पेशे से प्रवक्ता और अपना व्यापार. मैंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम्.कॉम व डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय,फैजाबाद से एम्.ए.(अर्थशास्त्र) तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि ली है. I.G.N.O.U. से सन २००५ में PGJMC किया और सन् 2007 में MBA किया. पूर्णकालिक रूप से अपना व्यापार भी देख रहा हूं व शौकिया तौर पर कई कालेजों में भी अतिथि प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देता हूं. पढ़ना और पढ़ाना मेरा शौक़ है. अंग्रेज़ी में मुझे मेरी कविता 'For a missing child' के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. मेरी अंग्रेजी कविताओं का संकलन 'Eternal Portraits' के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है,जो की Penguin Publishers द्वारा प्रकाशित है. अंग्रेजी में मैंने अब तक क़रीब 2600 कविताएं लिखी हैं. हंस, वागर्थ, कादम्बिनी से होते हुए ...अंतर्राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका 'पुरवाई' जो की लन्दन से प्रकाशित होती है ...में प्रकाशित हुआ, तबसे हिंदी का सफ़र जारी है... मेरी हिंदी कविताओं का संकलन 'सूखी बारिश' जो की सन् 2006 में मुदित प्रकाशन से प्रकाशित है... मैं करता हूं कि मेरा ब्लॉग मेरे पाठकों को ज़रूर अच्छा लगेगा... आपकी टिप्पणियां मेरा हौसला बढ़ाती हैं. इसलिए मेरी रचनाएं पढ़ने के बाद अपनी अमूल्य टिप्पणी ज़रूर दें.मेरा प्रमुख ब्लॉग 'लेखनी’ है.
Dreaming an old dream.......
-
As an ever flowing silver stream
This in my heart this is a dream
A dream of long ago ever shining bright this in my heart
The dream of long ago will alwa...
My new doggie
-
*Rex: My new doggie............I have got a dear and treasured friend, you
may be know him tooMore humble, meek, and gentle heof human beings (Dogs) I
ev...
12 टिप्पणियाँ:
kabhi kabhi aznabi jane pahchane se lagte hai.....boht hi khubsurat kavita......amazing.....
kabhi kabhi aznabi jane pahchane se lagte hai.....boht hi khubsurat kavita......amazing.....
Very nice.
क्या बात है! बहुत खूब!
वाह वाह!! दिल में तो झांको!! :)
khubsurat -- mahsoos ki kavita.
obviously, you may have written it in different context but it seems that it's also true for "life" as well...
flawless...
...मुझे तुम कभी
अजनबी सी
लगीं नहीं॥
ali ji ,
deri se aane ke liye maafi chahunga ..
aapki is nazm ne to bahut gahra asar choda hai mujh par ...
मुझे तुम कभी
अजनबी सी
लगीं नहीं॥
waah waah .. sir , aapki kalam ko naman..
bahut hi zordaar pankhtiyan..
badhai sweekar kariye..
vijay
maine kab kaha
kee tum muje ajnabi lagte ho
kabhi nahi
aankhe na melain yeh sahi
lekin dil to melain hain
aur kya
bas
bahut khub
----10 anjali
very touching indeed!!!!! aap jo kuch likhte hain wo dil ko chhu leta hai...keep it up...
कहीं पिछले जन्मों का नाता तो नहीं..
अच्छा लिखा, छोटा और अच्छा
मुझे तुम कभी
अजनबी सी
लगीं नहीं॥
BEHTREEN
एक टिप्पणी भेजें