गुरुवार, 10 सितंबर 2009

काश! कोई तो समझ पाता मेरे दिल के हालात् !


काश! कोई समझ पाता मेरे दिल के हालात् !

कैसे कहूँ? हैं लफ्ज़ नहीं ...................

कहने को.................. ॥


एक दिन था कि हसीँ लगती थी दुनिया सारी

यह चिलचिलाती धूप भी,

हमें लगती थी प्यारी॥


आज तुम नहीं तो कुछ नहीं,

सारी दुनिया ही बेकार है

यह ज़िन्दगी रही ज़िन्दगी नहीं,

अब तो यह ज़िन्दगी बेज़ार है॥


तुम्हारे न होने से ,
काटने को दौडे यह चांदनी,
रो पड़ता हूं कभी कभी ,
जब आती हैं यादें पुरानी
दिल तो रो रहा है,
पर आँसू बहते ही नहीं ,
शायद वे भी समझ न सके ,
मेरे दिल के हालात् ॥


बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥ ॥ ॥




महफूज़ अली

40 टिप्पणियाँ:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत हीं सुन्दर भावपूर्ण रचना ।

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खुब। सुन्दर रचना। यही होता है भाई इस कमबख्त मोहब्बत........

अनिल कान्त ने कहा…

रचना तो है ही लाजवाब और साथ ही साथ फोटो भी मस्त है....वैसे कहीं जनाब इश्क में तो नहीं

Randhir Singh Suman ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना.nice

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

जनाब महफूज़,
हम बहुते कनफुसिया जाते हैं ..
कभी आप खुस हो जाते हैं कभी आप गडबडा जाते हैं.
किलियर कीजिये मामला का है ??
इ कविता तो वोही है 'ढाक के तीन पात'
इसके पहेले वाला बहुते नीमन था,
इ भी ठीक है लेकिन एकरा में उ जज़्बात नहीं है...
लगता है दिल से नहीं बोला रहे हैं आप 'उनको'

M VERMA ने कहा…

कोई पैगाम हो तो भेजना,
जी हाँ ! पैगाम आया है. खामोश रहकर तो सुनिये.
बहुत खूब --- दिल के हालात को बयाँ करने का अन्दाज़

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

किसी के जाने से दुनिया ख़त्म नहीं होती..होंसला रखिये...

अपूर्व ने कहा…

दिल के जज़्बातों को खूबसूरत अश‘आर देती खूबसूरत रचना..बधाई
साथ का चित्र भी बहुत profound लगा..

kshama ने कहा…

जब हम ख़ुद अपने आपको समझ नही पते ..दूसरे क्या समझेंगे ? लेकिन ऐसा हमेशा तो नही होता ...कोई कभी कभी मिल जाता है ,जो चाहे चंद रोज़ सही , हालात समझ पता है ..

और बधाई तो देनी है...what fantastic achievements..!

Dr.Aditya Kumar ने कहा…

महफूज जी ,
प्यार ,इश्क की दुनिया में ,मत होना कन्फ्यूज ,
दिल भी रहे सलामत ,रखो उसे महफूज .

शोभना चौरे ने कहा…

achi rachna

रश्मि प्रभा... ने कहा…

mitti ke chulhe kee yaad hai?
khane ka manuhaar karti maa yaad hai?
khilkhilata aangan yaad hai?
kyun rukegi kalam?..... ye sab aaj bhi tumhare ird-gird hain !
aur isse kimti kuch bhi to nahi

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत रचना! दिल की गहराई से और सुंदर भाव से लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना प्रशंग्सनीय है!

संजय तिवारी ने कहा…

लेखनी प्रभावित करती है.

ओम आर्य ने कहा…

इश्क शै हीं ऐसा है, जब होता है, मौसम हीं बदल जाता है हर तरफ. और जब नहीं रह जाता, तब भी.

seema gupta ने कहा…

मासूम ख्यालात का दर्पण मचल रहा जैसे ....सुन्दर...

regards

रज़िया "राज़" ने कहा…

बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥ ॥ ॥

वाक़ई ! आपकी लेखनी प्रभावित करती है हम सब को।

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…

halat bahut khoobsoorti se bayan kiye aapne.. Happy Blogging

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"तुम्हारे न होने से काटने को दौडे यह चांदनी .............!"

बहुत सुन्दर ! बस यही कहूंगा कि
चुपके चुपके रोने वाले
रखना छुपा के दिल के छाले रे....
ये पत्थर का देश है पगले............................!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

are bhai aapne sab kuch kah diya kalam band kijiya ya mat kijiye..

ab tak to aapke dil baat sun li gayi hogi...

bahut khubsurat rachana..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

"बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥ ॥ ॥"

विरह वेदना का सुन्दर चित्रण है।
बधाई!

हिन्दीवाणी ने कहा…

शानदार। लेकिन मेरे भाई और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा...आसपास काफी कुछ घट रहा है। कुछ उन पर भी हो जाए। शायरी तो मौजूदा वक्त और हालात का आइना भी तो होती है...फिर उन बातों से हम मुंह क्यों मोड़ लेते हैं।
मेरे ब्लॉग पर आएं तो आगे बढ़ेगी।

Akbar Khan Rana ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Akbar Khan Rana ने कहा…

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी,
यूं ही कोई बेवफ़ा नही होता.

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बढ़िया लगी आपकी यह रचना

shikha varshney ने कहा…

Khubsurat ehsaas.

Himanshu Pandey ने कहा…

बेहद खूबसूरत रचना । आभार ।

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

तुम्हारे न होने से ,
काटने को दौडे यह चांदनी,..wo bhi kya din the.tumhe pyaar kiya karte the..raat bhar chaand ke humraah fira karte the.....आज तुम नहीं तो कुछ नहीं,

सारी दुनिया ही बेकार है

यह ज़िन्दगी रही ज़िन्दगी नहीं,

अब तो यह ज़िन्दगी बेज़ार है॥ zindgee kuchh bhi nahi fir bhi jiye jaate hai tujhpe ae waqat hum ahsaan kiye jaate hai...

rukhsar ने कहा…

nay! an average poem of uz, not so well but readable.

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

महफूज जी,

उस शाम की हुई चैट का खुमार अभी बाकी है...

बहुत अच्छे तरीके से हाल-ए-दिल बयाँ करती रचना सहज लगी।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अरे वाह क्या लिखा है बहुत ही अच्छा।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SACH HAI MAHFOOZ JI ...... UNKE BINA JEENA BHI KOI JEENA HAI .... KISI KE PYAAR AUR JUDAAI MEIN DOOBI RACHNA LAJAWAB HAI ...

vikram7 ने कहा…

वाह बेहद पसन्द आई आपकी यह रचना

Udan Tashtari ने कहा…

बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥


-क्या बात है..बड़ी गहरी बात कह गये आप!!

Unknown ने कहा…

mahfooz ji uapr wale se duya karti hu ki jisake liye ye paigam hai wo aapki dil A halt samjhe ......

Harshvardhan ने कहा…

bahut sundar rachna hai.....

Maansi ने कहा…

बंद करता है 'महफूज़ '
अपनी कलम अब यहीँ,
कोई पैगाम हो तो भेजना,
ग़र समझ सको तो समझ लेना,
मेरे दिल के हालात् ॥ ॥ ॥

very nice.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

aap sab logon ka bahut aabhaari hoon......

meri kavita ko itna saraha aur pyar diya.....

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