मेरा सिर्फ एक सवाल है....... आप सब लोगों से........... प्लीज़.................. इस पोस्ट को पढने के बाद जवाब ज़रूर दीजियेगा ............ सवाल यह कि सिर्फ यह बता दें कि
" हम इतिहास (HISTORY) क्यूँ पढ़ते हैं?"
(सही और शानदार जवाब पे मेरी ओर से एक शानदार PEN SET....... GIFT.... )
(सही और शानदार जवाब पे मेरी ओर से एक शानदार PEN SET....... GIFT.... )
52 टिप्पणियाँ:
इस बारे में मेरा ज्ञान तो बहुत अल्प है परंतु अब अगर मुझे इस बारे में कुछ कहने को कहा जाए तो मैं यही कहूँगा की इतिहास हम अपने भूतकाल के बारे में जानने के पढ़ते है ताकि हम अपने अतीत से कुछ सीख सकें और भविष्य में उससे कुछ सहायता प्राप्त लार सकें और यह भी जान सकें की हम और हमारा रहन सहन भूतकाल में कैसा था.
जवाब सही ना हो तो क्षमा करें...
वैसे आपने प्रश्न बढ़िया पूछा है. ऐसे सुंदर प्रसंग उठाने के लिए.. धन्यवाद!!!
ham jaise log to itihaas isliye padhte hain ki 10th pass kar lein aur itihaas jaise subjects se peecha chuda lein....
baaki jo 10th ke baad bhi padhte hain unka pata nahi.. pata chalte hi bata diya jaayega...
पूर्वजों की आत्मा को श्रद्धाञ्जलि देने के लिए
हम इतिहास पढ़ते है!
हम इतिहास क्यूँ पढ़ते ?
वैसे इतिहास बड़ा ही व्यापक विषय हैं...इसमें हम सभ्यता, संस्कृति, भाषा, युद्घ, अविष्कार सभी कुछ पढ़ते हैं..इसका उत्तर आसन नहीं है फिर भी मैं कोशिश करती हूँ...
हम इतिहास पढ़ते हैं अपने अतीत को जानने के लिए...अतीत से हम अपनी उपलब्धियों को पहचानते हैं, और हम यह भी जान पाते हैं की हमने क्या क्या गलतियाँ की हैं...
इतिहास हमें अपने अतीत से जोड़ता है और माप दंड देता है कि हमने उपलब्धियों और गलतियों से कितनी दूरी तय की है और कैसे की हैं...इतिहास हमें अपने अतीत से भागने नहीं देता है, हमें हर दिन उससे जोड़े रखता है ..
वैसे मुझे याद भी नहीं की इतिहास मैंने कब पढ़ा था लेकिन पढना अच्छा लगा था ...बस तारीख याद करना मुश्किल था....
History में उसकी कहानी होती है जो कभी किसी का नहीं था; वैसे भी अगर अंग्रेजी के हिज्जे पर ध्यान देंगे तो भी यही पाएंगे कि उसमें किसी की कहानी है जो प्रमाणित की जाती है उसके जाने के बाद इतिहासकारों द्वारा जिन्होंने उसे कभी देखा नहीं था; बस सुना है और पढ़ा है । और सुनना और पढ़ना भी उसी अनुपात में सच है, जिस अनुपात में लिखने वालों और सुनाने वालों ने सच बोला है ।
हम पढ़ते ही क्यों हैं? जानने के लिये
इतिहास का अध्यन हम न सिर्फ वर्तमान को ठीक करने मे वरन आतीत मे हुई गल्तियो को सुधारने मे किया जाता है।
भाई हम तो इसलिये इतिहास पढ़ते हैं कि सप्लीमेंटरी न देना पड़े और हमारा अकैडमिक इतिहास हमारे प्रोफ़ेशनल भविष्य के रास्ते मे न खड़ा हो जाय.. ;-)
हम इतिहास पढ़ते है ताकि हम अपने अतीत को याद रखते हुए एक सुःखद भविष्य की कल्पना कर सके । इतिहास हमें अपनी गलतियों से अवगत कराता है और सही मार्ग भी दिखलाता है, हाँ यह अलग बात है कि इस मार्ग का चुनाव पूरी तरह हम पर निर्भर करता है । यह मेरे विचार है । विस्तृत उत्तर की प्रतिक्षा में । आभार ।
भूत की नीव पर वर्तमान और भविष्य होता है.
