बुधवार, 30 सितंबर 2009

तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??




दुनिया की इस भीड़ में,
खोजता फिरता हूँ अपना मुकाम
हर चीज़ वो मिलती नहीं
जिसकी होती चाहत यहाँ,
क्या खोने के डर से,
मैं भूलूँ,
कुछ पाने की चाह यहाँ?
जब चाहत हो तारों की,
तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??
 

रविवार, 27 सितंबर 2009

हम इतिहास सिर्फ इसीलिए पढ़ते हैं क्यूंकि....... कल के सवाल का जवाब....



हम इतिहास (History) क्यूँ पढ़ते हैं? सवाल था तो सीधा ...... लेकिन साथ ही साथ टेढा भी.  अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मैंने यह सीधा और सरल सवाल क्यूँ किया? वैसे यह सवाल करने का एक मकसद था. क्यूंकि हमारी ज़िन्दगी हमेशा पास्ट यानी की भूतकाल  से जुडी होती है और हम कहते भी हैं कि छोडो वो पिछली बातें थीं क्या उनको याद करना..... जो बीत गया उसे भूल जाओ... 


पर जो बीत  जाता है... न तो उसे हम भूल पाते हैं और न ही उनको याद करना छोड़ पाते हैं. हम अपनी निजी ज़िन्दगी में जब भी कोई बात करते हैं तो पिछले बातों को भी याद करते हैं. और पीछे जो गलतियाँ हुई हैं उनसे सबक लेते हुए अपने आने वाले नए भविष्य का निर्माण करते हैं.  यानी कि मतलब यह है कि भविष्य कि नींव भूतकाल में ही तय हो जाती है.  


वैसे हम इतिहास क्यूँ पढ़ते  हैं? इतिहास पढने के कई महत्वपूर्ण तर्क हैं और इन तर्कों को हम नकार भी नहीं सकते.  कई तर्क यह कहते हैं कि: -------


  • इतिहास हमें हमारी दुनिया कि उत्पत्ति को जानने में मदद करता है.
  • इतिहास  जानने से हम तर्कों को और प्रमाणिक कर देते हैं.
  • इतिहास हमारे चिंतन को मजबूती प्रदान करता है.
  • इतिहास हमें हमारे वर्तमान और भूतकाल को समझने में मदद करता है .
  • इतिहास में घटनाओं और लोगों के बारे में पढना अच्छा लगता है.
  • इतिहास हमें बाकी विषयों को समझने में मदद करता है.
  • इतिहास हमें आधुनिक राजनितिक और सामाजिक समस्याओं को समझने में मदद करता है.
  • इतिहास हमें यह भी जानने में मदद करता है कि भूतकाल में लोग सिर्फ अच्छे या बुरे ही नहीं थे,  बल्कि जटिल परिस्थितिओं में किस प्रकार व्यवहार करते थे.


ऐसे कई तर्क हैं जिनको हम कह सकते हैं कि जानने व समझने के लिए हम इतिहास पढ़ते हैं. वैसे यह कहना कि भूतकाल में जो गलतियाँ हो चुकी हैं उन्हें भविष्य में न दोहराया जाये इसलिए हम इतिहास पढ़ते हैं कहना काफी हद  तक सही नहीं है....  क्यूंकि यह तो है ही कि हम अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हैं..... और उन्ही सबक के आधार पर भविष्य का निर्माण करते हैं..... और फिर भी वही गलतियाँ दोहराते हैं जो भूतकाल में हो चुकी हैं.. फिर इतिहास पढने का फायदा क्या है? जब हम बार बार वही गलतियाँ दोहराते हैं. इतिहास में हम युद्ध , न्याय-अन्याय , गरीबी, भुखमरी , सम्पन्नता इत्यादि के बारे में जानते हैं , पढ़ते हैं. फिर भी हम उनसे कोई सबक नहीं लेते हैं. और आज भी वही गलतियाँ दोहरा रहे हैं. फिर इतिहास पढने से क्या फायदा,  जब हमें गलतियाँ दोहरानी ही है? 


