिए शुक्रिया ! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

seema gupta ने कहा…

झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
regards

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

महफूज भाई बहुत सुन्दर जानकारी ! मैं इतना तो जानता था की यह आरती अठारवी सदी के आस पास की बनी है मगर रचयिता के बारे में सच में नहीं जानता था ! ज्ञानवर्धन के लियी आपका हार्दिक शुक्रिया और दिलाई की ढेरो शुभकामनाये !

gazalkbahane ने कहा…

केवल नाम सुना था -आपकी जानकारी ने मन मोह लिया -आभार
दीपों सी जगमगाती आपकी जिन्दगी रहे
सुख सरिता नित घर आंगन में बहे
श्याम सखा श्याम
http://gazalkbahane.blogspot.com/

Anil Pusadkar ने कहा…

बहुत बढिया मह्फ़ूज़ भाई।ईश्वर आपको महफ़ूज़ रखे हर बला से।और हर कोई आप जैसा हो जाये ना तो देश भी मह्फ़ूज़ हो जायेगा हर बला से।आपको और आपके परिवार को दीवाली की शुभकामनाएं।

Alpana Verma ने कहा…

post mei di gayi jaankari aur yahan aaye comments ne jaankari badhaayee.


आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

mehek ने कहा…

bahut gyanwaedhak jankari rahi,diwali ki shubkamnaye

सदा ने कहा…

हम इस आरती को हमेशा ही घर पर करते आये हैं, परन्‍तु इसके जनक से अन्‍जान थे, आपने विस्‍तारपूर्वक जो जानकारी आपने दी उसके लिये बहुत-बहुत आभार के साथ आपकी लेखनी के लिये अनेको शुभकामनाओं के साथ दीपावली पर्व की मुबारकबाद ।

संजय शर्मा ने कहा…

अली साहब, आपके लेखकीय भावना की पूरी क़द्र करते हुए शिकायत भी दर्ज करता हूँ .जितना लोगों ने तुल दिया आपके शोधपरक लेख को उतना ही आपने अपने लेख को हल्का कर दिया अपनी टिप्पणी से .आप तो अपनी टिप्पणी के लिए जाने जाते थे .कुछ ख़ास नहीं पर निराश तो किया ही है . वैसे हर साल गांधी , आजाद , भगत सिंह , सुभाष , मौलाना आजाद , जाकिर हुसैन , असफ अली को याद करके क्या कर लिया जाता है .
श्रद्धा या शारदा जी की रचना को जो सम्मान प्रति दिन मिलते हैं उस पर शोध किये वगैर यह कहना
तो गलत ही है कि लोगो ने भुला दिया है . याद करने के तरीके क्या क्या है ?
आप लिखते रहे ! हम पढ़ते रहेंगे . बहुत सारी शुभकामनाये ! दीया जलता रहे !

बेनामी ने कहा…

Bada achha post hai sir,parantu aap... khoji lekhak hogaye hain kya? mai jitna janti hoon aapko, kafi creaticvve vyakti hain aap, to agli bar kuch behat aapka apna creation padhne ki iccksha rakhti hoon..
Regards

बेनामी ने कहा…

Bada achha post hai sir,parantu aap... khoji lekhak hogaye hain kya? mai jitna janti hoon aapko, kafi creaticvve vyakti hain aap, to agli bar kuch behat aapka apna creation padhne ki iccksha rakhti hoon..
Regards

Unknown ने कहा…

वास्तविक नाम शारदा राम फिल्लौरी ही है, श्रद्धाराम नहीं, यह विकीमेपिया के इस लिंक से भी सिद्ध होता हैः http://wikimapia.org/9994453/Statue-Sharda-Ram-Phillauri

यह फिल्लौर का मैप है जिसमें बताया गया है वहाँ पर श्री शारदा राम जी का स्टेचू है।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