बिना भूत को जाने हम न तो वर्तमान और फिर न तो भविष्य को स्वरूप दे सकते है. जिस तरह अगर हम अपने मकान पर एक मंजिल और बनवाना चाहेंगे तो उसकी नीव को जाने बिना नही आगे बढ सकते है.
ईनाम लेने लखनऊ आ जाऊ क्या?
महफूज जी
मै अपूर्व जी के बातो से मै सहमत हूँ ,मुझे भी ऐसा ही लगता है!
ताकि अतीत को जान कर उसकी अच्छी बातों के ग्रहन करें और गलतिओं से सबक ले कर वर्तमान की नींव रख कर भविश्य की इमारत खडी करें । शुभकामनायें
सबसे पहले तो एक सार्थक और अच्छी चर्चा शुरू करने के लिए धन्यवाद!
इतिहास, भूगोल और राजनीति - ये तीन ऐसे विषय हैं जिनमें मेरी रुचि शुरू से ही बहुत ही कम अर्थात् नहीं के बराबर रही है और आज मुझे इसके लिए पछतावा होता है। फिर भी जैसा मुझे उचित लगता है जवाब देने की कोशिश करता हूँ।
मेरे विचार से इतिहास पढ़ने के पीछे एक नहीं अनेकों कारण हैं जिनमें से, मेरी सूझ के अनुसार कुछ कारण हैं:
1. इतिहास क्या किसी भी विषय का अध्ययन हम विशुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए करते हैं।
2. इतिहास पढ़कर हमें अपने पूर्वजों के अच्छे कर्मों जैसे कि शौर्य, राष्ट्रप्रेम आदि के साथ ही साथ खराब कर्मों जैसे कि क्रूरता, निरीहों का दमन आदि के विषय में जानकारी और सीख मिलती है।
3. कहा जाता है कि 'इतिहास स्वयं को दुहराता है'। इतिहास पढ़ने से हमें इस बात का कुछ कुछ भान हो जाता है कि कौन सी बातें दुहराई जा सकती हैं, और हम स्वयं को उसके लिए मानसिक रूप से तैयार रखते हैं।
ह्म्म्म बेहद सम्वेदनशील प्रश्न...लकिन हमे आपके जवाब का इंतजार है, आप ने ये प्रश्न ऐसे ही नहीं पुछा होगा....इसमें जरुर कोई न कोई तर्क होगा.....
regards
इतिहास पढ़ना चाहिए क्योंकि जो मैं अपने समय के साथ कर रहाहु की मानसिक
मॉडल कैसे चीजें हैं और कैसे चीजें थीं निर्माण की तरह का एक हिस्सा. मैं
पिछले कल्पना की तरह है, मेरे मन में सदियों से चलते हैं. और मै इतिहास पढ़ता हु , मैं और मेरी समझ में रिक्त स्थान को भरने और मेरे ब्रह्मांड
में हम जी के मानसिक छवि में. मैं यह संतोषजनक लगता है.
इतिहास पढ़ना चाहिए क्योंकि मैं कथाएँ, विशेष रूप से कहानियों की तरह
अच्छी तरह से लिखना चाहता हु और इतिहास में ये सारे चीजे मिल जाते है सौन्दर्य विशेष, पराक्रम विशेष शब्द .
इतिहास पढ़ना चाहिए क्योंकि मेरी समझ कैसे मनुष्य और समाज की कोशिश बदल
दिया है और कैसे वे एक ही बना रहा है पसंद है. कैसे समाज की शर्तें और इसी
तरह अलग हैं? इरादे और कुर्सियां कार्रवाई के लिए क्या हैं? शायद यह है
"से सबक सीखने सचमुच अलग नहीं" लेकिन मैं जरूरी अपने ही समाज के लिए
प्रासंगिक निष्कर्ष आकर्षित नहीं देख रहा हूँ - अगर मैं ऐसा करने में, यह
ठीक है, लेकिन यह मेरे प्राथमिक उद्देश्य नहीं है - मैं अपने ही संतोषजनक
रहा हूँ उत्सुकता और सीखने की मेरा प्यार खुशी की.