पर हमारे लिए इतिहास जानना बहुत ही ज़रूरी है. हमें आखिर मालूम तो होना चाहिए न, कि हम पहले क्या थे और आज क्या हैं? 
अब यह कहना कि इतिहास खुद को दोहराता है , यह कहने के लिए तो सही  है पर कभी हमने यह नहीं सोचा कि इतिहास खुद को दोहराता ही क्यूँ हैं? इसका जवाब बहुत ही आसान है क्यूंकि हमने अपने भूतकाल से कुछ सीखा ही नहीं ..... इसलिए इतिहास ने खुद को दोहरा दिया... इतिहास भविष्य नहीं बताता ...इतिहास यह बताता है कि जो गलती वर्तमान में हुयी है, उसको ध्यान में रखते हुए अपने भविष्य का निर्माण करो.... नहीं करोगे ....तो इतिहास फिर और बार - बार दोहराया जायेगा... इसलिए हमें वर्तमान को सही करना या रखना ज़रूरी है तभी तो भविष्य सही होगा और यही इतिहास हमें सिखाता है. 


इतिहास एक प्रगति की प्रक्रिया है, जो बदली जाती हैं, संशोधित की जातीं हैं और कभी न भूलने के लिए लिखी जातीं हैं.  सुकरात (Socrates) ने कहा था की "Know thyself" मतलब खुद को जानिए . यहाँ पे सुकरात का मतलब खुद को जानना ही नहीं था..... उसका मतलब पूरे अद्भुत और प्रक्रितिविश्यक संसार को जानने से था.  और यही जानने को हम इतिहास कहते हैं.  यह खुद को जानने  व समझने की एक प्रक्रिया है. और इसी प्रक्रिया  को हम  आत्म-ज्ञान या स्व-सुधार की प्रक्रिया कहते हैं जो की इतिहास से ही हो कर गुज़रता है. यानी की इतिहास का मतलब है स्व - सुधार .....


वैसे दो शब्दों में आपको बता दूं की  हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं ताकि हम अपने संस्कार और संस्कृति को भूले नहीं.... उन्हें हम जानें......  और जानकर ..... भविष्य की पीढी को  विरासत में दें..... अपने संस्कार और संस्कृति को जानना ही इतिहास है. जो व्यक्ति अपने संस्कार, संस्कृति और इतिहास को नहीं जानता है वो सामाजिक रूप से बहिष्कृत (PARIAH) होता है. और  यही  गलती आजकल हम कर रहे हैं.... की हम अपने संस्कार और संस्कृति को भूल रहे हैं और इतिहास जैसे विषय का मज़ाक उड़ा रहे हैं. जिसने इतिहास नहीं जाना उसने खुद को नहीं जाना.  अपनी धरोहरों को संभाल कर रखना ही इतिहास है. स्व- ज्ञान ही  इतिहास है.


सारांश यही है कि हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं जिससे कि हम भूल सुधार करते हुए अपनी संस्कृति और संस्कार को भूले नहीं...




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दोस्तों, इतिहास मज़ाक का विषय नहीं है..... न ही यह कोई बोर करने वाला विषय है.. यह इसलिए हमारे syllabus में है कि हम जानें खुद को..... अपने संस्कार को और अपने संस्कृति को.... वरना यह इतना प्रसिद्ध विषय कैसे होता.... ? क्यूँ इतिहास से CIVIL SERVICES EXAM को पास करने वाले को Genius कहा जाता है? क्यूँ एक Archaeologist को आदर कि निगाह से देखा जाता है? क्यूँ ARCHAEOLOGY DEPT. बनाये गए हैं? यह तो हर इंसान को जानना ही चाहिए.... तभी वो अपने धर्म और कर्म को भी जान पाएगा.... नहीं तो सिर्फ बिना मतलब कि बहस ही करता रहेगा......
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काफी लोगों इस पोस्ट को देखा ...... और काफी लोगों ने इसका जवाब भी दिया.... और काफी लोग इस सवाल से बच के निकल भी गए.... अगर हम हिंदुस्तानिओं ने इतिहास विषय को स्कूल में सही तरीके से पढ़ा होता ..... तो इसका सही जवाब बहुत आसान था.... हम ज़ात, धर्म, प्रांत और भाषा को लेके सिर्फ इसीलिए झगड़ते हैं...... क्यूंकि हमने इतिहास नहीं पढ़ा है..... 


