गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

जानना नहीं चाहेंगे आप संस्कार शब्द का गूढ़ रहस्य? एक ऐसा शब्द जो सिर्फ भारत में ही पाया जाता है... :- महफूज़


अभी  थोड़े  दिन पहले की बात है, किसी ने मुझ से पूछा था कि ' संस्कार कि इंग्लिश बताईये?' मुझे मालूम नहीं था, मैंने कहा कि देखकर बताता हूँ. सही कहूँ तो संस्कार कि इंग्लिश कहीं नहीं मिली. थोडा शोध किया तो पता चला कि विश्व के किसी भी भाषा में संस्कार शब्द है ही नहीं. थोडा शोध और किया तो पता चला कि संस्कार सिर्फ और सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही हैं और सिर्फ भारतीय ही संस्कारी हैं, और सबसे बड़ी बात यह कि संस्कार का  भारत में व्याप्त किसी भी  धर्म से कोई लेना देना नहीं है. यानी कि हर भारतीय संस्कारी है और संस्कार में ही जीता है और मरता है. तो आखिर यह संस्कार है क्या

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भारतीय समाज की परम्पराएं दूसरे देशों से बिलकुल अलग हैं. जहाँ पश्चिमी सभ्यता भौतिकतावाद पर ज़ोर देता है, वहीँ भारत का हर कर्म और विचार आध्यात्मिक है. संस्कार एक संस्था है. इस संस्था का मूल उद्देश्य है कि मानव जीवन  को विकार रहित बनाते हुए आगे बढ़ें और आध्यात्म को प्राप्त कर सकें. आध्यात्म ही हमारी सामाजिक क्रियाओं का एकमात्र उद्देश्य है और आध्यात्म की पूर्ती संस्कार से ही होती है, जिससे मानव जीवन को शुद्ध (filter) करते हुए आगे बढ़ने का रास्ता मिल सके और आने वाला जीवन शुद्ध रहे. हम भारतीयों कि ज़िन्दगी संस्कारों में इस तरह से जकड़ी होती है कि वह जन्म से पहले और मौत के बाद तक आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होता रहता है और यह संस्कार भारत के सिवाय दुनिया के किसी भी देश में नहीं मिलता.

आइये जानें संस्कार शब्द का अर्थ :---

आख़िर ऐसा क्या है कि यह संस्कार शब्द सिर्फ भारत में ही पाया जाता है?  क्यूँ यह शब्द सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही है? क्यूँ दुनिया कि किसी भी भाषा में इसका अनुवाद नहीं मिलता? "संस्कार" का पर्यायवाची शब्द दुनिया की किसी भी भाषा में ढूंढना बहुत ही मुश्किल और जटिल है. दुनिया के किसी भी भाषा के एक शब्द के रूप में इसको अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता न ही संस्कार विश्व में भारत को छोड़ कर कहीं पाए जाते हैं. हम लोग संस्कारी होने न होने की बातें तो करते हैं लेकिन संस्कार क्या है यह नहीं जानते?

संस्कार में न केवल बाहरी कर्म-कांडों का ही स्थान है बल्कि आंतरिक विचार, धार्मिक भावना, नियम, आध्यात्मिक रीती-रिवाज़ जैसी बहुत सी बातों को एक ही साथ सिर्फ एक शब्द (संस्कार) में समाहित किया गया है. इसलिए संस्कार शब्द दूसरे देशों के आदर्शों से एकदम अलग मतलब रखता है. संस्कार शब्द को किसी भी विदेशी शब्द की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता.

