गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

जाने क्या क्या तलाश करता हूँ,
जब भी बाज़ार से गुज़रता हूँ ,


मैं कोई पीर नहीं
आदमी हूँ , गुनाह करता हूँ।


लोग डरते हैं मौत से
'महफूज़ ' मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ॥



महफूज़ अली

शनिवार, 25 अप्रैल 2009

आज के इस दौर में बिना कंप्यूटर के गुज़ारा नहीं। ताउम्र हम मशीनों से दूर भागते रहे पर एक उम्र वह आयी की दुनिया के भी हाथ धोखा दे गए, और मजबूरन कंप्यूटर के हो गए। Charles Babbage ने इस दुनिया को कंप्यूटर इस हिदायत के साथ दिया की इसे यानी की कंप्यूटर को दुनिया के सबसे बेवकूफ इंसान को ध्यान में रख कर बनाया गया है, और बनाया भी जाता है..... खैर...................॥


हमने ख़ुद को दुनिया के सबसे बेवकूफ इंसान से कुछ बेहतर करने की ठानी...... और..... आज हम कंप्यूटर के हो लिए हैं.... चूहे पर हाथ हमारा हाथ बैठ गया... पर..... कंप्यूटर गज़ब का रकीब-हरीफ निकला।

पर आप मानें या न मानें...... पर मशीन से सहमा दिल लिए, चूहा हाथ में पकड़े ...... हम जिस कंप्यूटर के आगे बैठे , वहीँ हम ठप हो गए॥






महफूज़ अली

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009


सब कुछ भूल उड़ने की चाहत ज़िन्दा रह गई

दबी प्यास के ऊपर बहने लगी एक नदी

हर तरफ़ दिखने लगी घिरती हुई धुंध

घुप अंधेरे में दीवार से टकराते सर भी

कुछ न कर सके

शहर के बीचोबीच गुम हो गया वह चेहरा भी

जो निकला था अपनी पहचान बनाने के लिए॥

महफूज़ अली

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

वो इंसान
ज़रूर अच्छा
होता है
जिसके
हज़ार

दुश्मन
होते
है॥




महफूज़ अली

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

एक नज़ारा बार डांस क्लब का.....????


उस गीत पर एक ज़ोरदार

ठुमके लगाती एक हसीन डांसर

कोई होंठों से अपनी

बत्तीसी दबाये हसीना

के हर ठुमके को निहार रहा है,

तो कोई ताल मिलाने की कोशिश

कर रहा है।

किसी की इस हसीना के लिए कुछ

ज़्यादा ही 'दिलदारी' है,

इसलिए अपने घर के

ज़रूरी खर्चे को रोक कर

हसीना पर नोट लुटा रहा है॥

महफूज़ अली

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

मैं रह रह कर भूल जाता हूँ
अभी अभी किसका फ़ोन आया था
किसकी पढ़ी थी वो खूबसूरत कविता
कुछ अच्छी सी पंक्तियाँ थीं
पता नहीं...!!!!!!!!!!!!!!

कुछ याद नहीं आ रहा...............




महफूज़ अली

कहते हैं की नींद एक छोटी मौत है,

और

मौत एक लम्बी नींद॥


महफूज़ अली
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

My page Visitors

A visitor from Atlanta viewed 'लेखनी...' 14 hrs 10 mins ago
A visitor from Bremen viewed 'लेखनी...' 1 day 4 hrs ago
A visitor from Maryland viewed 'लेखनी...' 6 days 12 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 11 days 20 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 11 days 21 hrs ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 1 month 3 days ago
A visitor from Kalna viewed 'लेखनी...' 1 month 4 days ago
A visitor from Columbus viewed 'लेखनी...' 1 month 6 days ago