बुधवार, 18 नवंबर 2009

साला! मालूम कैसे चलेगा कि मुसलमान है?




आज तबियत थोड़ी नासाज़ है.... बहुत हरारत सी हो रही है... किसी काम में मन नहीं लग रहा है.. चिडचिडाहट सी भी हो रही है... शायद  वाइरल में ऐसा ही होता है...इसलिए आज घर जल्दी आ गया ....आराम करने...पर घर पर भी किसी काम में मन नहीं लग रहा है, दवाई खायी है... अभी.... सिर्फ एक बाउल सूप पी कर...  बड़ी बोरियत सी हो रही है... शायद वाइरल में ऐसा ही होता है... अभी थोड़ी देर पहले शरद कोकास भैया से बात की.... थोडा हल्का फील कर रहा हूँ...उनसे बात कर के... उनसे और बात करने का मन था की उनकी घर की काल बेल बजी.... तो पता चला कि पोस्टमैन आया है.... और शरद भैया के लिए कोई बैरंग चिट्ठी ले के आया है... इसलिए उन्हें जाना पडा... मुझे बड़ी हंसी आई कि लोग कितना परेशां करते  हैं... बैरंग चिट्ठी भी आजकल भेजते हैं...और अपनी चिट्ठी पढ़वाने के लिए भी पैसे दिलवाते हैं.... मैंने उनसे कहा कि "ठीक है! आप चिट्ठी पढ़िए.... मैं तब तक के चाय बना कर आता हूँ... चाय खुद ही बनानी पड़ती है... क्यूंकि मेरी खाना बनाने वाली सुबह आती है... और अब वो शाम को आएगी... बाकी टाइम खुद ही बनाना पड़ता है....लोग कहते हैं.... महफूज़ भाई... तीस पार हो गए हो... अब शादी कर लो.... पिताजी भी बड़े परेशां रहा करते थे.... इसी ग़म में चले गए... वैसे मैंने उन्हें बहुत परेशां किया है पूरी ज़िन्दगी.... आज उनकी बहुत याद रही है.... काश! मैंने उन्हें परेशां नहीं  किया होता.... बहुत परेशां रहा करते थे वो मुझसे ...  मेरी हरकतें ही ऐसी थीं.... मैं एक अच्छा बेटा कभी नहीं बन पाया...  मेरे पिताजी मेरी...शादी के लिए बहुत परेशां रहते थे... सन २००८ के नवम्बर में आज ही के दिन उन्होंने .... मुझसे शादी के लिए बहुत जोर दिया था... कुछ ऐसे incidents ऐसे हो गए थे मेरी ज़िन्दगी में... जिसकी वजह से वो बहुत परेशां थे.... पर मैंने उनको फिर बहुत परेशां किया... उन्होंने मुझसे कहा भी था.. कि उनकी ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं है... मुझे लगा कि हर माँ-बाप ऐसे ही कहते हैं.. और वो इसी इसी जद्दोजहद में जनुअरी २००९ में .... हमेशा के लिए मुझे छोड़ कर ...मेरी माँ के पास चले गए...  और मुझे एहसास हो गया कि वो सही कह रहे थे...

मेरे पिताजी... मेरी flirt करने कि आदत से बहुत परेशां रहा करते थे.... वो जानते थे... कि मैं खुद को किसी के साथ बाँध कर नहीं रख सकता... वो आये दिन मेरे बारे किसी फिल्म स्टार कि तरह ख़बरें सुनते थे... कि आजकल मैं किस लड़की के साथ flirt कर रहा हूँ... कई बार उन्होंने मुझे समझाया भी... पर मैं नहीं समझा.. मुझे अच्छा लगता था लड़कियों के साथ flirt करना.... मैं उनसे कहता  भी था कि क्या ज़रुरत थी इतना handsome लड़का पैदा करने की ... हा हा हा ... वैसे, मेरे पिताजी भी बहुत handsome थे... 1961 में घर से भाग कर बम्बई भी गए थे... और थोड़े दिन में आटे-दाल का भाव उन्हें पता चल गया...  तो लौट कर वापस आ गए... और अपनी पढाई पर ध्यान देने कि सोची उन्होंने... फिर 1962 में भारतीय सेना में selection लिया ...और 1963 में commissioned हुए... और 1988 में उन्होंने सेना कि नौकरी छोड़ने का फैसला किया... क्यूंकि मेरी माँ गुज़र गई थी... और हम लोग ३ भाई बहन थे...और बहुत छोटे थे हम लोग.. और सन 1990 में पिताजी.. घर आ गये ...

पर अब मैंने flirt करना छोड़ दिया है... वैसे मैं कभी भी flirt नहीं करता था...मैंने harmless flirt किया है... कभी किसी से कोई वादा नहीं किया.. किसी का दिल कभी नहीं तोडा.. नोर्मल तारीफ़ ही किया करता था... हाँ! यह था कि मेरे आस-पास लड़कियों का साथ मुझे बहुत अच्छा लगता था... लड़कियां मुझे हमेशा घेर कर रखतीं थीं... इसका सबसे बड़ा कारण यह था... कि मैं हर जगह टॉप पर रहता था... studies में, स्पोर्ट्स में, Extra Co-Curricular activities में, और अपने looks कि वजह से भी ... पर लोग उसे गलत समझ लेते थे... अच्छा! मेरे साथ यह भी था.. कि मैं अपने आगे किसी को बर्दाश्त नहीं कर पाता था...  मैं हमेशा competition में रहता था और रहता भी हूँ... मैं हर जगह खुद को टॉप पर ही देखना चाहता हूँ... और उसके लिए किसी भी हद तक जाने कि ताक़त रखता हूँ...स्कूल में जब किसी के मार्क्स मेरे से ज्यादा आते थे... तो मैं उस लड़के को मारने का बहाना खोजा करता था... और बहुत टेंशन में आ जाता था... पर टॉप पे मैं ही रहता था... मुझे लोग refined गुंडा कहते थे... आज भी कहते हैं... 

