मंगलवार, 19 जनवरी 2010

सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ...: महफूज़



कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू  का हिसाब दो.

बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था.

सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं? 

86 टिप्पणियाँ:

दीपक 'मशाल' ने कहा…

waah bade bhaaai, mere blog pe lagi tasweeron ko kamaal bol ke mera man bahla dete hain aur khud bemisaal kavita ke sath gazab ki tasweer daal rahe hain....
Hai qurbaan jaun is jugal bandi pe... din bhar se beemar hoon fir bhi is post ko dekh kuchh der ke liye changa ho gaya..
ab is comment ko dekh kaun kahega ki Mashal flu me hai.. :)
wahi baat hui na ki-
''unke aane se aa jati hai chehre pe rangat... wo samajhte hain ki mareez ka haal achchha hai..''
Jai Hind...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर चित्र और उससे मेल खाती हुई
रचना बहुत अच्छी है!

Ambarish ने कहा…

मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.

बहुत खूब बड़े भाई...

Arvind Mishra ने कहा…

ये दिल्लगी तो नहीं लगती कुछ गंभीर मामला है इन पंक्तियों से ही साफ़ उजागर है ...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

नाईस्।

ओम आर्य ने कहा…

जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है

Urmi ने कहा…

बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था॥
वाह अत्यंत सुन्दर रचना! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! चित्र भी लाजवाब है!

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
............. aaj ka yuwa yahee janne kee fikra men kyon rahta hai :)
bade prem se chuppi todte hai aap ... waah ,,,

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

आसूंओ का हिसाब .... कुछ तो दिल मे है पता चलता है .......... आखिर दर्द बोला तो सुनाई देगा

मनोज कुमार ने कहा…

इस कविता की व्याख्या नहीं की जा सकती । कोई टीका नहीं लिखी जा सकती । सिर्फ महसूस की जा सकती है ।

SACCHAI ने कहा…

" waah ! mahfooz bhai kamal kar diya aapne ..aapki is behtarin rachana ke liye aapko badhai "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

shikha varshney ने कहा…

अब इतनी जज्बाती सी कविता पोस्ट की है की समझ नहीं आता क्या कहें बस भगवान से दुआ है की जबाब देने वाली आपको जल्द मिल जाये...कविता बहुत सुंदर है.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

गोरखपुर से रिटर्न हुए हैं।
तगड़ा कनेक्शन लगता है।

dipayan ने कहा…

बहुत सुन्दर तरीके से व्यथा का वर्णन किया. बहुत खूब लिखा आपने.

Unknown ने कहा…

मह्फ़ूज़ भाई ख्वाब देखो तो हाथो हाथ पूओरे करने की कोशिश भी करो. अब सबको ख्वाब दिखाकर तुम मस्ती करते फिरो तो अगली को तो और भी कम थे ना सो इतने दिन मै सब १-२ बच्चे की मा बन गयी होन्गी. उमर निकल रही है अब चट मगनी पट ब्याह की युक्ति से काअम चलेगा.

संगीता पुरी ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
बहुत बढिया !!

Chandan Kumar Jha ने कहा…

bahut sundar !!!!!1

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

आरा हिले छपरा हिले बलिया हिलेला....
अब गोरखपुर के हिलावा तो जानी ना....:):)

डान को भी प्रेम होता है काSSSSSS
ऐसी कविता ...!! दाल में कुछ काला नज़र आरहा है.. या दाल ही काली है...
जो भी है..महफूज़ मियाँ ...बहुत अच्छी लगी है...कविता आपकी..

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

क्या बात है भाई इतने दिन के बाद चुप्पी तोड़ी तो हक़ीकत लिखा डाली...भाई हम भले मज़ाक कर रहे हो पर इतनी बढ़िया भाव व्यक्त करने के लिए कुछ ना कुछ ज़ज्बात को होना ज़रूर पाया जाता है..चलिए अब आगे का हाल भी पढ़ा दीजिएगा जवाब मिलने के बाद का...बेहतरीन अभिव्यक्ति...बधाई महफूज भाई..

rashmi ravija ने कहा…

ये तो सचमुच बड़ी भावपूर्ण कविता है...इतनी शिद्दत से मिस कर रहें थे...ओह्ह ...पर किसे :)

ρяєєтii ने कहा…

दिल की आवाज़ नज़्म बन गयी आज ,
ज्यादा नहीं, एक जवाब की इल्तजा है आज ....![:)]

विवेक रस्तोगी ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं ?

ये भी कोई पूछने वाली बात है, बिल्कुल उदास रहती होंगी, जरा उनसे पूछ तो लीजिए :)

राजीव तनेजा ने कहा…

ओर नय्यी तो के?...
बावले...वो बी तैन्ने खूब प्यार करे थी...पर बताण का टैम कोणी था उसके पास ...हा...हा...हा..

