शनिवार, 10 अप्रैल 2010

खुशियाँ बांटने से बढती है..नफरत का क्या काम? : महफूज़


सबसे पहले समस्त ब्लॉग जगत को इतना अपनापन और स्नेह देने के लिए धन्यवाद. (खुशदीप भैया के लिए सिर्फ एक बात कहना चाहूँगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. मुझे गर्व है आप पर.) मैं बिन माँ-बाप का होकर भी अकेला नहीं हूँ, यह मुझे समस्त ब्लॉग जगत ने बता दिया. इसके लिए मैं पूरे हिंदी व इंग्लिश ब्लॉग जगत का शुक्रगुज़ार हूँ. मुझे तो पता ही नहीं था कि सब मुझे इतना प्यार करते हैं? पिछले दो महीने से वक़्त ही नहीं था कि नेट पर बैठ सकूँ? कुछ प्रोब्लेम्स ही ऐसी थीं. लेकिन आज जब पूरा ब्लॉग जगत खंगाला तो आँखों से आंसू छलक पड़े. ब्लॉग जगत के लोकप्रियता के ऐसे शिखर पर आप सब लोग बैठाएंगे, इसका अंदाज़ा भी मुझे नहीं था. लोग कहते हैं कि ब्लॉग कि दुनिया ऐसी है कि लोग जल्दी ही भुला देते हैं, लेकिन आप सबके प्यार ने इस मिथ को झुठला दिया. आज सबसे पहली टिप्पणी डॉ. अजित गुप्ता जी के ब्लॉग पर की, अपने आप हाथ से माँ का संबोधन निकल पडा, जिसका ध्यान मुझे बिलकुल भी नहीं था, ममा का मेल आया तो बहुत देर तक रोता रहा. इस ब्लॉग जगत ने मुझे हर रिश्ता दिया है. माँ नहीं है मेरी, लेकिन आज मेरे पास ब्लॉग जगत के द्वारा जो रिश्ता बना है मेरा उससे माँ कि कमी अब नहीं महसूस होती है. अब तो मैं यहाँ धन्यवाद के लिए नाम भी नहीं लिख सकता हूँ क्यूंकि इतने सिर्फ नाम लिखने के लिए मुझे चार पोस्ट लिखनी पड़ेगी. मैं तो सबके प्यार से अभीभूत हूँ.

