मंगलवार, 6 जनवरी 2009

इस दीवार को ढहाना ज़ुरूरी है,
मगर यह काम मुझसे अकेले नहीं होगा॥

आसमान की चाहत है मुझे,
मगर ज़मीं कम है॥

प्यास बहुत थी,
और मैं देखता रहा सामने उफनते दरिया को॥




महफूज़ अली

रविवार, 4 जनवरी 2009


हमारे हिंदुस्तान में जब भी हड़ताल होती है, तो मजदूर काम करना बंद कर देते हैं , जिससे काफ़ी अर्थ और आर्थिक नुक्सान होता है पर क्या आप जानते हैं? जापान एक ऐसा देश है जहाँ हड़ताल करने का अनोखा तरीका है, वहां पे मजदूर काम करते हैं पूरे हड़ताल के दौरान पर जो भी काम करते हैं वो अधुरा करते हैं। अगर जूते बनाने की फैक्ट्री है तो एक पैर का ही जूता बनायेंगे, नट-बोल्ट बनाने की फैक्ट्री है तो सिर्फ़ बोल्ट ही बनायेंगे...... ऐसे ही हर चीज़ आधी-अधूरी बनायेंगे..... है न अनोखा तरीका हड़ताल करने का.......???????????

महफूज़ अली

बुधवार, 31 दिसंबर 2008

कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं जो जन्म से लेकर
बचपन जवानी - बुढ़ापे से गुजरते हुए,
गरिमा से जीते हुए महान महिमाय हो जाते हैं !
ऐसे रिश्ते सदियों में नजर आते हैं !
जब कभी सच्चा रिश्ता नजर आया है आसमान में ईद का चाँद मुस्कराया है!
या सूरज रात में ही निकल आया है!
ईद का चाँद रोज नहीं दिखता,
इन्द्रधनुष भी कभी-कभी खिलता है!
इसलिए शायद - प्यारा खरा रिश्ता सदियों में दिखता है,
मुश्किल से मिलता है पर, दिखता है, मिलता है,
यही क्या कम है ॥ !!!

रविवार, 21 दिसंबर 2008

जब भी हम नई चीज़ों की नींव रखतें हैं, तो सबसे पहले पुरानीचीज़ों को हटाते हैं

नए मकान पुरानी नींव पर नहीं खड़े होते हैं.... अगर होते हैं भी तो ढह जाते हैं।




Mahfooz Ali




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