अंत में, पिछले है और सभी के कारण शर्मिंदगी के साथ, मैं इतिहास
पढ़ा क्योंकि, हाँ, मैं तथ्यों और तिथियाँ और सूचना का ठोस टुकड़े की तरह
करने के लिए संबंधित. अगर हम इतिहास नहीं पढ़ते तो पता कैसे चलता कि जिससे मै आपको टिपिया रहा हु वो पी सी ही है .
महफूज अली साहब क्या मेरा कथन सही है ?
इतिहास क्यों पढ़ते हैं - क्योंकि कोर्स की किताबें मजबूर करती हैं और परीक्षा में कुछ नम्बर पाने के लिये यह जरूरी है…
आपका सवाल यह होना चाहिये कि इतिहास क्यों पढ़ना चाहिये? जवाब है "सबक लेने के लिये…"।
मेरा जवाब सबसे सही और आकर्षक है, इसलिये मेरे इनाम वाला पेन सेट पास की किसी झुग्गी बस्ती के बच्चे को दे दीजिये… :) आपका शु्क्रगुज़ार रहूंगा…
सिर्फ़ इतिहास ही नही हम जो भी पढते है वो सीखने और गल्तियां न करने के लिये पढते हैं।वैसे इतिहास का ज्ञान राष्ट्रप्रेम को बढाता ही है लेकिन अफ़्सोस इस देश मे विज्ञान और गणित विषयों के सामने इतिहास की चमक फ़ीकी पड्ती चली गई।अच्छा सवाल है।
महफूज़ भाई, यह बेहद सटीक सवाल है और संवेदनशील भी.
इस सवाल से पहले एक सवाल और आता है वह है, लोग इतिहास क्यूँ लिखते हैं? और जो लोग इतिहास लिखते हैं क्या वह वाकई इतिहास के साथ न्याय करते होंगे? मुझे तो लगता है कि लोग वही लिखते हैं जो उनके नज़रिए में अच्छा लगता है, ज़ाहिर सी बात है उन्ही नज़रियात वाले दीगर लोग उसे पढ़ते भी हैं. यह इतिहास के साथ नाइंसाफी की सी बातें हैं... हम जब एक का इतिहास पढ़ते हैं तो दुसरे का इतिहास पढ़ते ही सर चकराने लगता है लेकिन सच्चाई क्या है यह सभी इतिहास को विस्तृत रूप से गहन अध्ययन करके ही जान सकते हैं...
अगर हम अंग्रेज़ों के नज़रिए से इतिहास पढेंगे तो पाएंगे कि शहीदे आज़म भगत सिंह को वे आतंकवादी या टेरेरिस्ट कहते थे लेकिन अगर हम हिन्दोस्तानी इतिहास को पढेंगे तो पाएंगे कि हम उन्हें देश भक्त कहते हैं...
तो सच क्या है?????????? इतिहास क्या है?????? और कौन सा इतिहास हम पढें???????
रहा सवाल हम इतिहास क्यूँ पढ़ते हैं तो अपने नज़रिए को हवा पानी देने के लिए या प्रचारित करने के लिए या दुसरे के नज़रिए की बखिया उधेड़ने के लिए!!!
अगर आपको मेरा जवाब अच्छा लगा हो तो पेन की कीमत से बराबर का भोजन किसी यतीम (अनाथ) को खिला दीजियेगा...
bhai men itihas kiyon padhta hoon pen set ke lalach men bata doonga bhot nuqsan men rahoonga...halanke jo yahan aa rahe hen woh itihas ko sayad hi padhte hon...mujhe to net jagat men kitaabi keeda kaha jata he.... theek kehte hen...sone ke liye bistar par kuch kitabon ko sarka kar jagah banani padti he.achha sawal par men jawab na de sakoonga..jahan ta men samjhta hoon aap jante hen men kiyoon padhta hoonga itihas.