मैं आज फिर पूरे ब्लॉग जगत को अपनी खुशियों में शामिल करना चाहता हूँ. अब जैसा कि मैंने आज से ९ महीने पहले एक धन्यवाद पोस्ट लिखी थी और उसमें बताया था कि अमेरिका के Wisconsin University जो कि Madison State में है. उस यूनिवर्सिटी के Emeritus Professor. Nancy L.John Diekelmannn ने  मुझे संपर्क कर के  मेरी कविता "Fire is still Alive" को टी-शर्ट पर प्रकाशित करने की अनुमति मांगी थी, जो कि मैंने उनको दे दी थी, उस सिलसिले में मुझे उस वक़्त अमरीका भी जाना था लेकिन उन्होंने बाद में मना कर दिया था. इस पूरे दस महीने के दौरान अलग अलग चरण में मेरी उनसे फ़ोन और इ.मेल के ज़रिये बात-चीत चल रही थी. बाद में उन्होंने बताया कि वो टी-शर्ट एक अप्रैल को छप कर आ जाएगी.  और जब वो टी-शर्ट छप कर आ गई तो उन्होंने मुझे फोन और इ.मेल से सूचित किया और इसकी ख़बर मैंने सबसे पहले अपनी मम्मी रश्मि प्रभा जी को फोन के द्वारा सत्ताईस मार्च को सूचित किया. Diekelmann जी ने मुझे मेल के द्वारा सूचित किया कि Priority Mail जो कि अमरीका कि सबसे तेज़ डाक सेवा है जो पूरी दुनिया में कहीं भी डाक दो दिन में पहुंचाने का दावा करती है से चार टी-शर्ट भेज दी है. उन्होंने मुझसे माफ़ी भी मांगी कि टी-शर्ट पर मेरा नाम गलत प्रिंट हो गया है. हालांकि उन्होंने मुझसे citation मेल कर के पूछा था, लेकिन नेट से दूर होने की वजह से मैं उन्हें समय पर जवाब नहीं दे पाया, और टी-शर्ट छप कर आ गई. जब वो टी-शर्ट छप कर आ गई तो उसको स्कैन कर के मेरी बहन ने मेरी मेल पर भेज दिया और इसकी खुशखबरी सबसे पहले मैंने आदरणीय समीर लाल जी, खुशदीप भैया और अदा जी को मेल फॉरवर्ड कर के बताया. जिसका ज़िक्र खुशदीप भैया ने फर्स्ट अप्रैल को अपने ब्लॉग पर किया, जिसको काफी लोगों ने मूर्ख दिवस का मज़ाक समझ लिया...हा हा हा हा हा .... फिर बाद में अदा जी ने अपने ब्लॉग पर पूरी स्कैन मेल पोस्ट की. जब उन्होंने पोस्ट कर दिया फिर उसके बाद मैंने अपने लोगों को फोन से सूचित किया. अब मैं तो अपने घर से बहुत दूर हूँ... बहुत मन है वो टी-शर्ट पहनने  का.... और यह ख़्वाहिश लखनऊ और गोरखपुर पहुँच कर ही पूरी हो सकती है. अभी तो देहरादून का प्लान है फिर उसके बाद ३ दिन के लिए मलेशिया जाना है.  

Diekelmann जी ने बताया कि मेरी वो कविता Wisconsin University के सिलेबस में भी जोड़ी जा रही है और दिसम्बर में Wisconsin University में  होने वाले दीक्षांत समारोह में मुझे भी आमंत्रित किया जायेगा जहाँ मुख्य अतिथि अमरीका के राष्ट्रपति श्री. बराक ओबामा जी भी मुझे सम्मानित करेंगे. अमरीकन राष्ट्रपति जी के ओफ्फीस से भी मेल बधाई कि मेल चुकी है.  