खैर..... मेरे सवाल का लगभग सही के करीब जवाब जिन लोगों ने दिया है.... उनके नाम इस प्रकार है......


  1. श्री. समीरलाल जीइतिहास समय दर्ज करता है तो हमारे भविष्य का मार्गदर्शक होता है.
  2. श्री. जैराम विपल्व : अतीत को जानकर-समझ कर और उससे सीख लेकर वर्तमान तथा भविष्य दोनों को बेहतर किया जा सकता है। 
  3. श्री. वर्माजी: भूत की नीव पर वर्तमान और भविष्य होता है.
    बिना भूत को जाने हम न तो वर्तमान और फिर न तो भविष्य को स्वरूप दे सकते है. जिस तरह अगर हम अपने मकान पर एक मंजिल और बनवाना चाहेंगे तो उसकी नीव को जाने बिना नही आगे बढ सकते है. 
  4. श्री. अवधिया जी : कहा जाता है कि 'इतिहास स्वयं को दुहराता है'।इतिहास पढ़ने से हमें इस बात का कुछ कुछ भान हो जाता है कि कौन सी बातें दुहराई जा सकती हैं, और हम स्वयं को उसके लिए मानसिक रूप से तैयार रखते हैं।
  5. शिखा वर्ष्णे जी : हम इतिहास इसलिए पड़ते हैं क्योंकि अतीत की जड़ों से ही भविष्य का पेड़ उपजता है ,उसकी गर्त से ही हमें अपने विकास का मार्ग मिलता है.
  6. चन्दन झा: हम अपने अतीत को याद रखते हुए एक सुःखद भविष्य की कल्पना कर सके । इतिहास हमें अपनी गलतियों से अवगत कराता है और सही मार्ग भी दिखलाता है.
  7. अदाजी : इतिहास हमें अपने अतीत से जोड़ता है और माप दंड देता है कि हमने उपलब्धियों और गलतियों से कितनी दूरी तय की है और कैसे की हैं...इतिहास हमें अपने अतीत से भागने नहीं देता है, हमें हर दिन उससे जोड़े रखता है .. 



(आप सब लोगों से निवेदन है कि अपने Addresses कृपया मेल कर दें ....)


और सीमा जी का बहुत बहुत धन्यवाद .....आपने सही अंदाजा लगाया था कि... ह्म्म्म बेहद सम्वेदनशील प्रश्न...लकिन हमे आपके जवाब का इंतजार है, आप ने ये प्रश्न ऐसे ही नहीं पुछा होगा....इसमें जरुर कोई न कोई तर्क होगा.....

शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

सिर्फ एक सवाल.. कि " हम इतिहास (HISTORY) क्यूँ पढ़ते हैं?" जवाब राष्ट्रहित में ज़रूरी है..



मेरा सिर्फ एक सवाल है....... आप सब लोगों  से........... प्लीज़.................. इस पोस्ट को पढने के बाद जवाब ज़रूर दीजियेगा ............ सवाल यह कि  सिर्फ यह बता दें  कि 




" हम इतिहास (HISTORY) क्यूँ पढ़ते हैं?" 








(सही और शानदार जवाब पे मेरी ओर से एक शानदार PEN SET....... GIFT.... )

मंगलवार, 22 सितंबर 2009

अमर उजाला में प्रकाशन,प्रसारण, जग में नाम, माँ का आशीर्वाद.. और आप लोगों का प्यार.. .