जय जगदीश हरे के रचनाकार शारदा राम फिल्लोरी के बारे में पहले भी किसी आलेख में नेट पर ही पढ़ा था। पर दीपावली के इस अवसर पर महफूज भाई ने अनुपम जानकारी दी है।

Khursheed ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Saleem Khan ने कहा…

बढ़िया लेख, चटका लगा दिया है

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

कमाल की जानकारी...हमेशा की तरह.
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

सही और तथ्यपूर्ण जानकारी दी है आपने. मैं आपसे इत्तिफ़ाक रखता हूं. बधाई. दीपावली की शुभकामनाएं

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

बढ़िया जानकारी

Priyankar ने कहा…

प्रिय भाई,

आपने बहुत अच्छा लिखा है . पर उनका नाम श्रद्धाराम फिल्लौरी ही था . अपनी रची आरती की अन्तिम पंक्ति में भक्त कवियों द्वारा स्थापित परम्परा के अनुरूप जब वे लिखते हैं : ’श्रद्धा भक्ति बढाओ’ तब वे अपना नाम लिख रहे होते हैं .

बहुत अच्छी प्रस्तुति है . पर शोध की भी सीमा होती है . खासकर अंग्रेज़ी दस्तावेजों के माध्यम से की गई शोध की . खैर नाम छोड़िये, बहरहाल उनकी लिखी यह आरती करोड़ों कंठ रोज सुबह-शाम गाते हैं . पर पं श्रद्धाराम जी को लोग भुला चुके हैं .

आपने याद करा दिया . आभार !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आरती का सुनहरा इतिहास जान कर बहूत अच्छा लगा महफूज़ जी ....... आपने सच कहा आज बहुत से लोग इस आरती के जनक को भूल गए हैं .......
आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...........

रश्मि प्रभा... ने कहा…

main vismayvimugdh hun...tumhaara anwarat adhyayan hamen bhi nit nayi jankari deta hai......
yah pratibha samman yogya hai

Dr.Aditya Kumar ने कहा…

कमाल की पोस्ट....अनोखी जानकारी से भरी दीपावली की अनुपम भेट है यह शोधपूर्ण आलेख .... दीपावली पर आपको एवं आपके परिवार को भी मंगलकामनायें.

Asha Joglekar ने कहा…

महफूज़ भाई ये तो बडी अच्छी और नई जानकारी दी आपने । पर फिर जो अंतिम चरण में शिवानंद स्वामी आते हैं वे कौन है क्या यही शारदा राम बिल्लौरी ?

श्री जगदीश जी की आरती जो कोई नर गावे कहत शिवानंद स्वामी मन वांछित फल पावे । ओम जय जगदीश......

Asha Joglekar ने कहा…

अरे....., कैसे भूल गई, आपको दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ ।

sandhyagupta ने कहा…

Dipawali ki dheron shubkamnayen.

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

स्वर्ग न सही धरा को धरा तो बनाये..
दीप इतने जलाएं की अँधेरा कही न टिक पाए..
इस दिवाली इन परिन्दों के लिए पटाके न चलायें....

Unknown ने कहा…

shubh dipawli

mujhe to pta tha. par aapke blog me comments dekhkar aisa lgta hai ki bahuto ko nahi pata hai ....
itani achhi lekh ke liye aapka bahut bhut dhanyvad

SACCHAI ने कहा…

" bahut hi acchi post sir aapki lekhnee ko salam "

----- eksacchai { AAWAZ }

वाणी गीत ने कहा…

दिवाली की मसरूफियत से कुछ वक़्त निकलकर ये पोस्ट देखि ...84 कमेंट्स...!!
क्या अब मुझे भी कुछ कमेन्ट देने की
जरुरत है ....??
ॐ जय जगदीश से जुडी जानकारीवर्धक पोस्ट.. शारदा राम जी के बारे में कहीं पढ़ा था ...यहाँ विस्तार से जाना ...
लगे रहो मुन्ना भाई ....बहुत आशीष ...!!