अंग्रेज़ी में भी संस्कार को "SAMSKAR" (सम्स्कार) लिखा जाता है. किसी भी भाषा में संस्कार का कोई अनुवाद नहीं है. फ़िर भी यह लैटिन के 'सेरेमोनिया ' (CEREMONIA)  और अंग्रेज़ी के 'सेरेमोनी ' (CEREMONY) का पर्यायवाची लगता है. पर यह दोनों विदेशी शब्द सिर्फ़ ज़िन्दगी के बाहरी पक्षों को ही दिखाते हैं, आंतरिक पक्ष तो सिर्फ़ संस्कार शब्द में ही मिलेंगे. संस्कार शब्द की परिधि बहुत व्यापक है और शायद इसीलिए विश्व की किसी भी भाषा में "संस्कार" शब्द का कोई एक शब्द नहीं है.  और इसीलिए अंग्रेज़ी में भी "SAMSKAR" ही लिखा जाता है.
संस्कार शुद्धि की धार्मिक क्रिया है जो कि मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, और बौद्धिक विकास के लिए किये जाने वाले अनुष्ठानों से है जिससे कि मनुष्य समाज का पूरी तरह से विकसित सदस्य हो सके. वास्तव में यह संस्कृत का शब्द है जिसका मतलब है परिशोधन या शुद्ध करना. इसलिए जब यह कहा जाता है कि सोने का संस्कार हो रहा है तो उसका मतलब होता है कि सोने का सार (मूल) निकाल कर उसको शुद्ध किया जा रहा है. इसलिए मनुष्य को अपने जीवन की पूर्णता के लिए ज़रूरी है कि आगे बढ़ने से पहले अपने विचारों और विकारों को शुद्ध कर ले. जीवन की सम्पूर्णता को प्राप्त करने के लिए अपने को शुद्ध करने की इसी प्रक्रिया को संस्कार कहते हैं.


नोट: प्रस्तुत लेख में संस्कार शब्द कि व्युत्पत्ति नहीं है.... यह लेख सिर्फ संस्कार कि परिभाषा और अर्थ को इंगित करता है... 

69 टिप्पणियाँ:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

आज मेरे बेटे ने मेरे मन की बात कह दी ...संस्कारी होना ही , इंसान को सच्चा इंसान बनाता है
जिसे मैं, आपकी बातों में पढ़ रही हूँ और व्यक्तित्व में उसी की झलक देख रही हूँ ...
इसके लिए, शुक्रिया कहती हूँ, आपके पिताजी को जिन्होंने आपको ऐसी परवरिश दी
और एक ऐसा घर दिया, जहां यह् भारतीय अमूल्य सद`गुण " संस्कार " विकसित हुए
स स्नेह आशिष के साथ
- लावण्या

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

संस्कार जिसके बारे में कहना और सुनना सभी को बहुत अच्छा लगता है चाहे जिस भी वर्ग या जाति या धर्म का व्यक्ति हो संस्कार सभी के लिए एक मायने रखता है और इसके सही पक्ष को समझना भी हर एक के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ..महफूज़ जी आपने बहुत ही बढ़िया ढंग से संस्कार का अर्थ सामने रखा और साथ ही साथ बताया की भारत और अन्य देशों के लिए संस्कार का क्या माने है...बहुत बढ़िया चर्चा...धन्यवाद भाई बहुत बहुत धन्यवाद!!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

mai to jaroor jannaa chauga aap se

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह महफूज़ बहुत अच्छी पोस्ट है । वैसे भारत मे बहुत कुछ ऐसा है जो और मुल्कों मे नहीं है। हमारे ग्रंथ विग्यान जो आज देख रहा है वो पहले हमारे रिशी मुनी अपनी अलौकिक शक्ति से देख चुके हैं और ऐसे अनगिनत शब्द और भी होंगे जिन्हें केवल भारतीय जानते हैं धन्यवाद इस जानकारी के लिये और आशीर्वाद । तुम्हें एक मेल भेजी थी जवाब नहीं मिला।

Chandan Kumar Jha ने कहा…

संस्कार शब्द की इतनी सुन्दर व्याख्या पहली बार पढ़ी । बहुत सुन्दर विवरण और भैया बहुत दिनों के बाद इतनी अच्छी पोस्ट पढ़ने को मिली । इसी तरह की पोस्ट लाते रहिये ।

