शनिवार, 5 सितंबर 2009

मेरी रचनाएँ में लिखा लेख "बाबू" का प्रकाशन हिन्दी दैनिक अमर उजाला के सम्पादकीय पृष्ट में...



सर्वप्रथम मैं हिन्दी दैनिक अमर उजाला का आभारी हूँ की मेरे ब्लॉग लेख "आईये आज मैं आप लोगों को बताता हूँ की बाबू शब्द की उत्पत्ति कैसे हुयी?" को आज (दिनांक ०५/०९/'०९)अपने अखिल भारतीय सम्पादकीय पृष्ठ में प्रमुखता से प्रकाशित किया .........

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मेरी इस सफलता का श्रेय सर्वप्रथम मैं आदरणीय मम्मी श्रीमती.रश्मि प्रभा जी को देता हूँ..... जिन्होंने मुझे हमेशा अच्छा लिखने की प्रेरणा दी..... उनके दुआओं का ही यह फल है......



मैं श्री समीर लाल जी (उड़न तश्तरी)...... श्री ॐ आर्य जी ...... श्री शरद कोकास जी...... श्री एम् एल वर्माजी .......... श्री शास्त्री जी मयंक जी........ श्री सलीम खान जी...... सीमा गुप्ता जी...... महक जी ....राजजी .... वंदनाजी ....काव्य मञ्जूषा जी .......उर्मिजी .......... रजिया जी..... पल्लवी त्रिवेदी जी...... रंजना भाटिया जी..... विक्रम जी........ दिगंबर नस्वा जी..... आशीष खंडेलवाल जी..... अनिल कान्त जी....... साधना जी.......संध्या जी...... अल्पना जी...... और हरकीरत जी का आभारी हूँ....... आप सब ने मुझे अच्छा मार्गदर्शन दिया...... और मेरे लिखे को सराहा ........ और हमेशा अच्छा लिखने को प्रेरित किया.......



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30 टिप्पणियाँ:

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

congrts....on ur success may u hv much more in future.success suits u well...

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…

bahut bahut badhai.. Happy Blogging :)

M VERMA ने कहा…

बहुत बहुत बधाई आपको आपकी सफलता के लिये. आपका लेखन इतना सुन्दर था कि उसे यह मुकाम मिलना ही था.
पुन: बधाई

Saleem Khan ने कहा…

महफूज़ भाई, आपने काफी अच्छी जानकारी दी थी. अख़बार में छपने के लिए बधाई स्वीकार करें...

ओम आर्य ने कहा…

बहुत बहुत बधाई आपको ......आपके लेखन की सफलता के लिये ........आप और आगे तक जायेंगे यह आपकी रचनाये कहती है ..........

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

ये तो आपको अपनी प्रतिभा का पुरूस्कार मिला है!!
बधाई!!!

शरद कोकास ने कहा…

लेकिन यह अल्पविराम है , और लेखक के जीवन में कभी पूर्णविराम होता नही मेरी हार्दिक बधाई -शरद कोकास

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Mahfooz Sahab,
are waah ye to kamal ho gaya !!!!
aapko bahut bahut badhai aapki is zabardast safalta ke liye.
ye to hona hi tha, apki lekhni ka ye kamal hai. aage bhi aisi khushkhabriyaan aati hi rahengi lagataar.

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Mahfooz Sahab,
are waah ye to kamal ho gaya !!!!
aapko bahut bahut badhai aapki is zabardast safalta ke liye.
ye to hona hi tha, apki lekhni ka ye kamal hai. aage bhi aisi khushkhabriyaan aati hi rahengi lagataar.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जुग-जुग जियो.......इस सम्मान ने मुझे निःशब्द कर दिया है......तुम्हारी प्रगति मेरी उपलब्धि......

Urmi ने कहा…

आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! मुझे पूरी उम्मीद है कि आगे भी आप यूँ ही ख़ूबसूरत रचनाएँ लिखते रहेंगे!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

महफूज अली जी।
आपने इतना सुन्दर लिखा है तो इसकी गूँज तो सुनाई देनी ही थी।
बहुत बधाई!

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई हो आपको इस सफलता के लिए। आप नित्य ही ऐसे आयाम छुते रहें ऊपर वाले से यही दूआ करता हूँ।

Mishra Pankaj ने कहा…

bahut bahut badhai

अनिल कान्त ने कहा…

Congratulation Bhai Jaan...laakh laakh badhai....aap ka likha hua tha hi itna achchha....