मैं हिंदी दैनिक "अमर उजाला" का फिर से आभारी हूं कि उन्होंने मेरे लेख "आईये जानें टाटा (TATA) का सच:-- एक ऐसा सच जो सोचने को मजबूर कर दे... ब्लॉग जगत में एक बहुत बड़े रहस्य से पर्दा उठा. " 
 को दिनांक २१/०९/२००९ को अपने सम्पादकीय पन्ने पे प्रमुखता से प्रकाशित किया.  मैं हिंदी दैनिक अमर उजाला का शुक्रगुज़ार हूँ. 
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मैं दूरदर्शन के हिंदी राष्ट्रीय चैनल LOKSABHA TV का भी शुक्रगुज़ार हूँ कि मेरे ब्लॉग "मेरी रचनाएँ" में लिखे गए अति चर्चित लेखों और कविताओं को अपने कार्य क्रम "साहित्य मँच" में शामिल किया तथा मेरे राष्ट्रवादी विचारों को आम लोगों तक पहुंचाया...  
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मेरी एक सफलता मैं और आप लोगों से बांटना चाहूँगा ..... मेरी एक ENGLISH Poem "FIRE IS STILL ALIVE" का प्रकाशन UNIVERSITY OF WISCONSIN- MADISON United States (US) ke EMERITUS PROFESSOR Mr. Nancy L John Diekelmann के द्वारा किया जा रहा है..... जिनसे मेरी फोन पे भी बात हुयी .....जिसको वे वहां T-Shirts पे publish करेंगे ...... और वो T-Shirt पूरे US में बेचीं जाएँगी.....  जिनका एक्सपोर्ट भारत में भी होगा..... मेरी वो कविता एक सामाजिक सन्देश देती है... जो कि US में बहुत लोकप्रिय हुई है..... T-Shirts का उत्पादन अगले साल के जून - जुलाई तक होगा....... इस सिलसिले में मैं नवम्बर में US  जा रहा हूँ.... 







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मेरी इस सफलता का श्रेय (CREDIT) सर्वप्रथम मैं अपनी आदरणीय मम्मी रश्मि प्रभाजी को देता हूँ. जिनके दुआओं और मार्गदर्शन से यह सफलता हासिल हुई. 


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मैं श्री. समीर लाल जी (उड़न तश्तरी) जी का बहुत ही आभारी हूँ, उन्होंने मुझे हमेशा अच्छा लिखने कि प्रेरणा दी. मैं जब ब्लॉग पे नया नया था आया था.... तो सबसे पहले श्री. समीर लाल जी ने ही मेरा मनोबल बढाया... और उनके इसी SUPPORT  से मैं आज उनको नमन करता हूँ. 
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मैं श्री. ॐ आर्य जी का भी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.... एक सच्चे दोस्त के रूप में ....इन्होने मेरा हमेशा साथ दिया.
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  • मैं श्री. M.L. वर्मा जी का बहुत ही शुक्रगुजार हूँ, इनका आर्शीवाद इस छोटे भाई पे शुरू से रहा है.
  • मैं श्री.डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक का बहुत ही आभारी हूँ, आपका आर्शीवाद हमेशा साथ रहा है. 
  • श्री. शरद कोकस जी.. इनके बारे में जितना कहूँ कम है... आज जो मैं अच्छी हिंदी लिख रहा हूँ... वो आपकी ही बदौलत... लिख पा रहा हूँ.....  अब चूंकि मैं CONVENT BACKGROUND से हूँ.... तो कहते हुए शर्म आ रही है कि ...मेरा हाथ हिंदी में तंग था... जब भी कहीं हिंदी में अटकता हूँ ... तो सीधा इनको याद करता हूँ..... शरद भैया इसका मतलब बता दीजिये....  इस फलां शब्द कि हिंदी बता दीजिये...  और यह भी रात बेरात मेरे लिए हमेशा तैयार रहते हैं.... हर वक़्त मेरे साथ खड़े रहते हैं......
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मैं "अदाजी " (स्वप्ना मञ्जूषा जी)  का भी बहुत ही शुक्रगुज़ार हूँ ... इनके कमेंट्स हमेशा मेरा हौसला बढाते हैं.
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मैं :--------
आप सब का मैं बहुत ही आभारी हूँ..... कि आप सबने मेरे लेख को सराहा और इतना प्यार दिया... जो इज्ज़त आप लोगों ने मुझे दी है ...उसका मैं शुक्रगुज़ार हूँ. 
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मैं अपने छोटे भाइयों  :
का  भी बहुत ही शुक्र गुज़ार हूँ...... मेरे इन छोटे भाइयों ने मुझे हर कदम पे सराहा और support किया ...जिसका मैं अपने छोटे भाइयों का अभिनन्दन करता हूँ.