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया समझाया और लिखा है आपने… बात सही इसलिये भी है, क्योंकि विदेशों में संस्कार का कोई खास महत्व और सांसारिक प्रावधान नहीं रहा है, उधर तो समलैंगिकता और किशोरवय सेक्स भी जायज़ मान लिया गया है, जबकि भारत में तो "गर्भाधान" को भी एक संस्कार माना जाता है, ऐसे में "संस्कार" की असली परिभाषा तो सिर्फ़ भारत में ही देखने को मिल सकती है, हालांकि अब धीरे-धीरे इस पर भी कुठाराघात होने लगे हैं तथा कॉन्वेंट कल्चर पीढ़ी इसे भी पिछड़ापन(?) मानती है…

Vinashaay sharma ने कहा…

संस्कार अन्तर्मन को शुद्ध करना है,अच्छा लेख ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

महफूज जी!
एक अरसे के बाद आपकी कलम से एक सुन्दर पोस्ट निकली है!
संस्कार पर आधारित पोस्ट बहुत बढ़िया है!
बधाई!

अजय कुमार झा ने कहा…

मेरी जानकारी के मुताबिक हिंदू धर्म ग्रंथों में ही वर्णित है कि जन्म के पहले से ही शुरू होकर और मरने के बाद तक कुल सोलह संस्कार पूरे होते हैं इंसान के ...या कहूं कि ब्राह्मण धर्म में ....आपने भी खूब जानकारी जुटाई ...अच्छा लेख और जानकारीपूर्ण भी

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

संगीता पुरी ने कहा…

संस्‍कार के बारे में आपके आलेख से अच्‍छी जानकारी मिली .. हमारे भारतवर्ष में ऐसी बहुत ऐसी बातें हैं .. जो दुनिया में अन्‍यत्र दुर्लभ हैं .. पर विदेशी शासकों का काम हममें फूट डालकर शासन करना रहा .. और मध्‍ययुगीन गलत सलत इतिहास को पढकर हम अपनी ही परंपरा पर ही अविश्‍वास कर बैठते हैं .. पता नहीं कब हम अपने अच्‍छे और सच्‍चे इतिहास पर गर्व कर पाएंगे ?

शबनम खान ने कहा…

Mehfooz ji kya baat ha...mene hazaro bar is shabd ka prayog kia hoga par kabi iske bare me itni gehrayi se nhi socha....par aaj apke is lekh ne sochne par majbur kia ha..
dil se keh rahi hu...bohot accha laga..kuch alag sa padke....
thanx...

Arvind Mishra ने कहा…

सुन्दर विश्लेषण -संस्कार में प्रारब्ध की भी भूमिका होती है -पुंसवन संस्कार और गर्भाधान संस्कार भी हैं इसलिए !
सटीक तो नहीं कामचलाऊ तौर पर sacrament को संस्कार का अंगरेजी पर्याय मान सकते हैं !

shikha varshney ने कहा…

आह हा ..ये हुई न बात... अब लग रहा है कि "महफूज़ अली" की पोस्ट पढ़ रहे हैं....superb..simpley superb...I have no words for this post...महत्वपूर्ण जानकारी और बेहतरीन प्रस्तुति...शानदार लेख...बहुत शुक्रिया इतनी संस्कारी जानकारी देने का

बेनामी ने कहा…

जीवन की सम्पूर्णता को प्राप्त करने के लिए अपने को शुद्ध करने की प्रक्रिया संस्कार कहलाती है

कितना सटीक है यह वाक्यांश

बी एस पाबला

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी जानकारी। धन्यवाद।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

अंतिम संस्कार कर रहे है हम संस्कार और संस्क्रति क

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

तभी तो कहा जाता है कि भारतीयता जीवन पद्धति है और यह केवल भारतीय संस्कार पर आधारित होती है।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

पूर्णतय सार्थक पोस्ट। बधाई।

DIVINEPREACHINGS ने कहा…

महफूज़ तुम्हारी शोध वृत्ति पर हमें गर्व है...हम भाग्यवान हैं कि हमें इतना विवेकशील और गुणी साथी तुम्हारे रूप में मिला है । इसी प्रकार से हम सब का ज्ञानवर्धन करते रहो ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

संस्कार का महत्व कितना और कैसे है ये तो आपने बता दिया.