उन्होंने (Diekelmann) यह भी बताया कि पहले यह टी-शर्ट परियोजना Non-Profit based थी लेकिन कंपनी ने जब उसे मार्केट में उतारने का प्रस्ताव भी रखा तो उन्होंने इजाज़त दे दी और कहा कि जब मार्केट में यह आएगी तो आपको Royalty भी मिलेगी. मुझे यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई. इस सन्दर्भ में बहुत जल्द ही पेपर्ज़ साइन होने वाले हैं. उन्होंने यह भी बताया कि रोयल्टी सारी लीगल कार्यवाही और FEMA Act. की formalities पूरी हो जाने के बाद ही मिलेगी जिसमें तीन से चार महिने का समय लगेगा. Diekelmann जी ने यह बताया कि यह टी-शर्ट अमरीका, कनाडा सहित एशिया के कुछ देशों (जिसमें भारत भी) में भी बिक्री की जायेंगीं.. इससे पहले भी मुझे USA से सन २००५ में International Poet of the year का अवार्ड मेरी अंग्रेजी कविता "Lullaby for a missing child' के लिए   मिल चुका है. (कृपया मेरे ब्लॉग पर और ऑरकुट के एल्बम में अखबारों की स्कैन कॉपी देखें..) जिसके लिए मुझे तत्कालीन मुलायम  राज्य सरकार ने भी U P D C जिसकी अध्यक्ष उस वक़्त जया बच्चन जी थीं के हाथों और तरफ से सम्मानित किया गया था. (कृपया ब्लॉग के दायीं ओर लगी फोटो देखें और अखबारों की कतरन देखें)... इस बार भी मेरी बहन ने मुझे फोन कर के बताया कि ऐसा कोई फोन आया था और मेरे बाहर होने की वजह से बोल दिया गया कि मैं बाहर हूँ और मुझे जल्द से जल्द संपर्क करने के लिए कहा गया है... अब किस विभाग से आया यह तो मुझे गोरखपुर पहुँच कर ही पता चलेगा.... गोरखपुर/लखनऊ पहुँच कर जैसे ही सूचना/तिथि का निर्धारण होगा मैं आप सबको ज़रूर सूचित करूँगा... आप लोग सब तैयार रहिएगा.... काश! पिता जी ज़िंदा होते तो मेरी ना-मौजूदगी में सब संभाल लेते...सच कहा गया है...माँ-बाप के बिना जीवन अधूरा है. इसकी भी सूचना मैंने अपने लोगों को दी है कि सब लोग तैयार रहें.... इस बार मेरा परिवार बहुत बड़ा है. तो मैंने अपने ब्लॉग परिवार को भी सूचित किया. अब सारी डिटेल तो गोरखपुर पहुँच कर ही पता चलेगी. इस उपलब्धि को लखनऊ/गोरखपुर पहुँच कर ही प्रेस मीट और प्रेस रिलीज़ कर के समस्त दुनिया के सामने भी रखना है. मीडिया से फोन तो आ रहे है, लेकिन रोज़ी रोटी पहले है...काम ख़त्म होते ही इस उपलब्धि पर काम करना है.    श्री.बिल्लोरे जी ने कहा था कि हम यहीं पर प्रेस रिलीज़ कर दे रहे हैं,  जिसकी सूचना उन्होंने यहाँ के मीडिया को भी दे दी थी, लेकिन मैंने मना कर दिया कि मैं अपनी सरज़मीन और जन्मभूमि पर ही सब कुछ करूंगा. इसका मैं श्री. गिरीश बिल्लोरे जी का एहसानमंद हूँ.  अब जब लखनऊ /गोरखपुर पहुंचूंगा और इस सफलता को सेलेब्रेट करूँगा तो मैं अभी से समस्त ब्लॉग जगत को मैं आमंत्रण दे रहा हूँ कि अपनी उपस्थिति से मेरी खुशियों को दोगुना करें.

