अभी मेरे मन् में
एक ख़याल आया
की
ज़िन्दगी भर
मैंने ख़ुद को लाचार पाया?
लोगों ने अपना बन के मुझे कितना सताया ?
लेकिन आज तुमने मुझे उम्मीद का सहारा दिया ........
मेरे झगडे और कड़वे बोल को हंस कर पिया
मैं जानता हूँ की मेरी वजह से
तुम्हारे मन् में एक तूफ़ान उठा है
और तुम्हारा दिल टूटा है ! ! !
फिर भी उदासी तुम्हारे चेहरे पर न आई
और
तुम मेरी हर बात पे मुस्कुराई
ठेस लगने पर भी तुम्हारा मन् न रो पाया
और अपने आंसुओं को बड़ी सफाई से छुपाया .....
अभी बंद करता हूँ मैं यह पाती
इस उम्मीद के साथ
की
काले बादल अब छट गए हैं
और
अब रंगों की बहार आएगी ही आएगी................
महफूज़ अली
(मुझे न गुस्सा मत दिलाया करो....... )