पश्चिमी देशो में युवाओं की उछ्रिन्ख्लता ही वृद्धो का एकाकीपन बन जाता है और जीवन अभिशप्त हो जाता है.
अपने यहाँ तो जन्म से लेकर मृत्यु के बाद तक सभी संबंधों का निर्वाह संस्कार रूपी संस्था के अंतर्गत होता है.

ये संस्कार की ही महिमा है, छोटा भाई लाख व्यसनी हो पर बड़े भैया के सामने सिगरेट नहीं जलाता है.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है।अच्छी जानकारी दी है.....लावण्या जी ने आपके बारे मे बिल्कुल सही लिखा है।उनकी टिप्प्णी से पूर्ण सहमत।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

महफूज़ मियां,
अरे ये हुई न बात !!!...
इसे कहते हैं 'महफूज़ मयी' पोस्ट.....बहुत दिनों के बाद एक धांसूं पोस्ट देखने को मिली है...आपके इस पोस्ट की तारीफ के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है, आप न फालतू के पचड़े में न पड़ कर बस ऐसी ही पोस्ट लिखा कीजिये...आपको यही सूट करता है....
हमलोग आपके ब्लॉग पर बस ऐसी ही चीज़ें देखने के आदी हैं...
आपके ब्लॉग में बहुत सारी ऐसी जानकारियाँ मिलती हैं जो हमें ताज्जुब में डाल देतीं है ...और मैं DEVINEPREACHINS जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ....वास्तव में आपका हिंदी ब्लॉग जगत में होना एक उपहार है हम पढने वालों के लिए....
बस अपनी लेखनी पर काबू काहे नहीं रखते हैं....हर समय..गोबर में धेला फेंकना ज़रूरी है का ??

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

महफूज़ जी ,

बहुत ज़बरदस्त पोस्ट है....संस्कार कि बात करते हैं पर कभी सोचा नहीं कि ये शब्द कहाँ से आया है? या कहाँ कहाँ पाया जाता है..

और एक बात बहुत सटीक लिखी है कि भारतीय जन्म से मृत्यु तक संस्कार को ही महत्त्व देता है..

इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए साधुवाद

विवेक रस्तोगी ने कहा…

हमने भी आज ही जाना है संस्कार के बारे में आपकी कलम से ....

अनिल कान्त ने कहा…

nice information !
gr8 post

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

संस्कार एक संस्था है. इस संस्था का मूल उद्देश्य है कि मानव जीवन को विकार रहित बनाते हुए आगे बढ़ें और आध्यात्म को प्राप्त कर सकें. आध्यात्म ही हमारी सामाजिक क्रियाओं का एकमात्र उद्देश्य है और आध्यात्म की पूर्ती संस्कार से ही होती है....

वाह.....इतनी गहन समालोचना .....अदा जी ने सही कहा ...आज की पोस्ट एक प्रोफ़ेसर की पोस्ट है .....!!

kshama ने कहा…

Waah! Ekbaar maine bhi is shabd ka English me paryaay wachi khoja tha,aur nahee mila tha...kuchh shabd kewal bharteey hee hote hain!

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही संस्कारी आलेख...बड़े अच्छे ढंग से समझाई है,संस्कार की परिभाषा...यह तो सच है..संस्कार ही ऐसी चीज़ है जिसपर हम गर्व कर सकते हैं. और विदेशी भी इसका अनुकरण करने को आतुर हैं.पूरे विश्व में हमारे योग विद्या के प्रति आकर्षण यही दर्शाता है.

राजीव तनेजा ने कहा…

जानकारी से परिपूर्ण...बहुत ही बढिया शोधपरक लेख...बधाई स्वीकार करें...