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I am also very much thankful to :
  • Respected Sangeeta puri Aunty
  • Respected Nirmala kapila Aunty
  • Raj ji
  • Shobhna Chaudhry
  • Vani di
  • Babli ji
  • Uttama ji
  • Dipti ji
  • Mehek ji
  • Razia ji
  • Shikha Varshney ji
  • Sadhna Gupta ji
  • Shefaali ji
  • Seema Gupta ji
  • Alpana Vermaji
  • Ranjana ji
  • Pallavi Trivedi ji
  • Archna ji
  • Vandana Dubey ji
  • Asha Joglekar Aunty
  • Sreena ji
  • Richaji 
  • Rukhsar ji
  • Sada ji
  • Shamaji
  • Kshamaji
  • Sareetha ji
  • and Maansi ji 
for support all they have provided............... Once again ThanX and regards to all of them......
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हौसला अफज़ाई और इतना प्यार देने के लिए  आप सब लोगों को धन्यवाद ................











शनिवार, 19 सितंबर 2009

आईये जानें टाटा (TATA) का सच:-- एक ऐसा सच जो सोचने को मजबूर कर दे... ब्लॉग जगत में एक बहुत बड़े रहस्य से पर्दा उठा.



पिछली पोस्ट में आप लोगों ने CLEAN CHIT और बाबू के बारे में जाना। आईये, आज मैं आप लोगों को टाटा (TATA) का सच बताता हूँ।


हम में से सब लोगों ने टाटा (TATA) शब्द सुना है और इसका इस्तेमाल अपनी आम ज़िन्दगी में हम सब रोज़ाना करते हैं। इस टाटा (TATA) शब्द का इस्तेमाल हम सब तब करते हैं जब हम किसी मेहमान को विदा करते हैं या जब हम किसी के घर मेहमान बन के जाते हैं, तो मेज़बान हमें घर के बाहर कर विदा करते हैं तो हम टाटा-बाय-बाय का इस्तेमाल करते हैं। हम भी जवाब में टाटा(TATA) और बाय-बाय (bye-bye) कहते हैं। और विदा ले लेते हैं। इस टाटा (TATA) को हम लोगों ने अपनी ज़िन्दगी में कहीं अन्दर तक आत्मसात् कर लिया है। और गाहे बगाहे सम्मान प्यार के साथ इस शब्द को रोज़ाना बोलते हैं।


पर यहाँ भी गौर करने वाली बात है कि हम रोज़ाना DICTIONARY देखते हैं पर इस शब्द को कभी भी हमने खोजने या जानने कि कोशिश नही की। यह शब्द जब भी हम भारतीय DICTIONARY में देखेंगे तो यह शब्द हमें COLLOQUIAL (यानी की आम बोल-चाल के शब्द ) के रूप में मिलेगा कि किसी संज्ञा या विशेषण के रूप मेंजब भी हम इस शब्द को शब्दकोष में देखेंगे तो वहां इसका ORIGIN UNKNOWN दिखाई देगायह शब्द कभी भी हमको कहीं विशेष रूप से प्रयोग होता साहित्यिक अकादमिक क्षेत्र में नहीं मिलेगा


यह टाटा (TATA) शब्द सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत और पाकिस्तान में ही बोला जाता हैइन दो देशों के अलावा यह शब्द दुनिया के किसी भी देश में चाहे वो अँगरेज़ देश ही क्यूँ हों, में नहीं बोला जाता। ही कोई अँगरेज़ इसको किसी को सम्मानपूर्वक विदा करने के लिए कभी प्रयोग करता हैक्यूंकि अँगरेज़ टाटा (TATA) का मतलब ही नहीं जानते


तो फिर यह भारत और पाकिस्तान में ही क्यूँ बोला जाता है?


