महफूज़ साहब, आपकी कवितायेँ आपके दिल से निकलती हैं..न कोई बनावट न कोई लगावात... इस कविता से मैं बहुत प्रभावित हुई हूँ .. इंसानी जज़्बों को बा-खूबी आपने पेश किया है......शायद इसलिए कि इनको दिल से जिया है ....
P.S. Aapki photo bhi bahut sundar hai ji.....hehehehehe
dhadkan kho gyee,man hua ghayal...pata nahi kya kahun ab?pahle socha comment nahi kartee.main jyada kuchh nahi kahna chahti na hi khud ko kuch samjhtee hun..personally mujhe ye apke level ki nahi lagi....
पेशे से प्रवक्ता और अपना व्यापार. मैंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम्.कॉम व डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय,फैजाबाद से एम्.ए.(अर्थशास्त्र) तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि ली है. I.G.N.O.U. से सन २००५ में PGJMC किया और सन् 2007 में MBA किया. पूर्णकालिक रूप से अपना व्यापार भी देख रहा हूं व शौकिया तौर पर कई कालेजों में भी अतिथि प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देता हूं. पढ़ना और पढ़ाना मेरा शौक़ है. अंग्रेज़ी में मुझे मेरी कविता 'For a missing child' के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. मेरी अंग्रेजी कविताओं का संकलन 'Eternal Portraits' के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है,जो की Penguin Publishers द्वारा प्रकाशित है. अंग्रेजी में मैंने अब तक क़रीब 2600 कविताएं लिखी हैं. हंस, वागर्थ, कादम्बिनी से होते हुए ...अंतर्राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका 'पुरवाई' जो की लन्दन से प्रकाशित होती है ...में प्रकाशित हुआ, तबसे हिंदी का सफ़र जारी है... मेरी हिंदी कविताओं का संकलन 'सूखी बारिश' जो की सन् 2006 में मुदित प्रकाशन से प्रकाशित है... मैं करता हूं कि मेरा ब्लॉग मेरे पाठकों को ज़रूर अच्छा लगेगा... आपकी टिप्पणियां मेरा हौसला बढ़ाती हैं. इसलिए मेरी रचनाएं पढ़ने के बाद अपनी अमूल्य टिप्पणी ज़रूर दें.मेरा प्रमुख ब्लॉग 'लेखनी’ है.
Dreaming an old dream.......
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As an ever flowing silver stream
This in my heart this is a dream
A dream of long ago ever shining bright this in my heart
The dream of long ago will alwa...
My new doggie
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*Rex: My new doggie............I have got a dear and treasured friend, you
may be know him tooMore humble, meek, and gentle heof human beings (Dogs) I
ev...
18 टिप्पणियाँ:
प्यार खुद धडकन होती है यह खो नही सकती. हार के बाद मिली जीत ही तो दिल की मिल्कियत होती है.
विरोधाभास कविता की खूबसूरती है.
इस जीत के लिये बधाई.
जब से तुमसे प्यार हुआ,
दिल की धड़कन खो गई।
तुम्हारी पायल देख मन हुआ घायल,
और हर घुँघरू से दिल्लगी हो गई।
कल तक तो थी बेज़ार ज़िन्दगी ,
आज लगा ईद हो गई।
अब तक तो था 'महफूज़' हारा-हारा ,
आज अचानक जीत हो गई॥
अजी,
ये क्या कह दिया आपने...
पढ़ कर ...
हमारे पायल छनकने लगे हैं
और हमारी भी ईद हो गयी है.
गज़ब ढाया है जी आपकी लेखनी ने....
महफूज़ साहब,
आपकी कवितायेँ आपके दिल से निकलती हैं..न कोई बनावट न कोई लगावात...
इस कविता से मैं बहुत प्रभावित हुई हूँ ..
इंसानी जज़्बों को बा-खूबी आपने पेश किया है......शायद इसलिए कि इनको दिल से जिया है ....
P.S. Aapki photo bhi bahut sundar hai ji.....hehehehehe
वाह महफूज जी क्या बात है, लाजवाब रचना। दिल को छू लेने वाली रचना के लिए आभार..................
सुन्दर गीत है बधाई।
अब तक तो था 'महफूज़' हारा-हारा ,
आज अचानक जीत हो गई॥
-वाह! सुन्दर!! बधाई!
dhadkan kho gyee,man hua ghayal...pata nahi kya kahun ab?pahle socha comment nahi kartee.main jyada kuchh nahi kahna chahti na hi khud ko kuch samjhtee hun..personally mujhe ye apke level ki nahi lagi....
BHAI AAPKE KHAYAL KO EK HASINA HI SAMAJH SAKTI HAI PAR UNHE PAIRON KEE JUTI KABHI NA KAHNA
क्या बात है
कल तक तो थी बेज़ार ज़िन्दगी ,
आज लगा ईद हो गई।
वाह... सुन्दर रचना
अब तक तो था 'महफूज़' हारा-हारा ,
आज अचानक जीत हो गई॥
वाह! क्या बात है!!!
poem to achchee hai, lekein aesa lagta hai jaese kisi roadside romeo ne likhi hae, very downmarket poem yu ve written ever.
Sorry for writing all these , but true.
तुम्हारी पायल देख मन हुआ घायल,
और हर घुँघरू से दिल्लगी हो गई।
बहुत खूब...सुंदर रचना।
देसी एडीटर
खेती-बाड़ी
अब तक तो था 'महफूज़' हारा-हारा ,
आज अचानक जीत हो गई॥
खूब लिखा !!
अहसासों की भी कितनी ज़रूरत होती है ज़िन्दगी में....
यथार्थ अभिव्यक्ति !!
waah
achhi hai .par....... aap jaise likhte hai waisi nahi hai.
कल तक तो थी बेज़ार ज़िन्दगी ,
आज लगा ईद हो गई।
vaah क्या बात है janaab ......... किसी के आने का fark भी क्या kamaal करता है ........
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