इस बारे में ज्यादा तो नहीं सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि इतिहास पढ़कर,
जो गुजर गया उससे सीखना क्या अच्छा था,
जो खामियां या गलतियां हो गईं उन्हें फिर से दुहराया ना जाये ।
मैं तो कभी न पढ़ता.. लेकिन मार्क्स जुड़ते थे टेंथ बोर्ड में.. इसलिए पढ़ना पड़ा :)
हैपी ब्लॉगिंग
हम क्या थे ...क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी ..वाले अंदाज में इतिहास पढना अच्छा लगता है ...वैसे मुझे इतिहास पढ़ना सुनना और देखना इस लिए अच्छा लगता है क्यों की मेरी जितनी रूचि आगे आने वाले भविष्य को जानने में है उतनी ही रूचि पिछले गुजरे वक़्त को देखने ,समझने और उस से कुछ सीखने में भी है ..:)
लो महफ़ूज़ भाई...ये कौन सा मुश्किल सवाल है...मेरे ख्याल से तो ...अरे पहले ये तो बताईये पैन कौन से वाले हैं..उत्तर फ़िर उत्ती ही मेहनत से दें न..चलिये वो तो जब हमें देंगे तभी पता चल जायेगा..
इतिहास इसलिये पढते हैं...
क्योंकि आठ पीरियडों मे से एक उसका भी होता है.और मा साब लोग छुट्टी नहीं करते ..
इसलिये पढते हैं...क्योंकि हमें यकीन है कि ..इतिहास की किसी न किसी किताब में..हमारे दादा..उनके दादा या उनसे ऊपर वाले दादा जी का जिक्र हो सकता है..कमाल है यार..इतिहास हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता..
हम इसलिये भी इतिहास पढते हैं क्योंकि इसके दो फ़ायदे हैं..एक तो सिविल सर्विसेज़ के लिये आपको एक बढिया सब्जेक्ट मिल जाता है..ऊपर से सामान्य अध्य्य्न वाले बहुत सारे प्रश्न भी इसी इतिहास से आते हैं....
हम इतिहास इसलिये भी पढते हैं..क्योंकि कल को यदि कोई पेन सेट देना चाहे ..तो कैसे देगा...बताईये..जब तक आप जवाब नहीं देंगे....वैसे पेन कौन से हैं महफ़ूज़ भाई...यार इतिहास से ज्यादा तो पेन की टेंशन हो गयी.....
Bahijaan...
Maje ki baat aadha jawab to aapne hi de diya....
1) Swahit, Rashtrhit aur Vishwhit nmain zarrori hai...
"If we don't learn from history, we are bound to repeat it.
गौरवपूर्ण कार्यों को जानने के लिए, वर्तमान के नींव की जानकारी के लिए.......
चलो पेन दो अब
हमने बड़े बुजर्गो को हमेशा कहते सुना था "इतिहास अपने आपको दोहराता है"
उनकी कही बात सच है या नहीं इसको समझने के लिए भाई पढ़ लिया वह सरकारी इतिहास जो उत्तर प्रदेश सरकार ने हमें ज़बरन कक्षा आठ तक की पाठ्य पुस्तकों में अनिवार्य बिषय के रूप में उस वक्त (सन १९७२ तक) उपलब्ध कराया था.
आज तक जबरन पढाया या पढ़ा हुआ इतिहास तो कभी दुहराता हुआ दिखा न, अलबत्ता इंसानी कमजोरियों के "कई राहों" (दोहराओं, तिहराओं,.....से कई बार अधिक) के दर्शन तो दिन में कई-कई बार कर कर ही रहे हैं.......
मैं जनता हूँ कि आपने पेन सेट देने का लालच क्यों दिया है, इसलिए नहीं कि इतिहास अपने आप को दोहराए बल्कि इंसानी कमजोरी लालच अपने आप को फिर-फिर दोहराए और आपके ब्लाग पर आकर उत्तर स्वरुप कुछ तो लिख जाये..............
वैसे भी ये इति हास है अर्थात जब हास्य कि समाप्ति हो जाये, अब स्वस्थ हास्य रहा ही कहाँ?
थोडा लिखा बहुत समझना......और न समझ आये तो इतिहास कि किताब में .....................
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
हमारे अस्तित्व का पहचान करता है
की हम क्या थे ,हम क्या है.
Itihaas ka matlab hai( iti=ant me) ,aisa hua...gar bhootkaal me kaisa hua ye samajhna ho to,yaa pathykram me ho to padhnahee padta hai...lekin waise,sach kahun, to itihaas ham hee banate bigadte hain...usse seekh nahee lete..par ye baat bhee samajh jate hain, ki, seekh nahee lee...sadiyon dohrate rahe!
http://shamasansmaran.blogspot.com
ispe Bhagat singh ki ek yaadgaar hai..
http://kavitasbyshama.blogspot.com
is blog pe 2 october ko madde nazar ek rachna likhee hai..
http://aajtakyahantak-thelightbybyalonelypath.blogspot.com
Kayee sare blogs aakee pratikryake intezaarme hain...!
