शुक्रवार, 31 जुलाई 2009
गुरुवार, 30 जुलाई 2009
कुछ मांगता हूँ मैं....
सोमवार, 27 जुलाई 2009
ज़िन्दगी एक कविता.......... ! ! ! ! !
बुधवार, 22 जुलाई 2009
काश! ....... एक ख़्वाब
कह के तुम हौसला
बढाती हो,
कुछ न कुछ बुरे में भी,
कुछ न कुछ अच्छा है
कह के तस्सल्ली देती हो।
मुश्किल पलों में भी
दूर से ही सीने से
लगाती हो।
कौन हो तुम?
क्या हो तुम?
क्यूँ आई हो मेरी ज़िन्दगी में?
मुझे सही रस्ते पे लाने?
या
मेरी अधूरी कहानीयों को पूरा करने?
काश! तुम आतीं थोड़े पहले
ज़िन्दगी में मेरी,
तो छूता मैं इतनी ऊचाईयाँ
इतनी ऊचाईयाँ.....
की रोज़ देता एक तारा
आसमान से तोड़ के तुम्हे॥
महफूज़ अली
सोमवार, 20 जुलाई 2009
दम-साज़
गुरुवार, 16 जुलाई 2009
भरोसा बुनियाद है ज़िन्दगी की !!!
मैंने ज़्यादा सीधी-सादी और आसान ज़िन्दगी बिताई होती। मैंने भरोसे के लिए struggle किया है और अपने धर्म को समझने के लिए ख़ुद से जूझता रहा हूँ । मेरी आस्था ने develop होने में वक्त लिया है। पर मैं इसे एक ताक़त और एनर्जी के रूप में देखता हूँ। वाकई में कोई न कोई ताक़त है जो की दुनिया को चला रही है जैसे हमें अलग अलग रास्तों पे चल के मंजिल नहीं मिल सकती, उसी तरह हमें ख़ुदा को पाने के लिए भी एक ही रस्ते पर चलना होता है, अलग अलग रूपों में और अलग अलग रास्तों पे चल कर हम ख़ुदा को नहीं पा सकते और मेरे इसलाम ने मुझे यही सिखाया है हम तो उस ख़ुदा की बहुत बड़ी सत्ता का एक छोटा सा हिस्सा हैं हरेक को अपना-अपना रोल प्ले करना होता है, इसलिए हमारी ज़िन्दगी का आखिरी purpose यही है की जो कुछ हमें मिला है, उसमें और अपनी wishes के बीच में balance करना व भाग्यवाद के शिकंजे और अहम् से दूर रहना
हम पर हमेशा कुछ हासिल करने का दबाव होता है, इसलिए हम अपनी OPEN WISHES (मुक्त इच्छाओं) का इस्तेमाल करते हैं , लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए की हम किस दिशा में और कैसे आगे बढ़ रहे हैं मेरा मानना है की ज़िन्दगी में सबसे बड़ी लड़ाई हमारी मुक्त इच्छाओं (OPEN WISHES) के बीच संतुलन को पाना है, जो अहम् और किस्मत को represent करती है हमें अहम् की ज़रुरत होती है क्यूंकि इसके बिना हम कुछ भी नहीं हैं, लेकिन इस बात के भी chances बन जाते हैं की हम अपने अहम् से ही govern होने लगें
उदाहरण के तौर पे हम intelligent हो सकते हैं, इसमें proud करने जैसा कुछ भी नही है, यह हमारा करम या किस्मत कह सकते हैं। हाँ! अगर कोई हमारे बारे में कुछ अच्छा कहता है या फिर झूठी तारीफ़ करता है तो यहाँ अहम् के भटकने का खतरा है, जिसकी वजह से हम अपने बारे में ऊंचा सोच सकते हैं और यही संतुलन की situation है।
अहम् को control में रखना और उस संतुलन को पाना ऐसा जद्दोजहद है, जिसका सामना मुझे रोज़ करना पड़ता है और यही सामना करना मेरा इसलाम मुझे सिखाता है और मैं इसे मानता हूँ मैं अपने कुछ पिछले सालों की और देखता हूँ तो सोचता हूँ की अपने ईमान से हटने की वजह से मैंने न जाने कितनी गलतियाँ की हैं मैं शुक्रगुज़ार हूँ अपने इसलाम का , अपने ख़ुदा का, जिसने मुझे सही वक़्त रहते मुझे भटकने से बचा लिया इसलिए अब ज्यादा confidence के साथ रहता हूँ मैं सोचता हूँ, इसलाम की वजह से मैं अब अपने काम और ज़िन्दगी में ज्यादा सहनशील और व्यवस्थित हुआ
महफूज़ अली
शनिवार, 11 जुलाई 2009
बागबाँ
गुरुवार, 9 जुलाई 2009
बोलो न ? क्या है राज़?