 मैं बहुत खुश भी हूँ और दुखी भी. दुखी इसलिए कि कई बार हम कई रिश्तों को समझ नहीं पाते हैं, हम गाहे-बगाहे ऐसे लोगों को अपना समझ लेते हैं, जो किसी मौके की तलाश में रहते हैं कि आपको दुःख हो. जिन्हें हम अपना समझते हैं वही धोखा दे जाते हैं. और जिन्हें हम कुछ भी नहीं समझते वो हमारे साथ रहते हैं और फिर एक नए रिश्ते को जन्म देते हैं. और फिर यही रिश्ता शायद ज़िन्दगी भर के लिए कायम हो जाता है. कई बार हम सोचते हैं कि जिन्हें हम प्यार कर रहे हैं वो हमारे साथ हर सुख दुःख में रहेगा फिर वही कब धोखा दे जाए ...कुछ कहा नहीं जा सकता. इस ब्लॉग जगत में मुझे बहुत कुछ मिला है. बहुत कुछ मिला है तो बहुत कुछ सीखा भी है. इंसान और रिश्तों को पहचानना मैंने ब्लॉग जगत से ही सीखा है. मुझे कई लोग और काफी लोग भी बहुत घमंडी किस्म का या फिर मगरूर किस्म का भी समझते हैं पर मेरा यकीन करिए मैं ऐसा बिलकुल भी नहीं हूँ. मैं हमेशा प्यार बांटता हूँ और बदले में सिर्फ प्यार ही चाहता हूँ. जब कभी मेल खोलता हूँ तो कोई गाली लिख के भेजता है, तो कोई कहता है कि तुझे अपनी सुन्दरता पे बहुत घमंड है, तो कोई कहता है कि मुकदमा कर दूंगा. मैं कहता हूँ कि अगर राष्ट्रवादी विचारधारा का होना क्या गुनाह है? क्या इसके लिए मुझे गाली देनी चाहिए? अब हैंडसम हूँ तो मेरा इसमें क्या दोष? क्या सुंदर होना घमंडी होने का मापदंड है? और मुकदमा भई कोई क्यूँ करेगा ...मैंने तो किसी की भैंस भी नहीं खोली है.... और वैसे इतना दम भी रखता हूँ कि भैंस खोल लूं ...और मैं ऐसे लोगों को क्या बोलूँ? इन्हें यह नहीं पता कि हम तो खानदानी मुकदमेबाज़ हैं. मेरे पिताजी मेरे ऊपर छः-छः मुक़दमे छोड़ कर गए हैं. ज़मीन से लेकर, 307 और 504  के मुक़दमे झेल रहा हूँ बिना मतलब के .... ऐसे लोगों को क्या बोलूँ ? मैंने एक बार जज से कहा भी था कि बिना मतलब इतना सब झेल रहा हूँ... तो जज ने कहा अच्छा तो है.... पता कैसे चलेगा कि बड़े आदमी हो... तो ऐसे लोगों को मैं यही कहना चाहूँगा कि फर्जी मुक़दमे में कैसे फंसाया जाता है यह मुझसे ज्यादा अच्छे से कोई नहीं जानेगा. इसलिए अब इस प्रकार की मेल भेजना बंद करें या फिर कोई मुकदमा लाद ही दें मुझ पर ... फिर देखें क्या होता है? मैं तो खुलेआम कहता हूँ कि जिसे भी मुझसे झगडा करना है तो एक बार सोच ले क्यूंकि मैं डसूंगा तो बहुत दर्द होगा. और आप ही लोग बताइए कि मैंने कभी किसी को ब्लॉग पर उल्टा सीधा कहा है? किसी की भी इन्सल्ट की है? हाँ! एक बार मैंने महिलाओं के खिलाफ कुछ गलत किसी पोस्ट पर कमेन्ट के रूप में लिख दिया था.... उसके लिए मैं माफ़ी भी मांग चुका हूँ और आज इस खुले मंच से अपने उस गंदे और वाहियात कमेन्ट के लिए फिर से समस्त ब्लॉग जगत कि महिलाओं से माफ़ी मांगता हूँ.  मेरा यकीन करिए ... मुझे बहकाया गया था... शायद किसी रौ में मैंने वो लिख भी दिया. और तबसे उसका पश्चाताप कर रहा हूँ. उस कमेन्ट की वजह से मैंने कई अच्छे दोस्त इस ब्लॉग जगत पर खो दिए. और तो और कुछ लोग ब्लॉग समाचार या फिर किसी और नाम से ब्लॉग बना कर मेरे नाम का भी दुरूपयोग कर रहे हैं. मैं इन लोगों को condemn करता हूँ और साथ ही साथ वार्न भी . मैं तो इतना ही कहूँगा कि प्यार बांटिये .... प्यार मिलेगा...  नहीं तो वही कहावत वाला हाल होगा कि "बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होए..."  

