मुझे ऐसा लगता है कि हमारे ज़िन्दगी में एक वक़्त ऐसा आता है कि जितने भी गैर ज़रूरी चीज़ें या लोग हैं वो अपने आप फिल्टर हो जाते हैं. ऊपरवाला हमारे लिए हमेशा अच्छा ही सोचता है और वो खुद ही ऐसे लोगों को हमारे ज़िन्दगी से गायब कर देता है जो हमारे लिए आगे चल कर नुकसानदायक होंगे. ऊपरवाला हमें हमारी ज़िन्दगी में ऐसे बहुत से लोगों से मिलवाता है जिनसे हमें वो ज़िन्दगी का सबक सिखाता है. और फिर हमें किसी ऐसे से मिलवा देता है जो सिर्फ हमारे लिए ही बना होता है और हम ऐसी कोई गलती नहीं करते जो हमने अपने पिछले संबंधों में किये थे. कोई ज़रूरी नहीं है कि जिससे वो हमें मिलवाये वो हमारा ज़िन्दगी भर का हो जाये , वो ऐसा भी कर सकता है कि उसे आपका हमसफ़र ना बना कर हमसाया बना देता है.
(फ़ोटोज़ का ब्लॉग पोस्ट्स से कोई लेना देना नहीं है, आई डोन'ट वॉंट टू स्टील फ्रॉम गूगल विंक..विंक..)
रिश्तों का फलसफा....
बिकता है
बस बिकता और सिर्फ बिकता है.....
मोम जलता नहीं है
पिघलता है
और
उसके बीच में फंसा हुआ
धागा जलता है ....
जलता है
और लगातार जलता है,
जब तक धागा जलता है
मोम पिघलता रहता है.
जैसे ही उसने केक काटा
और मोमबत्ती बुझाई
एक साल और कट गया
और ज़िन्दगी एक बार और बुझ गयी
कटने और बुझने की .....
शिकायत की कहानी है ज़िन्दगी.
मोम के बीच फंसी हुई ज़िन्दगी
धागे की तरह धीरे धीरे जलती है
और जिस्म ...
धागे के ख़त्म होने तक लगातार
पिघलता है
जब धागा पूरी तरह
जल जाता है तो
मोम .....
रिश्तों के डेस्क पर फैलता है
और
पसर जाता है.
(c) महफूज़ अली
अब एक बहुत ही खूबसूरत गाना देखिये/सुनिए. बड़ा मज़ा आएगा, ऐसे गानों को आँख बंद करके सुनने में ही मज़ा आता है. दिस टाईप ऑफ़ सोंग इस ऑलवेज़ फॉर डेडिकेशन....