मुझसे अक्सर यह सवाल होता है की मैं इंग्लिश को गालियाँ क्यूँ देता हूँ....?????? लोग मुझे कहते भी हैं.... की आप ख़ुद तो इंग्लिश में लिखते हैं , इंग्लिश ही ज्यादातर बोलते हैं.....तो आप इंग्लिश को गाली क्यूँ देते हैं? अब मैं इन महान लोगों को कैसे समझाउन....की मैं इंग्लिश को गाली बही देता ... बस यह है की मैं इंग्लिश का विरोधी हूँ...और वैसे भी आप किसी भी चीज़ का विरोध तभी कर पाएंगे जब आपको उसके बारे में पूरी जानकारी हो....
अब सवाल यह है की मैं इंग्लिश क्यूँ बोलता हूँ और क्यूँ लिखता हूँ....? दरअसल इसमे मेरी गलती नही है....मेरी परवरिश ही इंग्लिश में हुई है....बचपन में कॉन्वेंट में डाल दिया गया.... पूरी एजूकेशन ही इंग्लिश माध्यम से हुई..... घर में भी मेरे अभिभावकों ने अंग्रेज़ी का ही माहौल diya.... मेरी पेर्सोनालिटी भी अँगरेज़ है.... तो मैं क्या करून.....????? पर जबसे अक्ल आई है....मैंने इंग्लिश का इस्तेमाल पूरी तरह से आम ज़िन्दगी में बंद कर दिया है....और यह अक्ल आए हुए १५ साल हो गए हैं.....
मैं दो बार संघ लोक सेवा आयोग के इंटरव्यू में गया हूँ....वहां भी यह सवाल हुआ की अपने पूरा एक्साम इंग्लिश में दिया ...फिर इंटरव्यू का माध्यम अपने हिन्दी क्यूँ चुना? अब वहां भी सवाल...पर अपने हिसाब से जवाब दिया मैंने..... और बेचारे संतुष्ट हो गए....
अच्छा मेरा यह मानना है की जब दो सूअर आपस में अपनी भाषा में बात करते हैं..... कोई शेर की भाषा में तो बात करता नही? क्यूँ? तो हम हिन्दुस्तानी क्यूँ नही अपनी भाषा में बात करना पसंद करते हैं.....? क्यूं हमें एक तीसरी भाषा का इस्तेमाल करना पड़ता है.... इंग्लिश तीसरी भाषा है....कैसे ज़रा यह आप लोग ही मुझे बताएँगे....फिर मैं इसका जवाब दूँगा.....
इंग्लिश हें ज़रूर आनी चाहिए...वो आजकल की ज़रूरत है...पर हमें इसको अपने ऊपर हावी नही करना चाहिए.....
पता नही लोगों को हिन्दी में और हिन्दी से क्या प्रॉब्लम है....
हिन्दी से मेरा मतलब क्लिष्ट हिन्दी नही है.... हिन्दी से मेरा मतलब आम हिन्दी है...जो हर हिन्दुस्तानी बोलता है,,,,.... जो हम समझते हैं.....
क्या आप जानते हैं की हिन्दी का विकास क्यूँ नही हुआ..... ? क्यूंकि हमने हिन्दी के विकास के लिए कुछ भी नही किया..... अगर हम हिन्दी में कोई शब्द अंग्रेज़ी या फिर कोई और भाषा के प्रयोग करते हैं....तो ख़ुद हिन्दी वाले ही कहते हैं.... की हिन्दी में बोलो.....अरे! भाई जब हिन्दी में शब्दों की कमी है तो हमें बाहर से शब्द लेने में क्या हर्ज़ है?
कुल मिला के सार यह है की अंग्रेज़ी नालायकों की भाषा है.... ज़रा अपने आस पास नज़र डाल के देखियेगा ....आपको तमाम नालायक मिल जायेंगे.... जो बड़ी बड़ी डिग्री लिए होंगे लेकिन ज्ञान के नाम पे काले धब्बे हैं॥ ज़रा गौर करियेगा....अपने आस पास... कोई न कोई शराबी ज़रूर ऐसा मिलेगा... जो की अनपढ़ होगा लेकिन शराब पीने के बाद आपको अंग्रेज़ी बोलता हुआ मिलेगा... गौर करियेगा .... सैल्समैन टाइप के लोग आपको अंग्रेज़ी बोलते हुए ज़रूर मिलेंगे.... हर कम पढ़ा लिखा हुआ आदमी आपको अंग्रेज़ी बोलता हुआ मिलेगा... जो की अपने आप को यह दिखायेगा की वोह बहुत पढ़ा लिखा है... आपको लडकियां अंग्रेज़ी बोलते हुए ही मिलेंगीं क्यूंकि बहुत कम लड़कियां ही सही मायनों में पढ़ी लिखी मिलेंगीं.... डिग्रीयां बहुत मिलेंगी उनके पास लेकिन नॉलेज कम..... सही मायनों में पढ़ा लिखा वही आदमी है....जिसने अपनी पढ़ाई को अपने अन्दर जज्ब कर लिया हो॥ जो नौलेज्वाला हो.... जिससे आप हर टोपिक पे बात कर सकते हों॥
महफूज़ अली
Kashmir: Kherishu in Land of turbulence... Welcoming, Courtship, Honeymooning and Varishu
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*"Welcome* *to Kashmir*" this I had a warm welcome by CRPF constable Mangal
Singh at Srinagar airport exit gate last year. It was my first visit to the
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