Richa Dwivedi ने कहा…

patanahi kyun mere post nam se post hi nahi ho rahe hain.. aaj fir koshish karti hoon.,khoji lekhak wala post mera hai sir.. mujhe laga ki mere nam se aa jayega post is liye nam nahi likha..
ab agla kuch behter apka original padhne ki iccksha hai.. jaldi likhiye..
regards
richa

vikram7 ने कहा…

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Pritishi ने कहा…

Bahut badhiya .. seriously ..great informative article.

manu ने कहा…

महफूज जी,,
आपको दिवाली की बधाई हो,,
हमें भी नहीं पता था..ॐ जे जगदीश हरे के लेखक का नाम...

लेकिन हमें कोई शर्म नहीं आयी
जाने हमें और क्या क्या नहीं पता....
जाने क्या क्या दुनिया को नहीं पता..( जो हमें पता है...)

कितना मरेंगे हम शर्म में..
और कितना मारेंगे इस दुनिया को ...????

पर अच्छा है..
किसी के पास तो इतना वक्त है ...जो अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट डाल कर
जिसे चाहे शर्मिन्दा कर सकता है ..
हिन्दुस्तान में जाने कितने हैं..जो आपकी इस पोस्ट के बाद भी नहीं जां पायेंगे उसका नाम....

फिर भी शायद उम्र भर हम से आप से ज्यादा श्रद्धा से ..ज्यादा दिल से गायेंगे....
भले ही आवाज कैसी भी हो.....!!!

ॐ जैय जगदीश हरे....

फिर भी आपको बधाई हो...
जितना कमेन्ट देना था उस से कहीं ज्यादा ओ गया..
उम्मीद करता हूँ

इस पे गौर करने वाले मुआफ कर देंनगे हमें..

Pappu Yadav ने कहा…

Mahfooz ji,
kahan kahan se chun chun kar le aate hain aap jaankaari, aur sahi pate ki baat aap batate ho.
@manu ji, aap ko sharm nahi aayi jo acchi hi baat hai lekin iska ye matlab nahi ki ye sharm ki baat nahi hai. jis aarti ko karoro kanth subah shaam gaate hain uske rachnakaar ke baare mein jaankari to honi hi chhaye thi. fik bhi kam se kam ab kuch log to jaante hain. iske liye main mahfooz ji ko dhanywaad deta hun.
Manu ji aapki tipanni tipanni kam vyang jyada lagi, vaise itni acchi post ke liye ye bhasha theek nahi hai aapki. Ham sabko to aabhar manana chahiye Mahfooz ji ka.

Pappu Yadav ने कहा…

Mahfooz ji,
kahan kahan se chun chun kar le aate hain aap jaankaari, aur sahi pate ki baat aap batate ho.
@manu ji, aap ko sharm nahi aayi jo acchi hi baat hai lekin iska ye matlab nahi ki ye sharm ki baat nahi hai. jis aarti ko karoro kanth subah shaam gaate hain uske rachnakaar ke baare mein jaankari to honi hi chhaye thi. fik bhi kam se kam ab kuch log to jaante hain. iske liye main mahfooz ji ko dhanywaad deta hun.
Manu ji aapki tipanni tipanni kam vyang jyada lagi, vaise itni acchi post ke liye ye bhasha theek nahi hai aapki. Ham sabko to aabhar manana chahiye Mahfooz ji ka.

manu ने कहा…

पप्पू जी,
हमने तो बस महफूज जी को दिवाली की बधाई दी है और इतना ही कहा है के ये नाम हमें नहीं पता था और हमें खुद पर कोई शर्म नहीं आयी...बाकी बात रही गलत भाषा की ...
इसमें क्या गलत है आप बता दीजिये...
हो सकता है के आप इसे हमसे ज्यादा लाग लपेट के लिखते..हम नहीं लिख पाए..इस में भी हमें कोई शर्म नहीं आ रही है..

किसी जिगरी यार ने कहा के महफूज जी बहुत अच्छे ब्लोगेर हैं..बढिया लिखते हैं..खूब नाम है उनका ब्लॉग जगत में...