To understand the present and to make informed decisions about the future.
ek aisa sawal jo Eiensteine ne poochha tha lekin aaj tak iska sahi jawab nhin mila tha. unnat lekh ke liye badhai bhai ji.
mere blog pe correction ke bare me Aap request nahin aadesh den bade bhai, aapke according correction kar diya hai. Mahfooj bhai mujhe bharosa hai age bhi aise hi margdarshan karte rahenge. mujh nausikhiye ke blog pe aake aasheerwad diya, bahut abhari hoon.
Plzz also read last kavita 'Sabit karne ke liye'
sadar
swarnimpal.blogspot.com
nai.qalam blogspot
हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं ताकि हम उससे सबक ले सकें कि बीते हुए समय में क्या गलतियां की गयीं थी और उनके कारण कौन कौन सी समस्याएं पैदा हुईं थी और हम दोबारा वो गलतियां न दोहराएं.
इतिहास हम इसलिए पढ़ते हैं कि हम अपने उन महान लोगों के बारे में जान सकें जिनका विकास और सम्रद्धि में योगदान रहा, कि किस तरह वो समस्यों से विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ते रहे. उनसे हमें सीखने को मिलता है ताकि हम उनसे भी बेहतर कर सकें.
हम वो गलतियां ना कर बैठे जिससे कि हम गुलाम बने, पीछे धकेले गए, इतिहास पढ़ कर कम से कम हमें इतनी सीख तो मिल ही जाए.
इतिहास हम इसलिए पढ़ते हैं ताकि जो बदल सकता है उसे हम बदल सकें उस इतिहास को ख़त्म कर सकें और एक नया इतिहास रचें.
hame school pass hona tha so padh liye,baki hamara itihaas se kabhi jamabaki nahi raha.
इतिहास के अध्ययन द्वारा हम, पुरानी पीढियों की गलतियों से सबक लेते हैं और अपनी आने वाली पीढियों के बेहतर भविष्य के निर्माण की नींव रखते हैं।
Salam Mehfooz ji..
Prashn apka jitna sidha aur saral ha jawab utna hi tedha aur kathin...
per is prashn ko padke dimag me jo vicharo ka samundar umda h uski khatir jawab dene ki himmat kar rahi hu...
haa..to hum ITIHAS kyu padte ha...
dekhiye mehfooz ji mera manna ha ki her ek insan me kamiya nahi kamiyo me insan hota ha...yani koi b insan dher sari burayiyo aur kamiyo se ghira hua ha...
ab swabhavik ha anteratma ko bhi toh santusht karna ha n...ki hum kuch galat nahi kar rahe...bas isi khoj me hum nikal padte ha itihas ko padne janne...taki apne jaise burayiyo k bandalo k kuch udaharan jaan sake...mauke bemauke kaam aa jaye..apni galti per ager parda dalna ho to de diye itihas se nikal ker do tin udaharan aur ho gaye hum pak-saf...
bas isi liye hum her vishey k itihas ko padte ha...kuch sikhne sabak lene k maksad se nahi balki apne galat kamo ko perdo se dhakne k intezam k liye.....
kam se kam mera to yahi manna ha...itihas ko hum isiliye padte ha...
Apke Pen K Set k intezar me ek ubharti patrakar...
मैं भी वर्मा साहब की बात से सहमत हुं
भूत की नीव पर वर्तमान और भविष्य होता है.और
जिस तरह अगर हम अपने मकान पर एक मंजिल और बनवाना चाहेंगे तो उसकी नीव को जाने बिना नही आगे बढ सकते है.
