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ख़्वाबों की दुनिया में जीना कितना अच्छा लगता है,
होता है वहाँ बिल्कुल वैसा जैसा कि
हम सोचते हैं।
मेरे ख्वाबों में वो आना उनका,
मुझे नींद में से जगाना उनका,
मेरे चेहरे पे अपनी जुल्फों का गिराना उनका,
अपनी खुशबू से मेरे वजूद को महकाना उनका,
वो चलना मेरे साथ उस रस्ते पे जिसकी कोई मंज़िल नही,
वो बैठ जाना किसी वीराने में मेरे साथ उनका,
और
वो तन्हाईयों को महफिल बनाना उनका।
जब -जब जागे हम नींद से आँखें मलके,
ढूँढा उन्हें तो उनका कोई निशाँ न मिला,
वो आते नहीं अब हमसे मिलने जागते हुए,
ग़र वो कह दें कि सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिलने आएंगे,
तो क्या ज़रूरत है मुझे जगने की ,
हम भी हमेशा के लिए सो जायेंगे॥