किस वक़्त कहूँ मैं कि ,
आई लव यू?
उस वक़्त जब तुम मुझे
देख हलके से मुस्कुरा देती हो?
या उस वक़्त जब मैं परेशां
होकर तुम्हे देखता हूँ,
और तुम मेरे हाथों में अपना हाथ देकर,
मेरी सारी परेशानी समेट लेती हो?
तुम रूठ जाती हो,
मेरी किसी बात पर
मैं मनाता हूँ और,
तुम फिर छुईमुई सी
मेरे सीने से लग जाती हो,
और मैं तुम्हारे काले बालों को
पीछे सरका कर,
हौले से तुम्हारे कानों में कहता हूँ,
यही बारम्बार,
कि
आई लव यू,
आई लव यू.......
61 टिप्पणियाँ:
wah wah bahut hi masum ,pyaari si rachna gad dali is baar.////bahut sunder.vaise I love u kehne ka koi vaqt nahi hota kabhi bhi, kahin bhi,kaise bhi kaha ja sakta hai bas neeyat honi chahiye kehne ki hee hee hee
vaah beta bahut achhe prem abhivyakti hai bahut bahut badhaaI aur shubhakaamanaayen
प्यारी सी ,छुई मुई सी कानों में रुनझुन सी बजती कविता
प्यार.......एक खामोशी है,सुनती है,कहा करती है.....नूर की बूंद है,सदियों से बहा करती है............जाने कहाँ उड़ा कर ले जाती है.....बस कुछ ऐसी ही है यह कविता
इ तो बहुत रोमांटिक हो गये आज आप !
अच्छा है ! पहले धीरे-धीरे कान में बोलिए , बाद में प्रैक्टिस हो जाने पर चिल्ला कर भी बोल सकते हैं ।
युवा धड़कनों की शानदार कविता के लिए,
शानदार मुबारकवाद!
बहुत जबरद्स्त ..भावनात्मक अभिव्यक्ति!!
research karte karte mahfooz bhaiya achanak se ghanghor romantic ho gaye!!!
kya baat hai..
i love............................
your poems...
तुम रूठ जाती हो,मेरी किसी बात पर मैं मनाता हूँ ...,ye sahi time hai i love u bolne ka ...meri ray se isi waqt bola kijiye .... bahut hi sunder.......
waise i love you kahne ke liye bhi timing karni hoti hai kya??
i love you bhi timing ki research karke kahiyega kya!!!
kabhi bhi kah dijiye...
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
महफूज जी.
बहुत बढ़िया बहवापूर्ण रचना .धन्यवाद.
महफूज जी.
बहुत बढ़िया, भावनात्मक रचना, बधाई।
शुष्क मन में बहार लाने वाली रचना है यह।
nice one....:)
मेरी मानो तो कहो ही नही
दिल की गहराई से खुद ही महसूस करने दो -
खामोशी की झंकार
अनकहा प्यार
कह दो जब हो
आँखो से आँखे चार
=======
सुन्दर रचना
आई लव यु हमेशा के लिए
जब भी दिल करें कह दीजिए..बस ध्यान रखिए कहीं देर ना हो जाए..बढ़िया भाव..बधाई
जब भी कहेंगे, कायनात की सारी आवाजें कान लगा के सुनने लगेंगी...
अभी अभी मैने तुम्हारी यह नर्म नाज़ुक सी कविता देखी और ..और क्या कहूँ इसमे कुछ कहना थोड़े ही है बस महसूसना है । किसी शायर का एक शेर याद आ गया " ये इश्क नही आसाँ हमने तो ये जाना है / काजल की लकीरो को आँखों से चुराना है ।" तो जाओ चुराओ काजल आल द बेस्ट ।
वाह बढिया लिखा है .. बधाई !!
किसके ख्यालों में खोये हैं जनाब :)
बहुत खूबसूरत...
I love your expression.
यौवन के अहसासों को दर्शाती सुन्दर सी कविता.....
आपका ये रोमांटिक अन्दाज भी बढिया रहा......
अजी दिपावली की मस्ती चढ गई लगती है, जो आप ने इअतनी सुंदर कविता लिख मारी.
धन्यवाद
महफूज़ भाई,
शायरी वगैरहा तो अपने बस का रोग नहीं...हां तुम्हारी इस कविता ने अमर अकबर अंथनी फिल्म का ये गाना ज़रूर याद दिला दिया है...
कभी बोलूं मैं, कभी बोले तू
आई लव यू,आई लव यू
दिल में छुपाए रखा, शोला दबाए रखा
देख के तुम को दिल डोला है,
गॉड प्रामिस सच बोला है
हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करे
बोलो तो जी ये बोलो, या मर जाए...
जय हिंद...
बारंबारता................
तोते की माफिक...........
ठीक है.................
शायद मौसम का असर.............
जो भी है अच्छा है.................
