हम इतिहास (History) क्यूँ पढ़ते हैं? सवाल था तो सीधा ...... लेकिन साथ ही साथ टेढा भी. अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मैंने यह सीधा और सरल सवाल क्यूँ किया? वैसे यह सवाल करने का एक मकसद था. क्यूंकि हमारी ज़िन्दगी हमेशा पास्ट यानी की भूतकाल से जुडी होती है और हम कहते भी हैं कि छोडो वो पिछली बातें थीं क्या उनको याद करना..... जो बीत गया उसे भूल जाओ...
पर जो बीत जाता है... न तो उसे हम भूल पाते हैं और न ही उनको याद करना छोड़ पाते हैं. हम अपनी निजी ज़िन्दगी में जब भी कोई बात करते हैं तो पिछले बातों को भी याद करते हैं. और पीछे जो गलतियाँ हुई हैं उनसे सबक लेते हुए अपने आने वाले नए भविष्य का निर्माण करते हैं. यानी कि मतलब यह है कि भविष्य कि नींव भूतकाल में ही तय हो जाती है.
वैसे हम इतिहास क्यूँ पढ़ते हैं? इतिहास पढने के कई महत्वपूर्ण तर्क हैं और इन तर्कों को हम नकार भी नहीं सकते. कई तर्क यह कहते हैं कि: -------
- इतिहास हमें हमारी दुनिया कि उत्पत्ति को जानने में मदद करता है.
- इतिहास जानने से हम तर्कों को और प्रमाणिक कर देते हैं.
- इतिहास हमारे चिंतन को मजबूती प्रदान करता है.
- इतिहास हमें हमारे वर्तमान और भूतकाल को समझने में मदद करता है .
- इतिहास में घटनाओं और लोगों के बारे में पढना अच्छा लगता है.
- इतिहास हमें बाकी विषयों को समझने में मदद करता है.
- इतिहास हमें आधुनिक राजनितिक और सामाजिक समस्याओं को समझने में मदद करता है.
- इतिहास हमें यह भी जानने में मदद करता है कि भूतकाल में लोग सिर्फ अच्छे या बुरे ही नहीं थे, बल्कि जटिल परिस्थितिओं में किस प्रकार व्यवहार करते थे.
ऐसे कई तर्क हैं जिनको हम कह सकते हैं कि जानने व समझने के लिए हम इतिहास पढ़ते हैं. वैसे यह कहना कि भूतकाल में जो गलतियाँ हो चुकी हैं उन्हें भविष्य में न दोहराया जाये इसलिए हम इतिहास पढ़ते हैं कहना काफी हद तक सही नहीं है.... क्यूंकि यह तो है ही कि हम अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हैं..... और उन्ही सबक के आधार पर भविष्य का निर्माण करते हैं..... और फिर भी वही गलतियाँ दोहराते हैं जो भूतकाल में हो चुकी हैं.. फिर इतिहास पढने का फायदा क्या है? जब हम बार बार वही गलतियाँ दोहराते हैं. इतिहास में हम युद्ध , न्याय-अन्याय , गरीबी, भुखमरी , सम्पन्नता इत्यादि के बारे में जानते हैं , पढ़ते हैं. फिर भी हम उनसे कोई सबक नहीं लेते हैं. और आज भी वही गलतियाँ दोहरा रहे हैं. फिर इतिहास पढने से क्या फायदा, जब हमें गलतियाँ दोहरानी ही है?
पर हमारे लिए इतिहास जानना बहुत ही ज़रूरी है. हमें आखिर मालूम तो होना चाहिए न, कि हम पहले क्या थे और आज क्या हैं?
अब यह कहना कि इतिहास खुद को दोहराता है , यह कहने के लिए तो सही है पर कभी हमने यह नहीं सोचा कि इतिहास खुद को दोहराता ही क्यूँ हैं? इसका जवाब बहुत ही आसान है क्यूंकि हमने अपने भूतकाल से कुछ सीखा ही नहीं ..... इसलिए इतिहास ने खुद को दोहरा दिया... इतिहास भविष्य नहीं बताता ...इतिहास यह बताता है कि जो गलती वर्तमान में हुयी है, उसको ध्यान में रखते हुए अपने भविष्य का निर्माण करो.... नहीं करोगे ....तो इतिहास फिर और बार - बार दोहराया जायेगा... इसलिए हमें वर्तमान को सही करना या रखना ज़रूरी है तभी तो भविष्य सही होगा और यही इतिहास हमें सिखाता है.
इतिहास एक प्रगति की प्रक्रिया है, जो बदली जाती हैं, संशोधित की जातीं हैं और कभी न भूलने के लिए लिखी जातीं हैं. सुकरात (Socrates) ने कहा था की "Know thyself" मतलब खुद को जानिए . यहाँ पे सुकरात का मतलब खुद को जानना ही नहीं था..... उसका मतलब पूरे अद्भुत और प्रक्रितिविश्यक संसार को जानने से था. और यही जानने को हम इतिहास कहते हैं. यह खुद को जानने व समझने की एक प्रक्रिया है. और इसी प्रक्रिया को हम आत्म-ज्ञान या स्व-सुधार की प्रक्रिया कहते हैं जो की इतिहास से ही हो कर गुज़रता है. यानी की इतिहास का मतलब है स्व - सुधार .....
