मैं गुलाब था खुशबु भरा,
मुझे आँधियों ने हिला दिया,
जो मुझे बचाने को बने थे ,
मेरे उन काँटों ने मुझे ही रुला दिया।
तोडा मुझे,
फिर तोड़ के फेंका मुझे,
और पैरों तले मसल दिया।
वक्त साज़िश करता रहा,
पर मेरे साथ मेरा ख़ुदा रहा ,
जो संभाल ले मुझे प्यार से
ऐसे बागबाँ से मिला दिया .....
महफूज़ अली