उसने पूछा की
'आसमान छूने जा रहे हो?'
मैंने कहाँ 'हाँ!!! '
उसने कहा .....
'छू लेना हाथ बढ़ा के
आसमान को '
और मुझे बताना
कैसा था?
फूल सा नाज़ुक
या
रुई सा नरम?
ले आना अपने साथ
थोड़ा सा अहसास
और
कराना महसूस
मुझे......
और मेरा ...............
आसमान....
अब मेरे पास है॥
महफूज़ अली