बता दूं... कि आर्मी में जाना हर Central School (केंदीय विद्यालय) के लड़के का सपना होता है.. मेरा भी था... और वैसे भी यह कहा जाता है कि जिस लड़के ने SSB नहीं दिया...उस लड़के का जीना बेकार हुआ...मैंने NDA एक्साम दो बार पास किया... और CDS सात बार... मेरा यह all India record  है... पर मैं SSB interview नहीं पास कर पाता था.. पर मैं लगा रहा... और नौ बार SSB Board गया...फ़ौज का यह रूल है... कि एक लड़का अगर एक बोर्ड में interview दे चुका है...उसको दोबारा उस board में नहीं भेजा जायेगा.. और मैं सारे बोर्ड टहल चुका था... बेचारे आर्मी वालों को मेरे लिए अलग से बोर्ड उसी जगह पर बनाना पड़ा... पर मैंने नौवीं बार में SSB INTERVIEW पास किया.. वो भी एक ऐसे बोर्ड से पास किया जो कि हिंदुस्तान का सबसे मुश्किल बोर्ड माना जाता है.... यानी कि अलाहाबाद बोर्ड से.... यह मेरा ओवर  कांफिडेंस ही था जिसकी वजह से मुझे नौ बार SSB जाना पड़ा... पर अंत में medically unfit  हो गया... क्यूंकि मेरे चश्मे का parameter उनके parameter से ज्यादा था... और यह बात मैंने उनके  prospectus  में ध्यान ही नहीं दिया... खैर! यह All India record आज भी मेरे ही नाम है... मेरे पिताजी बहुत दुखी हुए थे.... मेरे सेलेक्ट न होने पाने पर....आज पिताजी नहीं हैं.... मेरे समझ में नहीं आता कि मैं अब किसको परेशां करून....? अब कौन मेरी फ़िक्र करेगा...? 

अच्छा ...... इन्ही सब बातों के बीच एक बड़ा अच्छा वाकया याद आया है...... बचपन का.... हुआ क्या की ...उस वक्त मैं शायद नौवीं क्लास में था....... तो हुआ यह की हमारे पास बजाज स्कूटर हुआ करता था उन दिनों..... एक दिन वो स्कूटर ख़राब हो गया... तो मैं ख़ुद ही उसे खोल खाल के बनाने लगा...... कभी अपने नौकरों से कहता कि रिंच ले आओ तो कभी कहता कि प्लास्क ले आओ, कभी ग्रीस तो कभी ..तो कभी कुछ.... अन्दर से मेरे पिताजी खटर-पटर कि आवाज़ सुन के निकल के आए ......... उन्होंने देखा की मैं स्कूटर बना रहा हूँ.......पूरा स्कूटर खुला हुआ है... और मैं बड़ी तन्मयता से स्कूटर बना रहा हूँ... अच्छा! उसी दौरान मेरे एक्साम्स भी चल रहे थे... और मैं पढाई - लिखाई छोड़ कर स्कूटर बना रहा था....




थोडी देर तो पिताजी..शांत खड़े रहे .......देखते रहे....... फिर पास आ कर स्कूटर बनाते देख मुझे कहते क्या हैं की..... "साला! मालूम कैसे चलेगा की मुसलमान है? "


(हमारे हिंदुस्तान में ज्यादातर मेकानिक ...कैसे भी मेकानिक हों..... सब के सब मुसलमान ही मिलेंगे....ही ही ही ही ....)

आज पिताजी बहुत याद रहे थे... शायद बीमारी में अपने ही याद आते हैं... इसी बीच ६ कप चाय पी चुका हूँ... अदरक वाली... बड़ी अच्छी बनी थी... थर्मस में बना कर रख लिया था... वाइरल है... लेकिन AC चलाया हुआ है.... और रज़ाई ओढ़ कर टाइप कर रहा हूँ.... वाइरल में गर्मी भी लगती है.... पंखा चलाने का मन भी नहीं करता... पंखा चलता है तो चिढ होती है... नहीं चलता है तो भी चिढ  होती है... AC में तबियत और खराब होगी..यह भी जानता हूँ... लेकिन मन कर रहा है कि चलाऊँ ...इसीलिए चला कर रखा है... उम्मीद है कि तबियत और खराब होगी... लेकिन दवाई भी खाई है... और दवा का असर भी हुआ है.... अभी छः बजने का इंतज़ार है... ताऊ कि पहेली जो खेलनी है... ताऊ और रामप्यारी के बिना अब शाम नहीं होती .... रामप्यारी से भी प्यार हो गया है... मैं रामप्यारी से flirt नहीं कर रहा हूँ.... उससे मुझे सच्चा प्यार हुआ है... ताऊ और रामप्यारी कि पहेली को जीतने का बहुत बड़ा सपना है... पर आदरणीय समीरजी, ललितजी, पंडित जी, सुनीता दी, रेखा जी, मुरारी जी, और संगीता जी से रोज़ाना हार जाता हूँ.... पर इस हारने का भी एक अलग मज़ा है.... मेरी असली जीत तो आप लोगों का प्यार है...   अभी सोच रहा हूँ कि ऑफिस जाऊं...लेकिन मन नहीं कर रहा है.... 
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