शनिवार, 29 मार्च 2014

###कविता:- वायसे - वरसा ###



शब्द टॉर्च नहीं होते,
जब यह अंधियारे में बहते हैं
तब आदमी का एकांत भंग हो जाता है। 
कभी-कभी शब्द 
आदमी के भीतर बहता है 
और कभी 
आदमी शब्द के भीतर बहता है।।


(c) महफूज़ अली 
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