शुक्रवार, 31 जुलाई 2009


तन गीला,

मन गीला,

गीला - गीला है पानी,

छलके जो आंखों के पोर से........

आंसू भी है गीला।

वो यादों की लहरें,

वे झुरमुट और वे टीले,

टूट कर बिखरे तारे सारे,

पर....... रंग सभी चमकीले॥



महफूज़ अली
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