सारा सार ही ईस जवाब में हमें मिल जाता है।
पहले पास होने के लिए पढ़ते थे , अब सबक सीखने के लिए ...शायद
इतिहास को जानने की जरुरत है या नही ,ये मुद्दा हम अखबारी लोगों के बीच अक्सर बहस का विषय होता है। आए दिन किसी न किसी से तो इतिहास पढने और अतीत को जानने-समझने की सलाह मिल ही जाती है। वैसे भी हमारे यहाँ मुफ्तकी नसीहत कुछ आसानी से उपलब्ध हो जाया करती है। लगता है हम मसले से दूर जा रहे हैं, चलिए वापस इतिहास के मुद्दे पर लौट जायें। यूँ देखें तो हम-आप में से हर कोई इतिहासकार है। प्रत्येक को किसी न किसी तरह का समय बोध होता ही है। कोई पढ़ कर जानकारी ग्रहण करता है, कोई वर्षों पुरानी श्रुति-स्मृति की परम्परा के माध्यम से सीखता है। हाँ ,यह बात गौर करने योग्य है कि आम इंसान हो या फिर इतिहासविद, सबों का मत एक जैसा नही होता । इसके पीछे भी तर्क दिया जाता है- हर इंसान का नजरिया अलग-अलग होता है।
अब बात है, इतिहास को किस स्तरपर जानना चाहिए? क्या ख़ुद के बारे में जान लेना काफी होगा? नही, हमें इतिहास को एक बड़े परिप्रेक्ष्य में सोचने का प्रयास करना चाहिए। हालाँकि आजकल लोगो को इतनी फुर्सत कहाँ होती है। शहरमें न जाने कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें अपने दादा-परदादा का नाम तक मालूम नही होता! परन्तु, निराश होने की बात नही है। मानव स्वाभाव ही कुछ ऐसा है किहम जाते तो हैं निरंतर भविष्य कीओर लकिन हमारा अतीत हमें अनवरत आकर्षित करता रहता है। हम अपने दैनिक जीवन में जब भी कोई ऐसी वास्तु पा जाते हैं जिनका भुत से सम्बन्ध हो तो हमारी आँखें चमक उठती है। अतीत को जानकर-समझ कर और उससे सीख लेकर वर्तमान तथा भविष्य दोनों को बेहतर किया जा सकता है। साथ ही इतिहास जानने का एक अन्य कारण है ,सदियों भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं का शासन । किसी ने कहा है -”जिस जाति के पास अपने पूर्व-गौरव की ऐतिहासिक स्मृति होती है वो अपने गौरव की रक्षा का हर सम्भव प्रयत्न करती है।
इतिहास?
बहुत वृहद शब्द पर व्याख्या मांग ली आपने. हमारे हिसाब से तो जब यह टिप्पणी लिख दी और पोस्ट कर दी तो यह भी इतिहास का ही हिस्सा हो गई.
इतिहास समय दर्ज करता है तो हमारे भविष्य का मार्गदर्शक होता है. हमेशा की ही तरह मानना या न मानना सबकी अपनी पसंद है.
इतिहास गवाही देता है कि किस कदम के क्या परिणाम निकले. कोई जरुरी नहीं कि वही दुहराव हो किन्तु एक संभल कर चलने की राह तो दिख ही जाती है.
फिर इतिहास ही तो हमें हमारी/संसार की धरोहरों पर गर्व करने का मौका देता है. उन्हें संरक्षित करने का उत्साह देता है.
" itihas bada hi satik sawal pucha hai aapne ....kum alfaz me kaha jaye to vartman ke saath apana atit aur apana bhavishy juda rahata hai ....magar bina bhutkal ko jane hum kisi ke baare me kuch nahi kahe sakte hai ...aur yahi bhutkal hai jise hum khte hai.... "ITIHAS "..are bina itihas ke hum kuch bhi nahi hai ..agar itihas na hota to sayad hum apane atit ko kaise jan sakte ye bhi to ek sawal hai ? ..gujarey huve kal me ki hui kuch bhul ya koi accha kary ...yahi to sikhata hai ITIHAS . agar ITIHAS hamare saath nahi hota to sayad hum apane atit ko kaise jante ..agar hamare saath ITIHAS hai to hum vo itihas ke kuch panne paltker ye jaan sakte hai ki kya ye sahi hai ....kya aisa huva tha ? ..."