यह जानने के लिए हमें फिर ढाई सौ साल पीछे जाना पड़ेगा जब भारत पे अंग्रेज़ों का शासन था। दरअसल टाटा (TATA) कोई शब्द ही नही हैयह एक प्रकार का SLANG है। (SLANG वो शब्द होते हैं जो क्षेत्रीय भाषा से एक अपमानसूचक शब्द के रूप में निकले होते हैं....... जैसे कि "बे ".... हम लोग बोलतें हैं ...." क्या है बे ?")


तो टाटा (TATA) भी एक प्रकार का SLANG है, जिसको अँगरेज़ उनकी औरतें (मेम) भारतीय स्त्रियों उनके बच्चों को पुकारने के लिए इस्तेमाल किया करते थेअँगरेज़ टाटा (TATA) का इस्तेमाल भारतीय स्त्रियों उनके बच्चों को हिकारत से भगाने के लिए करते थे , जिसको हम भारतीयों ने सम्मानपूर्वक आत्मसात् कर लियाउदाहरण देखिये ज़रा: जब भारतीय औरतें अंग्रेज़ों के ऑफिस और घरों में काम करने जातीं थीं तो अपने बच्चों को भी साथ ले जातीं थीं, और जब काम से वापिस लौटतीं थीं तो यह अँगरेज़ उन्हें टाटा (TATA) बोलकर विदा करते थे..... अब क्यूँ करते थे ....यह अभी पता चल जाएगा..... और हम भारतियों ने बिना सोचे समझे इस शब्द को अपना लिया




आइये अब जानें टाटा (TATA) का मतलब क्या है?





पहले हम इस शब्द कि उत्पत्ति को देखते हैंसन् 1823 में यह शब्द England में BBC में एक नाटक प्रस्तुति के दौरान इस्तेमाल किया गया, उस नाटक में एक नवजात शिशु का भी किरदार था और एक बेवकूफ सफाइवाली औरत का भी किरदार था जो कि भारतीय थी उसका नाम उस किरदार में Mrs. Mopp था(और MOPP का मतलब अंग्रेजी में ....पोछा मारने को कहते हैं....)
नाटक जब खेला जा रहा था तो वो अँगरेज़ शिशु अचानक उस भारतीय स्त्री को देखते ही ता-ता (ta-ta) कि आवाज़ में रोने लगा , जिसको अंग्रेज़ों ने समझा कि बच्चा उस भारतीय स्त्री से डरकर टाटा बोल रहा है और उस भारतीय स्त्री को भगाने के लिए कह रहा हैतबसे अँगरेज़ हम भारतीय को टाटा कहने लगे..... आज भी England में बच्चों को तिरस्कृत करने के लिए अँगरेज़ टाटा (TATA) बोलतें हैं। कई बार अँगरेज़ बड़े स्तन वाली भारतीय महिलाओं को भी टाटा बोलतें हैं। Salman Rushdie कि नोवेल, THE MIDNIGHT'S CHILDREN में इसका उल्लेख है




एक जानी मानी ट्रेवल कंपनी MAKEMYTRIP.COM ने अपने उत्पाद में टाटा (TATA) का प्रयोग कियाजिस पर भारतीय कंपनी TATASONS ने आपत्ति ज़ाहिर कि और कहा कि टाटा (TATA) शब्द उनके नाम पर TRADEMARKED है जिसे और कोई इस्तेमाल नहीं कर सकता और WORLD INTELLECTUAL PROPERTY ORGANIZATION के तहत् TATASONS ने यह केस 14TH SEPTEMBER 2009 को जीत लिया


अब देखने वाली बात यह है कि अगर TATA कोई शब्द होता तो ख़ुद TATASONS भी इस पर कोई दावा नहीं कर सकती थी क्यूंकि शब्दों को आप PATENT और TRADEMARK नहीं करवा सकते। और यह भारत का सबसे पुराना TRADEMARK है..... तो यह साबित है कि टाटा (TATA) कोई शब्द ही नही है.......


