कोई लक्षण नहीं जीवन का
न कोई शब्द,
आहों का अंश भी नहीं
बंद आँखें ........
मैं असमंजस में था कि,
उन्होंने अलविदा भी नहीं कहा..........
यह कैसा मज़ाक है?
हम गले भी नहीं मिले
और उन्होंने आज मरने का दिन चुना
मैं सिर्फ़ एक पल के लिए जिया,
अलविदा कहने के लिए॥
महफूज़ अली