रात बहुत लम्बी है,
रात बहुत ठंडी है,
मैं जाग रहा हूँ,
मैं जाग रहा हूँ।
सामने नदी है,
पेड़ की छाया है,
पर छाया पकड़ी नहीं जा सकती।
रात बहुत लम्बी है,
रात बहुत ठंडी है,
और
मैं जाग रहा हूँ॥
महफूज़ अली
रात बहुत लम्बी है,
रात बहुत ठंडी है,
मैं जाग रहा हूँ,
मैं जाग रहा हूँ।
सामने नदी है,
पेड़ की छाया है,
पर छाया पकड़ी नहीं जा सकती।
रात बहुत लम्बी है,
रात बहुत ठंडी है,
और
मैं जाग रहा हूँ॥
महफूज़ अली