इसीलिए तो हम आपके दिवाने हैँ हुज़ूर ....

Unknown ने कहा…

संस्कार शब्द की इतनी सुन्दर व्याख्या ....
एक आप जैसे सम्पूर्ण भारतीय ही कर सकता है ...बहुत अच्छा लगा.....धन्यवाद !

Unknown ने कहा…

साधु साधु !

क्या बात कही है महफूज़ भाई ..वाह !

जियो ! जियो ! जियो !

हमें नाज़ है आपकी मित्रता पर और अपने मित्र की सोच पर ...

वाकई संस्कार........सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत में पाया जाता है.........


जिस प्रकार पति, शौहर , हुसबैंड, खसम, मर्द, घरवाला पूरी दुनिया में पाया जाता है लेकिन सुहाग केवल और केवल अपने यहाँ ही होता है ................


पश्चिम वाले केवल द्राक्ष संस्कृति को ही जानते हैं लेकिन हम पूर्व वाले रुद्राक्ष संस्कृति को जानते हैं और हमारी संस्कृति से जुड़े हमारे सरोकार हमारे संस्कार बन कर पीढ़ी दर पीढ़ी इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं

आपका आलेख अभिनन्दनीय है

बधाई !

अर्कजेश ने कहा…

आपने मेहनत से आलेख लिखा है । मुझे सबसे पहले एक बेहतर इंसान पसंद है । क्‍योंकि ऐसा इंसान गैरसंस्‍कारी व्‍यक्ति का भी सम्‍मान करना जानता है । सिर्फ एक व्‍यक्ति के रूप में ।

ऐसा इंसान यदि संस्‍कारी भी हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं ।

Tulsibhai ने कहा…

" bahut hi behtarin post .sanskaar ka itana vishleshan mai nahi janta tha magar ye post padhane ke baad jan gaya ."

" aaapko dhero badhai ."

" SORRY mai der se aaya."

------ eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Udan Tashtari ने कहा…

वाह भाई महफूज़, शानदार तरीके से बात रखी है.

आनन्द आ गया इस व्याख्या को पढ़कर!!

M VERMA ने कहा…

सार्थक व्याख्या.
शुध्धिकरण की प्रक्रिया ही तो संस्कार है.
गर्व से कहना होगा कि यह शब्द सिर्फ भारत में ही है.

हास्यफुहार ने कहा…

आलेख अच्छा लगा।

Himanshu Pandey ने कहा…

सुन्दर और सारगर्भित प्रविष्टि । संस्कार की अमूल्य अवधारणा भारतीय़ जीवन-पद्धति को विशिष्ट बनाती है ।

sanjay vyas ने कहा…

जानकारी में इजाफा.मज़ा भी आया.यानी उम्मीद से दुगना,जो हर बार यहाँ मिलता है.

Unknown ने कहा…

संस्कार वैदिक कर्मकाण्ड होते हैं जो कि संख्या में सोलह हैं। मनुष्य के जन्मपूर्व से मृत्यु पश्चात् तक के जो विधान वेदों में बताये गये हैं वे ही संस्कार हैं।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

'संस्कार' शब्द को आपके द्वारा खूबसूरत ढंग से परिभाषित किया गया है ! इंसान जो कुछ अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी और कुल से सीखकर आगे चलकर उसे यथार्थ में रोजमर्रा की जिन्दगी में अमल में लाते है, वही संस्कार है , पैत्रिक गुण है ! अपनी सभ्यता है ! अगरेजी में अमूमन इसे "कल्चर" शब्द से संबोधित किया जाता है कभी-कभी इसे "मीलिओरेसन" शब्द से भी जाना जाता है !