सो आ गए यहाँ पर..दो रचनाये पढीं...ॐ जे जगदीश हरे..और मुझे जीतने की आदत है...
दोनों अच्छी ही लिखी हैं..हमने इनकार नहीं किया...
ये भी अच्छा लगा के ब्लॉग पर मोदिरशन नहीं लगा है...
अब पढ़ के अपनी प्रतिक्रया ही तो दी है हमने..
बाकी आपको हमारे कमेंट्स से कोई ज्यादा दुःख लगा हो तो यहाँ नहीं आयेंगे आइन्दा

sandhya ने कहा…

mahfooz ji aapne to bahut hi achhi jankari di ....
aapko sikayat hai mujhse ki mai aapke blog pe nahi aati hu ....
kya karu kafi vayasthata rahti hai office, ghar ,maa ,patni ,sab to ak ko hi bana parta hai .isi bich me rahti thora time mila to kuchh likh leti hu .. isiliye mai kabhi kabhi hi online aa pati hu ...par jab bhi time milta hai mai aapka sabhi lekh padti hu ....

शोभना चौरे ने कहा…

mujhe bahut afsos hai itni mhtvpurn jankari itni der se padh pai .apko bahut bahut dhnywad itne vistar se jankari dene ke liye "om jy jgdeesh hre ki " ab aapki doosri post pdhti hoo
abhar

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

कुछ बातो से अवगत दिमाग को पूरा इतिहास समझा दिया आपने........
धन्यवाद....

Pranay ने कहा…

महफूज़ जी आपका धन्यवाद करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है !
इसे किसी भी ब्लॉग पर पढ़ी अब तक की सबसे अच्छी पोस्ट कहूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी!

Rajesh Arora 'Shalabh' ने कहा…

महफ़ूज़ साहब को शुक्रिया इस तमाम शोध के लिए !मैं तो मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर से १९६९का पास आउट इंजीनियर हूं, परंतु हिन्दी और उर्दू से विशेष लगाव रहा !तब से अब तक 16हास्य-व्यंग्य, गीतों और ग़ज़लों की पुस्तकें डायमंड बुक्स आदि से प्रकाशित हो चुकी हैं ! मुझे भी शोधपरक लिखने में बड़ा आनंद आता है ,और लखनऊ के एक कवि डा.गिरीश कुमार वर्मा तो अपने एक शोध में मुझे ही शामिल कर चुके हैं ! ख़ैर,यह अनमोल जानकारी मुझे पहले कभी कहीं से नहीं मिली ! ईमानदारी की बात तो यह है कि मैंने ही कभी समय ही नहीं दिया इस बाबत !यह जानकार अच्छा लगा कि आपने भी गोरखपुर से पढ़ाई की !और शोधकार्यों में इतनी रुचि है !इसी तरह " हे मेरे गुरुदेव करुणा, सिंधु करुणा कीजिए " और हनुमान चालीसा के कवियों पर भी भ्रामक स्थिति है !
जहां तक शारदा और श्रृद्धा की बात है ,यह बहस फ़िज़ूल लगती है ,क्योंकि श्रृद्धा शब्द तो अपने अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है !हां" शिवानंद स्वामी" का क्या संदर्भ है, यह स्पष्ट नहीं हुआ !

blogshree ने कहा…

डॉ. महफूज अली सर, इतनी अच्छी जानकारी साझा करने के लिये आपका बहुत बहुत आभार. आपका ज्ञान ही नहीं जज्बा भी सराहनीय है.

कृपया इस बात पर भी कुछ प्रकाश डालिये कि श्रद्धेय शारदा राम फिल्लौरी जी ने आरती में "शिवानंद स्वामी" नाम का उपयोग क्यों किया है.

Music India1 ने कहा…

शारदाराम नाम नहीं था श्रृद्धाराम था
मै पिछले ३५ साल से इसी खोज मे था ।।
धन्यवाद

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...