अंत में मैं आदरणीय समीर लाल जी, खुशदीप भैया (आप मेरे सगे से बढ़ कर हैं...), श्री. ऍम.वर्मा जी, आदरणीय शास्त्री जी, श्री. अविनाश वाचस्पति जी, श्री. शरद कोकास भैया, श्री. पाबला जी, श्री. ललित शर्मा जी, श्री. अवधिया जी, shri. ajay kumar jha ji, श्री. डॉ. अरविन्द मिश्र जी, श्री. गिरिजेश राव जी, श्री. महेंद्र मिश्र जी, श्री.रविन्द्र प्रभात जी, श्री. सुमन जी (नाईस वाले), श्री. संजय अनेजा जी... श्री. बवाल जी ..आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद... आप लोग हमेशा मेरे साथ रहे ...मेरा हौसला बढाया.... मैं आप सबका आभारी हूँ. 

मैं श्री. गिरीश बिल्लोरे जी का बहुत एहसानमंद हूँ. आपने व आपके परिवार ने मुझे इस अनजान शहर में बिलकुल भी अकेला नहीं महसूस होने दिया. आपने मेरा बहुत ख्याल रखा. मुझे बिलकुल भी एहसास ही नहीं हुआ कि मैं एक अलग शहर में हूँ.     आपने बड़े भाई और पिता की तरह मेरा ख्याल रखा. जो इज्ज़त आपने मुझे दी वो मैं पूरी ज़िन्दगी नहीं भूल सकता. 

मैं मम्मी रश्मि प्रभा जी (आपका आशीर्वाद हमेशा से मेरे साथ रहा है..), डॉ.अजित गुप्ता जी.... (ममा... कल आपका मेल आने के बाद मैं बहुत रोया हूँ... ममा..आपको मैंने Diekelmann जी का फोन नंबर और इ.मेल ..मेल कर दिया है.... आप अमेरिका पहुँच कर उनको फोन कर लीजियेगा ... वो आपको टी-शर्ट available करवा देंगे..) ...रश्मि रविजा जी...(आपका मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ... हर पल आपने मेरा हौसला बढाया... discourage होने से बचाया..I am very thankful to you....), शिखा जी..(आपको मैं बहुत मिस कर रहा हूँ) ... वाणी दीदी (क्या दीदी... कान छोडिये ना....अब लम्बी-लम्बी नहीं फेकूंगा.... दी...प्लीज़ कान छोड़ दीजिये... सॉरी बाबा..आ..दी..दर्द कर रहा है..)....अदा जी.... (आप में तो मेरी जान बसती है... मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ... ) मैं आप सब लोगों का शुक्रगुज़ार हूँ ... और मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ.... 

Last but not the least.... मैं पूरे ब्लॉग जगत का आभार व्यक्त करता हूँ.... जो इज्ज़त और प्यार आप सबने मुझे दिया है .... उसका मैं शुक्रगुज़ार हूँ. मेरे लिए यह संभव ही नहीं है कि मैं आप सबका शुभ नाम लिखूं... क्यूंकि आप लोग भी जानते हैं कि अगर मैंने नाम के साथ आभार व्यक्त किया तो चार पोस्ट और लिखनी पड़ेगी. मैं आप सबसे बहुत प्यार करता हूँ. 

कई बार हम इतनी जिम्मेदारियों में फंसे होते हैं कि कई बाहरी कामों के लिए वक़्त ही नहीं निकाल पाते हैं. मैं तो वैसे भी इतना बीजी हूँ कि बीज़ी वर्ड भी मेरे बीज़िनेस के आगे बहुत  बहुत खाली है... इसी बीज़िनेस को देखते हुए भई आज मैं लखनऊ ब्लोग्गर अस्सोसियेशन के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूँ. हालांकि, मुझे पता नहीं था कि मैं इस अस्सोसियेशन का अध्यक्ष भी हूँ... जब पता चला तो अपनी गैर ज़िम्मेदारी का एहसास हुआ....  मैंने सोचा कि इतने नालायक अध्यक्ष का क्या फायदा? जो अपने संस्था के बारे में ही ज्यादा नहीं जान रहा हो... ख़ैर! मैं तो समस्त ब्लॉग जगत का तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ. मेरा ब्लॉग जगत के विद्वान जनों से अनुरोध है कि कृपया मेरी कविता "Fire is still alive" का हिंदी में अनुवाद कर के मुझे दीजिये. मैं आभारी रहूँगा.

(अपने शुभचिंतकों व मित्रों के कहने पर मेल व कोरियर के स्नैपशॉट हटा रहा हूँ.... ११/०४/२०१०....समय : १२.५५)   
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