प्रवीण ने कहा…

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सुन्दर आलेख,
यदि सोलह संस्कारों के संदर्भ में लिया जाये तो निश्चित ही किसी दूसरी भाषा में यह शब्द नहीं है। पर यदि इस संदर्भ में लें " मेरे संस्कार मुझे तुमसे झगड़ने से रोकते हैं।" तो English के MORAL RULES व ETHICS 'संस्कार' शब्द के बहुत करीब हैं।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

इस गूढ़ जानकारी के लिए हम आपके तहे दिल से आभारी हैं।
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महफ़ज़ भाई आखिर क्यों न हों एक्सों...?
जिसपर है दुनिया को नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

संस्कार par मैंने भी एक लेखा पूर्व में लिखा था संस्‍कार:भारतीय दर्शन (Sanskar: Indian Philosophy) समय मिले तो सुझाव दीजियेगा.

आपकी पोस्ट के बहुआयामी बाते निकर करता आई, संस्कार न सिर्फ भारत की दें है बल्कि भारत की विरासत भी है.

Mishra Pankaj ने कहा…

सुन्दर जानकारी महफूज भाई आपके द्वारा ..
पंकज

Khushdeep Sehgal ने कहा…

महफूज़ प्यारे,
ये कर्नल साहब और आपकी मां जी के दिए संस्कार ही हैं जो आज आप हम सबको संस्कार का इतना अच्छा अर्थ समझा रहे हैं...

मेरी आज की अपने वाली पोस्ट पर तुम्हारी टिप्पणी का मर्म मैं समझ सकता हूं...माता-पिता का सिर पर हाथन रहने की वजह से इस पंक्ति का (एक दिन आपके पास वक्त होगा तो शायद आपके अपने साथ नहीं होंगे) तुम्हारे लिए क्या मायने हैं, अच्छी तरह जानता हूं...लेकिन महफूज़ तुम्हारे साथ पूरा ब्लॉग जगत है...तुम अकेले नहीं हो...तुम्हे सब प्यार करने वाले हैं...इसलिए बस ऐसी पोस्ट से ही सबका दिल जीतते रहो...

जय हिंद...

vandana gupta ने कहा…

mahfooz

ek shandar , lajawaab post ............der se aane ki maafi chahungi........mere khyal se ismein ab kahne ke liye kuch nhi bacha hai jo kahna tha wo tum sab kah chuke ho............ye sanskar hi hamari dharohar hain jinse hamari vishwa mein ek alag pahchan banti hai.........bharat ka doosra naam sanskaron ka desh bhi hai aur sanskar hi bhartiyata ki pahchan...........bahut khoob ...........aise hi likha karo.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है।अच्छी जानकारी दी है.....लावण्या जी ने आपके बारे मे बिल्कुल सही लिखा है।उनकी टिप्प्णी से पूर्ण सहमत।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

फिर से एक ज्ञानवर्धक रचना........वाह
बस इस पर अग्रसर रहो, घर की पहचान बनाये रखो

* મારી રચના * ने कहा…

laajawaab.... shayad hum main se kisisne ye socha hi nahi ki Sanskaar ke baaremain itni umda jaankari dene ke liye aapka shukriya

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही अच्छी व्याख्या है ......... शायद इसलिए ही हम भारतीय विश्व से जुदा हैं ........ विशिष्ट हैं ........... आपकी खोजी पोस्ट नें गर्दन ऊँची कर दी आज ..........

अजय कुमार झा ने कहा…

महफ़ूज़ भाई,
आप चिंता न करें ...जब उनका मन कमेंट करके भरेगा तब पोस्ट भी लिख देंगे....अभी अभी कुछ देर पहले उन्होंने हमारे लिए भी ऐसे ही उत्तम विचार व्यक्त किए हैं ...आनंद आ गया ...आगाज़ अच्छा है ..आगे के लिए तैयार रहें ॥

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत ही शानदार पोस्ट और कमाल की जानकारी. आपकी मेहनत, हमारा लाभ...