आइये अब जानें भारतीय टाटा (TATA) घराने का नाम टाटा (TATA)क्यूँ पड़ा?


गुजरात और मुंबई शहर में पारसियों कि तादाद सबसे ज़्यादा है पारसी पादरियों को तात् यानी की पिता कहा जाता है, संस्कृत में भी तात् का मतलब पिता ही होता है. जमशेदजी तात् (टाटा) जिनका जन्म गुजरात के नवसारी ज़िले में 03 MARCH 1839 को एक पारसी पादरी श्री। नासेर वांजी के यहाँ हुआ। जब जमशेदजी बड़े हुए तो चूँकि वो पादरी खानदान से ताल्लुक रखते थे, और उस समय के लोग पादरियों को तात् बुलाते थे ...आज भी बुलाते हैं खैर... तो सब लोग उन्हें जमशेदजी तात् बुलाते थे.... लेकिन अँगरेज़ तात् बोल नहीं पाते थे.... तो उन्होंने तात् को TATA कर दिया.... जैसे ठाकुर को टैगोर ..... तबसे तात् खानदान टाटा (TATA) हो गया .... अब चूँकि वो अंग्रेजी में तात् लिखेंगे.... तो TAATA लिखा जायेगा ...... जिसे अँगरेज़ टाटा पढ़ते थे .... बाद में आगे चल के टाटा (TATA) ने इस नाम को TRADEMARK करवा लिया..... और इस तरह टाटा घराने का नाम TATA पड़ा .......



तो निष्कर्ष यही है...कि टाटा (TATA) कोई शब्द नहीं है. इसका कोई मतलब नहीं है. यह सिर्फ एक शब्द विशेषण है जिसका प्रयोग हम GOOBYE या किसी को विदा करने के लिए करते हैं जो कि हमें नहीं करना चाहिए क्यूंकि इसका प्रयोग अँगरेज़ हमें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए करते थे.... जिसको हम भारतीय समझ नहीं पाए और अपनी ज़िन्दगी में इस शब्द को एक सम्मानजनक स्थान दे बैठे.... आज भी हमें यह सोचना चाहिए.... कि शब्द बोलते हैं.... अगर हम लिखे हुए शब्दों को ध्यान से देखें.... तो हर शब्द हमें कुछ कहते ही दिखाई देंगे... गुस्से को ज़रा ध्यान से लिखा देखिएगा .... तो गुस्से कि शक्ल आपको गुस्से में ही दिखाई देगी.... ऐसे ही ख़ुशी को देखिएगा ....ख़ुशी शब्द आपको खुश ही दिखाई देगा.... इसलिए शब्द हमारी ज़िन्दगी में बहुत ही मायने रखते हैं..... हमें किसी भी शब्द को सिर्फ इसलिए ही नहीं इस्तेमाल करना चाहिए.... कि वो शब्द उच्च कोटि कि भाषा के हैं.... क्या पता वो शब्द हमें अपमानित करने के लिए इस्तेमाल किया गया हो..... अँग्रेज़ी में लिखा गया या बोला गया है.... तो इसका मतलब यह नहीं है.... कि वो शब्द सही ही हो..... हर शब्द कि अपनी कहानी है.... अपनी पैदाइश है..... जैसे हम अपना इतिहास जानते हैं.... और हमारा भी इतिहास होता है ...ठीक उसी तरह शब्दों का भी इतिहास होता है..... जिस तरह किसी के पिता का नाम नहीं मालूम होता ...तो उसे हम बहुत ही गिरी निगाह से देखते हैं.... उसी तरह जिस शब्द कि उत्पत्ति न पता हो.... वो शब्द भी गिरा हुआ होता है..... तो ऐसे किसी गिरे हुए को क्यूँ अपनाना .....???????





DISCLAIMER: प्रस्तुत लेख तथ्यों पर आधारित है... किसी को अगर कोई आपत्ति हो तो तुंरत बताये....









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