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

रश्मि प्रभा... said...

जुग-जुग जियो.......इस सम्मान ने मुझे निःशब्द कर दिया है......तुम्हारी प्रगति मेरी उपलब्धि......
sachi dua bahut kismat or mushkil se milti hai..apko mili ....

vikram7 ने कहा…

बधाई, आपका लेख था ही काबिले तारीफ

kshama ने कहा…

दिली बधाई कुबूल करें !

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

ठीक है....ठीक है.....महफूज़ बाबू......अमां मस्त रहो बाबू....अमां क्यों होते हो बेकाबू......और क्यों मियाँ.....खुद को शानदार घर की चारदीवारी के भीतर रखकर....भूतों को पीपल का रास्ता दिखाते हो.....शर्म नहीं आती भूतों से तुम्हें.....??अरे मैंनें तो इन दिनों तुम्हारे ही घर के तुम्हारे ही रूम के रोशनदान में डेरा जमाया हुआ है.....चमगादड़ तो वहां मेरे बाद आये....और तुमने मुझसे ज्यादा चूं-चपड की तो तुम्हारे बिस्तर पे भी डेरा जमा लेंगे.....खैर मनाओ कि हम शरीफ भूत हैं.....जो तुम्हारे सर के ऊपर रहकर भी तुम्हें परेशान नहीं करते...कोई और "........."होता ना...तो अब तक तुमपर चढ़ ही बैठता....हा...हा...हा...हा...हा....हा...हा...!!

दर्पण साह ने कहा…

Badhai.... mahfooz bhai.

aapki english poems ka bhi kayal hoon...

Gyan Darpan ने कहा…

अख़बार में छपने के लिए बधाई स्वीकार करें :)

रज़िया "राज़" ने कहा…

बहोत बहोत बहोत बधाई आपको महफ़ूज अली! आपके बारे में पढकर बडा मज़ा आया। और फिर आपमें एक बात तो ज़रूर है कि आप अपने पर किसी का अहेसान छोडते नहिं हैं। फ़ौरन चूका ही देते हैं। वाह!
ख़ुदा आपको हर हंमेश उचाईयों पर ले जाये। आप हंमेशां ख़ुश रहें। आबाद रहें। यही मेरी दिल से दुआ है।
आपकी दिली हर तमन्ना पूरी हो उसके लिये हम दुआ करते हैं।

आपकी रचनाओं से हम भी कुछ सीख लेते हैं। या कहें कि आपसे हमें एक ईंस्पीरेशन मिलता है। है ना?

रज़िया "राज़" ने कहा…

बहोत बहोत बहोत बधाई आपको महफ़ूज अली! आपके बारे में पढकर बडा मज़ा आया। और फिर आपमें एक बात तो ज़रूर है कि आप अपने पर किसी का अहेसान छोडते नहिं हैं। फ़ौरन चूका ही देते हैं। वाह!
ख़ुदा आपको हर हंमेश उचाईयों पर ले जाये। आप हंमेशां ख़ुश रहें। आबाद रहें। यही मेरी दिल से दुआ है।
आपकी दिली हर तमन्ना पूरी हो उसके लिये हम दुआ करते हैं।

आपकी रचनाओं से हम भी कुछ सीख लेते हैं। या कहें कि आपसे हमें एक ईंस्पीरेशन मिलता है। है ना?

Chandan Kumar Jha ने कहा…

हमारी तरफ से भी बधाई स्वीकारें ।

बेनामी ने कहा…

बहुत बहुत बधाई !!

rukhsar ने कहा…

congrats.

बेनामी ने कहा…

बधाई हो भैया! बहुत बड़ा तीर मार लिया है तुमने!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

BADHAAI ......... AAPKO BAHOOT BAHOOT BASDHAI IS SAFALTA PAR ...... ISHVAR AAPKO UNNATI KE RAASTE PAR AUR AAGE LE JAAYE.....

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बहुत बधाई. अनन्त शुभकामनाऐं आपके साथ, सर्वदा!!

seema gupta ने कहा…

ये भी अपने आप में एक अनोखी और नई जानकारी रही हमारे लिए, आपका लेख अखबार में छपा हार्दिक बधाई और शुभकामनाये...

regards

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