रविवार, 5 जुलाई 2009
अब कभी झगडा नही करूंगा.. ...... ...... promise
अभी मेरे मन् में
एक ख़याल आया
की
ज़िन्दगी भर
मैंने ख़ुद को लाचार पाया?
लोगों ने अपना बन के मुझे कितना सताया ?
लेकिन आज तुमने मुझे उम्मीद का सहारा दिया ........
मेरे झगडे और कड़वे बोल को हंस कर पिया
मैं जानता हूँ की मेरी वजह से
तुम्हारे मन् में एक तूफ़ान उठा है
और तुम्हारा दिल टूटा है ! ! !
फिर भी उदासी तुम्हारे चेहरे पर न आई
और
तुम मेरी हर बात पे मुस्कुराई
ठेस लगने पर भी तुम्हारा मन् न रो पाया
और अपने आंसुओं को बड़ी सफाई से छुपाया .....
अभी बंद करता हूँ मैं यह पाती
इस उम्मीद के साथ
की
काले बादल अब छट गए हैं
और
अब रंगों की बहार आएगी ही आएगी................
महफूज़ अली
(मुझे न गुस्सा मत दिलाया करो....... )
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चलिए! थोडा घूम आयें...
जो मेरे अपने हैं.......
यादगार लम्हे...
मेरे बारे में
- डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)
- पेशे से प्रवक्ता और अपना व्यापार. मैंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम्.कॉम व डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय,फैजाबाद से एम्.ए.(अर्थशास्त्र) तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि ली है. I.G.N.O.U. से सन २००५ में PGJMC किया और सन् 2007 में MBA किया. पूर्णकालिक रूप से अपना व्यापार भी देख रहा हूं व शौकिया तौर पर कई कालेजों में भी अतिथि प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देता हूं. पढ़ना और पढ़ाना मेरा शौक़ है. अंग्रेज़ी में मुझे मेरी कविता 'For a missing child' के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. मेरी अंग्रेजी कविताओं का संकलन 'Eternal Portraits' के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है,जो की Penguin Publishers द्वारा प्रकाशित है. अंग्रेजी में मैंने अब तक क़रीब 2600 कविताएं लिखी हैं. हंस, वागर्थ, कादम्बिनी से होते हुए ...अंतर्राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका 'पुरवाई' जो की लन्दन से प्रकाशित होती है ...में प्रकाशित हुआ, तबसे हिंदी का सफ़र जारी है... मेरी हिंदी कविताओं का संकलन 'सूखी बारिश' जो की सन् 2006 में मुदित प्रकाशन से प्रकाशित है... मैं करता हूं कि मेरा ब्लॉग मेरे पाठकों को ज़रूर अच्छा लगेगा... आपकी टिप्पणियां मेरा हौसला बढ़ाती हैं. इसलिए मेरी रचनाएं पढ़ने के बाद अपनी अमूल्य टिप्पणी ज़रूर दें.मेरा प्रमुख ब्लॉग 'लेखनी’ है.
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