कविता पसंद आई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
चलो आपकी कविता पढ़कर याद आ गया कि कभी हमने भी ऐसा ही कहा था और आज तक भुगत रहे हैं। :-)
प्यारी सी कविता.
Mausam main kuch parivarta to hai....
...kavita main mausam ka asar hai?
ya mausam main kavita ka?
mausam gulabi...
...aur hole se kaano main ILU ILU !!
:)
महफूज़ जी ......... मेरा बस चले तो सोते जागते, खाते पीते बस आई लव यू ही कहता रहूँ .........
वाह कमाल का लिखा है ..........
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
महफ़ूज़ भाई, इतने गम्भीर लेखन के पीछे इतना कोमल रूप छिपा रखा है? अच्छा है, समय से कह दिया, वरना देर होने में, देर नही लगती. बहुत ही सुन्दर रचना.
good good good, romantic ho gaye bhai ji..........
Damn romantic....! behatareennnn
"हौले से तुम्हारे कानों में कहता हूँ कि आई लव यू..."
इस बारे में मेरी तो सोच भाई साहब आपसे थोडा हट के है, प्यार करते है तो चुपके से क्यों कहे आई लव यू ? अपुन तो भाई धरमेंदर भाई के पुजारी है , सीधे टैंकी पर चदकर कहने में विस्वाश रखते है कि "गाँव वालो तुम्हारी...." खैर कविता सुन्दर है !
बहुत ही भावपूर्ण रचना। बधाई।
( Treasurer-S. T. )
सुन्दर भावपूर्ण रचना है शुक्रिया
mahfooz ali saheb,
badi thandi si hawa ka jhaunka aaya.....bahut pyari nazm....badhai
" very soft and loving expressions"
regards
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही सुंदर कविता लिखा है आपने! प्यार भरा रोमांटिक कविता जो दिल को छू गई! बेहद ख़ूबसूरत और भावनात्मक रचना जिसके लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
dil ko chhu gaye aapke shabd bahut badiya wakai ye teen akshar kah paana bada mushkil hota hain
महफूज़ भाई, आपकी कविता तो सुबह ही पढ़ ली थी, लेकिन टिप्पीयाने के लिए इंतज़ार करना पड़ा. सच मानिए, हर बार पढ़कर दिल एक साल और जवान हो गया. वाह, क्या बात है.
भैया आपकी यह रचना दिल में हलचल मचा गयी । बहुत मजा आया पढ़कर ।
bahut sundar.....
Itanee sunder kawita uske kano me kahenge to jawab bhee hoga, " I love you too "
Sunder rachna.
बारम्बार कहते भी हो और फिर पूछते भी हो कि किस वक्त कहूँ मैं ...आई लव यू ? यह कल्पना कुछ ज्यादा ही हो गई कि वास्तविकता ही भूल बैठे ।
Rachna kanon me pazeb khanka gayee hame bata den, jab kiseke kanon me kahneka mauqa mile....
achchhaa likhaa hai
या उस वक़्त जब मैं परेशां
होकर तुम्हे देखता हूँ,
और तुम मेरे हाथों में अपना हाथ देकर,
मेरी सारी परेशानी समेट लेती हो
bahut badhiyaa likha hai .....
कविता बहुत ही सुन्दर नर्म और नाजुक सी है ...
कल का कमेन्ट डिलीट करना पड़ा ...कल मूड कुछ ठीक नहीं था और जब दिमाग ठीक नहीं होता है तो मैं कुछ न कुछ डिलीट कर देती हूँ ...इस बार कमेन्ट कर दिए कई और ब्लोग्स पर भी ...
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा...मैं तो डूब गया आपकी रचना में.....मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है.
सुन्दर....
अब लगता है कुछ ऐसा गुण मुझे भी आपसे सीखना होगा......
हा....हा....हा..
yahi to teen shbdon ka kamaal hai...!
komal ahsas liye hai kavita..
कविता मुझे तो पसंद आयी और सबसे बड़ी बात कि इसमें प्रवाहित हिंदी मिली जो मुझे आपसे पहले सिर्फ एक मुस्लिम रचनाकार की लेखनी में मिली थी ,मैं लखनऊ के शायरों को देखती हूँ कि उन्होंने तो कविसम्मेलनों को भी बाँट दिया है ,वे कहते हैं कि ये हिन्दी वालों की निशस्त है ,ये उर्दू वालों की निशस्त है ,ऐसे माहौल में आप जैसा सरल भाषायी पैरोकार मिलना मुझे काफी सुखद लगा
वैसे व्यापार किस चीज का करते हैं आप ?
nice poem.....gambhir subject par to accha likhte hi hai aap....prem par bhi bahut accha likha hai...kaun hai vo khushnasib jiske bare mai likha hai....
ilove you/ilove you/i love you/
realy i love you /wnats to talk with you
love you / my love/ i love you/ love you
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