" siddhi si baat aaj agar ITIHASH nahi hota na to hum aaj bhi kisi se puchte rahte ki GHANDHIJI kaise the ...kaise dilayi unhone aazadi ...BINA ITIHASH KE HUM GHANDHIJI KO BHI NAHI PAHECHAN PATE DOSTO "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
हम इतिहास क्यों पड़ते हैं......हम इतिहास इसलिए पड़ते हैं क्योंकि अतीत की जड़ों से ही भविष्य का पेड़ उपजता है ,उसकी गर्त से ही हमें अपने विकास का मार्ग मिलता है. हमारे पूर्वजों के अनुभव ही हमें सही और गलत का भान कराते हैं.जो न पता होता हमें की हड़प्पा की सभ्यता क्या है, कैसे हम आज इतने आधुनिक शहर बसा पाते?जो न पड़ा होता की हमारे पूर्वज कैसे डंडा घुमाकर आसमानी गतिविधियाँ मालूम करते थे तो कैसे हम चाँद पर पहुँच पाने का सपना सजो पाते? कैसे जान पते हम की युद्घ किसी समस्सया का हल नहीं ..शांति पूर्वक हर समस्सया को सुलझाया जा सकता है.हाँ कुछ विषयों पर हर देश के नजरिये का फरक हो सकता है..पर वस्तुत इतिहास सीड़ी है हमारे भविष्य की.
Why study history?
The answer is because we virtually must, to gain access to the laboratory of human experience.
No fiction can be as rich and varied as the study of reality.
OOOOOOO!!!!!!! HISTORY
Why do we study history?
Very simple, we study history because we have to pass 10 th class. Then after, switching over to other subject leaving history behind.
Very simple.
माय डियर " हम इतिहास क्यों पढ़ते हैं " इस विषय पर मैने 53 पेज लम्बी कविता "पुरातत्ववेत्ता " लिखी है उसमे से यह पंक्तियाँ इतिहास तो दरअसल
माँ के पहले दूध की तरह है
जिसकी सही खूराक पैदा करती हमारे भीतर
मुसीबतों से लडने की ताकत
दुख सहन करने की क्षमता देती जो
जीवन की समझ बनाती है वह
हमारे होने का अर्थ बताती है हमें
हमारी पहचान कराती जो हमीं से
-शरद कोकास ( एम.ए.प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व )
इतिहास क्या किसी भी विषय का अध्ययन हम विशुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए करते हैं।
इतिहास का ज्ञान राष्ट्रप्रेम को बढाता ही है
इतिहास हम इसलिए पढ़ते हैं कि हम अपने उन महान लोगों के बारे में जान सकें
shukria,
aapne itihaas ka bahut accha arth batayaa ...swagyaan,swasudhaar..aapne hi sab ka jawab de diya to bhi main bas itna kahoongi ki .........
jis tarah har insaan ki apni zati biyography hoti hai teek usi tarah;HISTORY IS A COMLETE BIYORAPHY OF MANKIND ;ye sirf jang,saltanat,qile,raja maharaja,taareekh,fesivals,siyasat hi nahin .....insaan hai,insaniyat hai,apne wujud ki khoj hai isliya khuda se bhi connected hai jo hum bhool chuke hein isliye aaj insaniyat ka itihaas koi nahin janta......anjaam?
itna aasaan nahin maazi se bagawat karna;
zalzale uthte hain aa jaate hein tufaan bahut .
to i hope ke hum apne maazi yani itihaas se bagawat nahin karenge.
HAPPY DASHERA.
hm itihaas isliye padhte haiN taake hm itihaas ka ek hissa bane reh sakeiN......beete hue itihaas ke pannoN mein apne Rashtra ki asmitaa se vaaqif raheiN...
---MUFLIS---
महफूज जी ,
माफ़ी कैसी ......व्यस्तता तो सभी के जीवन में आती रहती है ....!!
एक बात कहूँ ....? .ये इतिहास में तो मैं हमेशा ही फेल होती रही हूँ ...मैं भला क्या बताऊँ कि हम इतिहास क्यों पढ़ते हैं .....आपके गिफ्ट से वंचित रह गयी न .....??
महफूज जी ,
माफ़ी कैसी ......व्यस्तता तो सभी के जीवन में आती रहती है ....!!
एक बात कहूँ ....? .ये इतिहास में तो मैं हमेशा ही फेल होती रही हूँ ...मैं भला क्या बताऊँ कि हम इतिहास क्यों पढ़ते हैं .....आपके गिफ्ट से वंचित रह गयी न .....??
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