सोमवार, 15 जून 2009

खुशी

आज मैंने सुबह
अपने कमरे की खिड़की
खोली थी,
खिड़की के एक कोने में
बादल का एक छोटा सा
टुकडा था।

मैंने फिर पूरी खिड़की खोल दी
बाहर आँगन में
तारों भरे आसमान
के कई टुकड़े पड़े थे॥









महफूज़ अली
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