वैसे दो शब्दों में आपको बता दूं की हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं ताकि हम अपने संस्कार और संस्कृति को भूले नहीं.... उन्हें हम जानें...... और जानकर ..... भविष्य की पीढी को विरासत में दें..... अपने संस्कार और संस्कृति को जानना ही इतिहास है. जो व्यक्ति अपने संस्कार, संस्कृति और इतिहास को नहीं जानता है वो सामाजिक रूप से बहिष्कृत (PARIAH) होता है. और यही गलती आजकल हम कर रहे हैं.... की हम अपने संस्कार और संस्कृति को भूल रहे हैं और इतिहास जैसे विषय का मज़ाक उड़ा रहे हैं. जिसने इतिहास नहीं जाना उसने खुद को नहीं जाना. अपनी धरोहरों को संभाल कर रखना ही इतिहास है. स्व- ज्ञान ही इतिहास है.
सारांश यही है कि हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं जिससे कि हम भूल सुधार करते हुए अपनी संस्कृति और संस्कार को भूले नहीं...
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दोस्तों, इतिहास मज़ाक का विषय नहीं है..... न ही यह कोई बोर करने वाला विषय है.. यह इसलिए हमारे syllabus में है कि हम जानें खुद को..... अपने संस्कार को और अपने संस्कृति को.... वरना यह इतना प्रसिद्ध विषय कैसे होता.... ? क्यूँ इतिहास से CIVIL SERVICES EXAM को पास करने वाले को Genius कहा जाता है? क्यूँ एक Archaeologist को आदर कि निगाह से देखा जाता है? क्यूँ ARCHAEOLOGY DEPT. बनाये गए हैं? यह तो हर इंसान को जानना ही चाहिए.... तभी वो अपने धर्म और कर्म को भी जान पाएगा.... नहीं तो सिर्फ बिना मतलब कि बहस ही करता रहेगा......
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काफी लोगों इस पोस्ट को देखा ...... और काफी लोगों ने इसका जवाब भी दिया.... और काफी लोग इस सवाल से बच के निकल भी गए.... अगर हम हिंदुस्तानिओं ने इतिहास विषय को स्कूल में सही तरीके से पढ़ा होता ..... तो इसका सही जवाब बहुत आसान था.... हम ज़ात, धर्म, प्रांत और भाषा को लेके सिर्फ इसीलिए झगड़ते हैं...... क्यूंकि हमने इतिहास नहीं पढ़ा है.....
खैर..... मेरे सवाल का लगभग सही के करीब जवाब जिन लोगों ने दिया है.... उनके नाम इस प्रकार है......
- श्री. समीरलाल जी : इतिहास समय दर्ज करता है तो हमारे भविष्य का मार्गदर्शक होता है.
- श्री. जैराम विपल्व : अतीत को जानकर-समझ कर और उससे सीख लेकर वर्तमान तथा भविष्य दोनों को बेहतर किया जा सकता है।
- श्री. वर्माजी: भूत की नीव पर वर्तमान और भविष्य होता है.
बिना भूत को जाने हम न तो वर्तमान और फिर न तो भविष्य को स्वरूप दे सकते है. जिस तरह अगर हम अपने मकान पर एक मंजिल और बनवाना चाहेंगे तो उसकी नीव को जाने बिना नही आगे बढ सकते है. - श्री. अवधिया जी : कहा जाता है कि 'इतिहास स्वयं को दुहराता है'।इतिहास पढ़ने से हमें इस बात का कुछ कुछ भान हो जाता है कि कौन सी बातें दुहराई जा सकती हैं, और हम स्वयं को उसके लिए मानसिक रूप से तैयार रखते हैं।
- शिखा वर्ष्णे जी : हम इतिहास इसलिए पड़ते हैं क्योंकि अतीत की जड़ों से ही भविष्य का पेड़ उपजता है ,उसकी गर्त से ही हमें अपने विकास का मार्ग मिलता है.
- चन्दन झा: हम अपने अतीत को याद रखते हुए एक सुःखद भविष्य की कल्पना कर सके । इतिहास हमें अपनी गलतियों से अवगत कराता है और सही मार्ग भी दिखलाता है.
- अदाजी : इतिहास हमें अपने अतीत से जोड़ता है और माप दंड देता है कि हमने उपलब्धियों और गलतियों से कितनी दूरी तय की है और कैसे की हैं...इतिहास हमें अपने अतीत से भागने नहीं देता है, हमें हर दिन उससे जोड़े रखता है ..
(आप सब लोगों से निवेदन है कि अपने Addresses कृपया मेल कर दें ....)
और सीमा जी का बहुत बहुत धन्यवाद .....आपने सही अंदाजा लगाया था कि... ह्म्म्म बेहद सम्वेदनशील प्रश्न...लकिन हमे आपके जवाब का इंतजार है, आप ने ये प्रश्न ऐसे ही नहीं पुछा होगा....इसमें जरुर कोई न कोई तर्क होगा.....