बुधवार, 31 दिसंबर 2008

कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं जो जन्म से लेकर
बचपन जवानी - बुढ़ापे से गुजरते हुए,
गरिमा से जीते हुए महान महिमाय हो जाते हैं !
ऐसे रिश्ते सदियों में नजर आते हैं !
जब कभी सच्चा रिश्ता नजर आया है आसमान में ईद का चाँद मुस्कराया है!
या सूरज रात में ही निकल आया है!
ईद का चाँद रोज नहीं दिखता,
इन्द्रधनुष भी कभी-कभी खिलता है!
इसलिए शायद - प्यारा खरा रिश्ता सदियों में दिखता है,
मुश्किल से मिलता है पर, दिखता है, मिलता है,
यही क्या कम है ॥ !!!

रविवार, 21 दिसंबर 2008

जब भी हम नई चीज़ों की नींव रखतें हैं, तो सबसे पहले पुरानीचीज़ों को हटाते हैं

नए मकान पुरानी नींव पर नहीं खड़े होते हैं.... अगर होते हैं भी तो ढह जाते हैं।




Mahfooz Ali




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