वाणी गीत ने कहा…

सच कहूँ तो आज से पहले संस्कार शब्द के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था ....संस्कारी होने कि सीख जरुर देते आये थे हर किसी को ...खुद को भी ....
बहुत शानदार प्रविष्टि .....ऐसे ही लिखते रहा करो .....यूँ ही अपने आप को विवादस्पद बनाने की बजाय ये विकल्प ज्यादा अच्छा है ...
है ना .....!!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah...saarthak lehze me sateek baat...

jayanti jain ने कहा…

excellent article, we have sasmkar

मेरी आवाज सुनो ने कहा…

संस्कार की सुंदर व्याख्या पहली बार पढ़ा.
धन्यवाद...!!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बहुत ही उम्दा आलेख.....बहुत ही अच्छे से आपने भारतीय संस्कार महत्व को स्पष्ट किया है ।
संस्कार वो हैं जो हमारे अन्दर के विकारों को समाप्त कर दे...बीजगत एवं गर्भगत दोषों को मिटाना और जीवन को चेतनोन्मुख करके पुरूषार्थ प्राप्ति के योग्य बनाना ही भारतीय संस्कारों का एकमात्र प्रयोजन हैं ।
शास्त्रों में इन्हे "दोषापनयन", "गुणाधान" एवं " हीनांगपूर्ति" के नाम से भी जाना गया है ।

ρяєєтii ने कहा…

Proud of U Bro...!

SHIVLOK ने कहा…

सुन्दर आलेख,
यदि सोलह संस्कारों के संदर्भ में लिया जाये तो निश्चित ही किसी दूसरी भाषा में यह शब्द नहीं है। पर यदि इस संदर्भ में लें " मेरे संस्कार मुझे तुमसे झगड़ने से रोकते हैं।" तो English के MORAL RULES व ETHICS 'संस्कार' शब्द के बहुत करीब हैं।

PRAVEEN SHAH KII BAAT SE 100% SAHMAT

VAISE
TO
'संस्कार'
शब्द को
KEVAL
झगड़ने
KII SEEMA MEN NAHIIN BANDHAA JA SAKTAA HAI
YEH
BAHUT VYAPAK
ARTH
VALA
SHABD
HAI.


" मेरे संस्कार मुझे तुमसे झगड़ने से रोकते हैं।"

IS BAAT KA ARTH BAHUT BAHUT SANJIIDA HAI.

MATRA SHABDON MEN PURA ARTH SAMAHIT NAHIIN HAI.

RAM KE SAMSKAR, RAVAN SE LADNE SE ROKTE THE.

PRITHVI RAJ CHOUHAN KE SAMSKAR MOHAMMAD GOURII SE LADNE SE ROKTE THE.

KRISHNA KE SAMSKAR SHISHUPAL SE LADNE SE ROKTE THE

YUDHISHTIR KE SAMSKAR DURYODHAN SE LADNE SE ROKTE THE.

HAMAARE BHARAT KE SAMSKAR USE PAKISTAN SE LADNE SE ROKTE HAIN

MAHFOOJ APKO MERA PRANAM

YOU ARE REALLY EXCELLENT
I LOVE YOU.

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

Bahut Achchhi Post Hai...

सदा ने कहा…

संस्‍कार इस शब्‍द की इतनी गहराई से व्‍याख्‍या करके आपने हमें एक बार फिर आभार प्रकट करने के लिये प्रेरित किया, इस ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये बहुत-बहुत बधाई ।

Saleem Khan ने कहा…

Your post has been published in AMAR UJALA today

रचना दीक्षित ने कहा…

एक अच्छा खासा रिसर्च वर्क
आभार

www.SAMWAAD.com ने कहा…

जानना तो चाहते थे, आपने बता दिया, इसलिए आपका शुक्रिया।
जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत ही बढिया आलेख । संस्कार में बाह्य उपचारों के साथ साथ मन को भी शुध्द किया जाता है तभी हम संस्कारित कहलाते हैं ।

Murari Pareek ने कहा…

सुन्दर जानकारी दी महफूज भाई !!

hem pandey ने कहा…

लेख पढ़ कर लगा किसी संस्कारी व्यक्ति ने यह आलेख लिखा है.

Ambarish ने कहा…

wah!

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