सुंदर रचना

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुन्ना भाई को प्यार हो गया...:)

PD ने कहा…

अपने अनुभव से कहूं तो, नहीं.. उदास नहीं रहती होगी.. वो खुश होगी अपनी नई दुनिया में..

Khushdeep Sehgal ने कहा…

जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है...

जय हिंद...

(ये ऊपर फोटो किन फुके हुए महाराज की लगा रखी है)

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

सवाल ये है की प्रश्न किससे पूछा जा रहा है ?
पता ठीक नहीं हो तो खत पहुँचता नहीं

Dileepraaj Nagpal ने कहा…

Kuch Sawalon Ke Jawab Nahi Milte... :(

Meenu Khare ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?

क्या उत्तर मिला इस प्रश्न का महफ़ूज़?

Udan Tashtari ने कहा…

सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?


-ई का होई गवा गोरखपुर मे जी?? कौनो ..हम्म!!!

वाणी गीत ने कहा…

तूने इतना याद किया तो उसने भी किया ही होगा...:)
तेरे कविता के लेबल मेरे समझ से परे हैं .....!!

Himanshu Pandey ने कहा…

पहली ही लाइन में हड़का दिये ! पहले हाल-चाल पूछने दो भाई ! धीरे-धीरे खुलना स्वभाव होता है ऐसे वक्त में !

और उदासी तो रहेगी ही ! वह टूटॆगी ही तब जब हाल पूछना शुरु होगा !

M VERMA ने कहा…

तुम दूर हो
पर मेरे ही आसपास हो
मेरे लिये तो तुम
मेरी श्वास हो.
---
बहुत सुन्दर रचना

sanjay vyas ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
sanjay vyas ने कहा…

एक अन्तरंग रिश्ते को खूबसूरती से बयाँ करती है कविता.

Unknown ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!

अजय कुमार झा ने कहा…

उदास , धत कौन कहा , एकदम नहीं हमको मिली थी न एक दिन कह रही था हम तो खुस हैं ई महफ़ूज़ मियां के साथ तो हम बहुए कंफ़ूज़ थे जी ,
पूछे काहे ,
अरे हमरे साथ रहते हैं तईयो और नहीं रहते हैं तईयो , हमसे भी खाली ब्लोग्गिंग ब्लोग्गिंग बतियाते , अब समझ गए हैं सब पोस्ट ठेलने का जुगाड है , और कुछ पूछना है का

अजय कुमार झा

seema gupta ने कहा…

मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो
सुन्दर अभिव्यक्ति
regards

seema gupta ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भाई गोरखपुर मे ऐसा क्या था जो इतना जज्बाती हो गये? मुझे तो पूरी दाल ही काली नजर आरही है.:)

बेहतरीन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं. बसंत पंचमी की घणी रामराम.

रामराम.

संजय बेंगाणी ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?

तसल्ली के लिए जानना जरूरी है :)

vandana gupta ने कहा…

kyun nhi hogi wo bhi udas jise koi ittni shiddat se chahe..........kyun hai na.......dard dono taraf barabat hi hota hai........sundar bhav.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?

गमखार इतना तो बता ही दे !

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

अच्छा मिंया, ये बताइए कि आपने यह कविता दिल से लिखी है कि दिमाग से?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

माफ़ करना भाई. स्माइली लगाना भूल गया। :)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिल निकाल कर रख दिया है आपने महफूज़ भाई ............ क्या दूर रह कर भी तुम उदास रहती हो ......... भाई इस बात को अपने दिल से पूछ कर देखो ....... जवाब मिल जाएगा ............. बहुत गहराई से लिखा है ..........

SHIVLOK ने कहा…

कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.


बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था.


सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?


Shaayad Shaayad Shaayad
IS SAWAAL KA JAWAAB NAHIIN MILEGAA

PARANTU JINDGII KO VARTMAAN MEN JEENA CHAAHIYE

HAANLAANKII VARTMAAN MEN JEENA
BAHUT BAHUT BAHUT MUSHKIL HOTA HAI

BUT KOSHISH KIIJIYE
MAIN APKE SAATH HOON
SAB KE SAB APKE SAATH HAIN
KHUDA BHII APKE HII SAATH HAI

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

महफूज़ जी कुछ दिनों पहले पढ़ी थी एक पाषाण की कविता ....." नाम तेरा अभी मैं अपनी ज़ुबां से मिटाता हूँ..."

फिर .....
रोक सको तो रोक लो: -


और अब ......



आंसू का हिसाब ....?????

शरद कोकास ने कहा…

जिससे सवाल पूछा है वही जवाब देगी ,,हम क्यों दें ?

SHIVLOK ने कहा…

अपने अनुभव से कहूं तो, नहीं..

उदास नहीं रहती होगी..

वो खुश होगी अपनी नई दुनिया में..

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

भइये, पहले ये तो बताओ कि ये सवाल किससे पूछ रहे हो, तभी तो जवाब मिलेगा।

--------
खाने पीने में रूचि है, तो फिर यहाँ क्लिकयाइए न।
भारतीय सेना में भी है दम, देखिए कितना सही कहते हैं हम।

अजय कुमार ने कहा…

इसे पढ़कर मुंह से वाह और दिल से आह निकल रही है

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वाह, बहुत ही गहरे एहसास

निर्मला कपिला ने कहा…

सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
वाह अरे तो जा कर पूछ लिया होता ब्लाग पर वो शायद जवाब देने से शर्मा रही हो? बहुत अच्छी कविता है शुभकामनायें

रचना दीक्षित ने कहा…

सही कहा महफूज़ जी ऐसा लगता है इस बार दिल से लिखा है. हर एक लाइन दिल तक पहुंची और दिल की दुआ कुबूल होती ही है

aarkay ने कहा…

महफूज़ भाई , निश्चिन्त रहिये . आग थी दोनों तरफ बराबर लगी हुई !

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत सुन्दर तरीके से व्यथा का वर्णन किया. बहुत खूब लिखा आपने

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बड़ा सटीक प्रश्न कर दिया है ....खूबसूरत भाव ....अच्छी प्रस्तुति..

उम्दा सोच ने कहा…

bahaut khoob mahfooz bhai !!!

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति है सवाल जवाब यूँ ही याद आते हैं लफ़्ज़ों में अक्सर शुक्रिया

ज्योति सिंह ने कहा…

कहाँ खो गयीं थीं तुम?जवाब दो....मत पूछो हाल मेरा,पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,उसे धड़कन बना कर पास रखा था,तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,उसे आँखों में बसा कर रखा था.
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
bahut badhiya likha hai

अर्चना तिवारी ने कहा…

वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ...सुंदर रचना

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

आपकी कविता अच्छी है -
साथ में तस्वीर रखी है
वह शायद
अमरीकी गायक फ्रांक सीनात्रा की है ?
लिखते रहीये ...
आज बसंत पर्व है
..भारत में ,
इस पर्व पर ,
लोग प्रसन्न होंगें ..
आपको भी शुभकामनाएं भेज रही हूँ
स स्नेह

- लावण्या

डॉ टी एस दराल ने कहा…

तस्वीर देखकर तो लगता है जैसे ये सवाल सिग्रेट से किया गया हो।

वैसे सिग्रेट भी सौत होती है ---।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

तस्वीर देखकर तो लगता है जैसे ये सवाल सिग्रेट से किया गया हो।

वैसे सिग्रेट भी सौत होती है ---।

Abhasjoshi ने कहा…

Namaskar ji

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Adabhut rachana

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

वाह महफूज़ भाई .. क्या खूब लिखते हैं .. .. जानते तो हैं ही की उदास रहती थी .. मगर कानों से सुनना चाहते हैं . बहुत सुंदर !बधाई !

Fauziya Reyaz ने कहा…

phle to hausla afzai ke liye shukriya...

aapki ye nazm bahut emotional hai...achhi lagi

manu ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?


bahut khoob...

और ऊपर तस्वीर भी दिलकश लगाई है आपने...
देख कर दिल कर ही आया..एकाध कश लगाने का.....

:)

सदा ने कहा…

मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बहुत ही गहरे भाव उजागर करती ये पंक्तियां बहुत ही खूबसूरत प्रस्‍तुति ।

मेरी आवाज सुनो ने कहा…

bahut sundar prashnabhivyakti...!!

شہروز ने कहा…

क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
shaandaar pankti!!

and wth shikhaji

भगवान से दुआ है की जबाब देने वाली आपको जल्द मिल जाये..

Harshvardhan ने कहा…

bahut sundar............

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर कविता.
एक तीर से कई शिकार.
वाह!

कडुवासच ने कहा…

.... सुन्दर रचना !!!!

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

मामला गंभीर है भय्या......

ज़मीर ने कहा…

Iska jawab tho mere pass bhi nahi hai .
Waise kavita bahut achi lagi ;)

Asha Joglekar ने कहा…

तो आप भी प्रेमजाल मे फंस गये पर अदायें आपकी अब भी वही हैं उद्दंड । जवाब दो, एकदम ऑर्डर ।

Reetika ने कहा…

choti aur sundar rachna..

36solutions ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता है भाई, धन्यवाद.

सुशीला पुरी ने कहा…

बहुत खूब !!!!!!!! उदास होकर भी मुस्करा उठी !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

तूने इतना याद किया तो उसने भी किया ही होगा...:)
तेरे कविता के लेबल मेरे समझ से परे हैं

Kulwant Happy ने कहा…

कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.

बहुत शानदार।

मनोज कुमार ने कहा…

कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।

Asha Lata Saxena ने कहा…

" मेरे हर आंसू का जबाब दो "
मन को छूती रचना |बहुत बहुत बधाई |
आशा

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